Kharmas 2020: खरमास में भूलकर भी न करें शुभ काम, वरना झेलना पड़ेगा इनका प्रकोप
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Kharmas 2020: खरमास में भूलकर भी न करें शुभ काम, वरना झेलना पड़ेगा इनका प्रकोप

Kharmas 2020: खरमास में कोई भी शुभ काम नहीं करते हैं. इस दौरान सूर्य मलिन हो जाता है. इसीलिए इस महीने को मलमास भी कहा जाता है. 

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: आज से खरमास (Kharmas 2020) का महीना शुरू हो गया है जो कि 14 जनवरी 2021 को खत्म होगा. इसी के साथ मांगलिक कार्य एक महीने के लिए बंद हो गए हैं. हिंदू धर्म में खरमास के महीने को शुभ नहीं माना जाता. धार्मिक मान्यता के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास लगता है. इस दौरान सूर्य मलिन हो जाता है. इसीलिए इस महीने को मलमास भी कहा जाता है.

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तीर्थयात्रा और भगवान विष्णु की पूजा के लिए इस महीने को काफी उत्तम माना गया है. दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है. मकर संक्रांति से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है. इसी दिन खरमास समाप्त हो जाता है.

14 जनवरी को खत्म हो जाएगा खरमास
खरमास का समापन 15 जनवरी 2021 को होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते. ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो जब सूर्य धनु राशि में आ जाता है तो खरमास शुरू हो जाता है. दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है. मकर संक्रांति से देवताओं का दिन शुरू हो जाता है. इसी दिन खरमास समाप्त हो जाता है. इन 30 दिनों की अविधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इस दौरान विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

करें इस मंत्र का जाप
खरमास में 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप जरूर करना चाहिए. इस काल में पीपल का पूजन भी करना चाहिए. जिन लोगों को किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाकर उपहार देना चाहिए.

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धनु बृहस्पति की आग्नेय राशि
शुभ कार्य इस काल में वर्जित कहे जाते हैं, क्योंकि धनु बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विचित्र, अप्रिय और अप्रत्याशित परिणाम का सबब बनता है. मनुष्य ही नहीं, हर प्राणी की आंतरिक स्थिरता नष्ट होती है. हमारे अंतर्मन में नकरात्मकता प्रवेश करने लगती है.

नया काम करना वर्जित
इसके साथ ही गृह प्रवेश, नए बिजनेस की शुरुआत या कोई भी नई चीज खरीदना वर्जित है. पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की गति खरमास के दौरान धीमी पड़ने लगती है. खरमास को सौर मास भी कहा जाता है.

कौन से कार्य कर सकते हैं?
अगर प्रेम विवाह या स्वयंवर का मामला हो तो विवाह किया जा सकता है. जो कार्य नियमित रूप से हो रहे हों उनको करने में भी खरमास का कोई दबाव नहीं है. गया में श्राद्ध भी इस दौरान किया जा सकता है. अगर कुंडली में बृहस्पति धनु राशि में हो तो इस स्थिति में भी इस माह में शुभ कार्य किए जा सकते हैं.

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कानपुर के मशहूर ज्योतिषाचार्य दीपक कुमार दीक्षित (लंकेश) के मुताबिक खरमास 15 दिसंबर 2020 की शाम के बाद से सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं जिस कारण से खरमास लग जाता है. ऐसा कहा जाता है कि खरमास में किसी भी प्रकार का कोई भी शुभ कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता चाहे वो कोई गृह प्रवेश हो विवाह हो या फिर हमें किसी नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ करना हो. आचार्य के मुताबिक हमें सभी शुभ कार्यों को एक महीने के लिए आगे बढ़ा देना चाहिए. ये खरमास सूर्य के मकर राशि में संक्रांति करते ही समाप्त हो जाएगा उसके बाद हम हर प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं.

हमें तीर्थ स्थानों पर जाने के साथ करना चाहिए दान

आचार्य दीपक कुमार के मुताबिक विशेष ज्योतिषीय गणना और वैदिक मान्यताओं के अनुसार इस खरमास में हमें पवित्र तीर्थ स्थानों पर जाना चाहिए. पवित्र नदियों में स्नान कर दान करना चाहिए. श्री रामचरितमानस का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से हमारे पुण्य में वृद्धि होती हैं. यदि आप चाहें तो आप प्रकृति मां की सेवा करें, ऐसा करना सभी तीर्थों मंदिरों और दान पुण्य से अधिक माना जाता है. आप वृक्ष जरूर लगाएं. पशुओं और पक्षियों को जो भी आपकी श्रद्धा हो उनके लिए भोजन-पानी का प्रबंध करें. इसके साथ ही सूर्य की उपासना करें ऐसा करने से आपके पुण्य में तो वृद्धि  होगी.

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दान पुण्य करना चाहिए
खरमास (KHARMAS) के महीने को पूजा पाठ करने वाला महीना कहा जाता है. वहीं दान पुण्य करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. खरमास के दौरान सुबह सूर्य की उपासना करके गरीबों और जरूरतोंमंदों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरत की वस्तु दान करें. गाय की सेवा करें. इससे भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही परिवार में खुशियां और संपन्नता आती है.

सूर्य की उपासना
दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान सूर्य की उपासना असरदार मानी गई है. ऐश्वर्य और सम्मान के अभिलाषियों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए. 

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