नवरात्रि में 9 शक्तिपीठ: यहां सदियों से जल रही है बिना 'तेल और बाती' की ज्योत, जानें रहस्य
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नवरात्रि में 9 शक्तिपीठ: यहां सदियों से जल रही है बिना 'तेल और बाती' की ज्योत, जानें रहस्य

नवरात्रि के पावन दिनों में zeeupuk आपके लिए लाया है हर रोज एक शक्तिपीठ की कहानी. आज नवरात्रि का आज 8वां दिन हैं. ये शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश में स्थित है. यह 51 शक्ति पीठों में से एक है. आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में.

 

 

फाइल फोटो

नवरात्रि नौ शक्तिपीठ: पुराणों के अनुसार, देवी सती के 51 शक्तिपीठ हैं. इन सभी जगहों पर मां सती के शरीर का एक-एक अंग गिरा और उस स्थान को आज मां के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. लेकिन क्या आप जानते है मां की जिह्वा कहां गिरी थी? वहां पर संदियों से मां की ज्योत, बिना तेल और बाती की जलती है. हैरानी की बात है, लेकिन कहते हैं कि भगवान के घर कई चमत्कार होते है. और ये भी मां का एक छोटा सा चमत्कार है..जिसके जरिए मां अपनी मौजूदगी का अहसास करवाती है.

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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच बसा है ज्वाला देवी का मंदिर. मां ज्वाला देवी तीर्थ स्थल को देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माना जाता है. शक्तिपीठ वह स्थान कहलाता है जहां माता सती के अंग गिरे थे. माना जाता है कि इस जगह पर ही मां सती की जीभ गिरी थी. इस मंदिर में मां की ज्योत बिना तेल और बाती के सदियों से जल रही है. जिसके चलते इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है..

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मुगल सम्राट अकबर ने टेक दिए थे घुटने
ऐसा कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने ज्वाला जी में ज्योतियों को बुझाने की काफी कोशिशें की. अकबर ने इन ज्योतियों को बुझाने के लिए एक नहर खुदवाकर पानी छोड़ दिया था..ज्योतियों पर लोहे के तवे भी चढ़वा दिए पर इन ज्योतियां को नहीं बुझा पाया. उसके बाद अकबर का अहंकार टूटा और  वो नंगे पैर मां के दर्शन करने पहुंचा. मां को सोने का छत्र चढ़ाया..कई सालों से ये पता लगाया जा रहा है कि आखिर मां ज्वाला की ज्योतियां सदियों से जल कैसे रही हैं. कांगड़ा का ज्वालाजी मंदिर सदियों से रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया.

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इस मंदिर को जोता वाली मंदिर भी कहा जाता है. मां इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजमान हैं. सिर्फ मां ही नहीं भगवान शिव भी इस मंदिर में उन्मत भैरव के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. इस मंदिर में पृथ्वी के गर्भ से निकल रहीं 9 ज्वालों को पूजा जाता है. लेकिन ये ज्वाला कहां से निकल रही हैं यह कोई नहीं जानता है.

जलती हैं कुल नौ ज्वालाएं
ज्वाला देवी के मंदिर में कुल नौ ज्वालाएं जलती हैं, जिसमें से एक प्रमुख ज्वाला है. वो चांदी के दीपक में जलती है. हालांकि यहां पर सभी ज्वालाओं के अपने नाम हैं. प्रमुख ज्वाला को महाकाली कहा जाता है तो वही बाकी आठ ज्वालाओं के नाम, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यवायिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी है.

नवरात्रि के दिनों में भक्तों की काफी भीड़ होती है. कई राज्यों से लोग इस मंदिर में मां के दर्शन करने आते हैं. ज्वाला देवी मंदिर की आरती काफी मशहूर है. इस मंदिर में मां की पांच बार आरती होती है. जिसके बाद ही मां के मंदिर के कपाट बंद किए जाते . मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां से जो भी मांगता है उसकी हर इच्छा पूरी होती है. कोई  भी मां के दरबार से खाली नहीं जाता है.

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