हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि मजदूरों को पलायन से रोकने और उनके जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने क्या योजना बनाई है? कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है कि वो अगली सुनवाई यानि 1 जून तक मजदूरों के परिवारों के पुनर्वास, उनके उपचार और रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा हुा ले आउट प्लान तैयार कर ले और उसे कोर्ट में पेश करे.
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प्रयागराज: हाईकोर्ट (High court) ने उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) सरकार से प्रवासी मजदूरों के उपचार, पुनर्वास और रोजगार को लेकर जानकारी तलब की है. कोर्ट ने 1 जून तक सरकार से इन सभी मुद्दों पर ले आउट प्लान पेश करने के लिए कहा है. कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस (coronavirus) फैलने से रोकने की नीति और मानक क्या तय किए गए हैं.
प्रवासी मजदूरों को लेकर कोर्ट ने तलब की जानकारी
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि मजदूरों को पलायन से रोकने और उनके जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने क्या योजना बनाई है? कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है कि वो अगली सुनवाई यानि 1 जून तक मजदूरों के परिवारों के पुनर्वास (rehabilitaion and employment), उनके उपचार और रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा हुा ले आउट प्लान तैयार कर ले और उसे कोर्ट में पेश करे.
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सुप्रीम कोर्ट खुद कर रहा है सुनवाई
हाईकोर्ट ने कहा है कि शहरों से पलायन कर रहे भूखे प्यासे मजदूरों के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) स्वयं जनहित याचिका कायम कर सुनवाई कर रही है. ऐसे में इस मामले में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण लेने की आवश्यकता नहीं है. ये आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने दिया है.
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जनहित याचिका में क्या ?
मजदूरों के हितों को लेकर वकील ऋतेश श्रीवास्तव व गौरव त्रिपाठी ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि देश के किसी कोने में जीविकोपार्जन के लिए जाने और निवास का संवैधानिक अधिकार है. मजदूरों की मेहनत के दम पर लाभ अर्जित कर रहे राज्यों का वैधानिक दायित्व है कि वे उन्हें भूखे बेहाल होकर राज्य छोड़ने को विवश न करें. याचिका में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों (shramik special) में अव्यवस्था का भी जिक्र किया गया है और मांग की गई है कि यूपी अपने निवासियों के लिए मजबूत पुनर्वास कार्यक्रम (rehabilitaion) बनाए ताकि पलायन रुक सके.
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