2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में अकेले रहने वाले लोगों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ थी. ये आंकड़े आज से 10 साल पहले के हैं और अब इस संख्या में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है. WHO ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि भारत में 20 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन सहित कई अन्य मानसिक बीमारियों के शिकार हैं.
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नई दिल्ली: देश की सेवा करने वाले लोग जब अपनी जान लेने का फैसला खुद ही कर लें, तो बहुत दु:ख होता है और चिंता भी. चिंता इसलिए क्योंकि आत्महत्या करने का एक बड़ा कारण है- डिप्रेशन. यह अपने आप में एक गंभीर बीमारी है, जो सिर्फ भारत में नहीं दुनिया में महामारी का रूप ले चुकी है. यह बात आज हम आपसे दो वजहों से कर रहे हैं.
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पहली वजह- दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में एक रिटायर्ड IFS अधिकारी ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली.
दूसरी वजह - हाल ही में जापान ने आत्महत्या को रोकने के लिए अलग से एक मंत्रालय बना दिया है, जिसके लिए बकायदा एक मंत्री भी नियुक्त किया गया है.
इस खबर को आप एक रिपोर्ट की तरह नहीं, बल्कि गंभीर खतरे के अलार्म की तरह देखें...
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France में भारत के एंबेसडर थे रंजीत शेट्टी
दिल्ली की पॉश डिफेंस कॉलोनी के एकआलीशान घर में रहने वाले रिटायर्ड IFS अधिकारी रंजीत शेट्टी ने खुद को गोली मार ली. फ्रांस में भारत के एम्बेसडर रह चुके रंजीत शेट्टी की आत्महत्या की वजह बीमारी और डिप्रेशन बताया जा रहा है.
Workplace Depression भी है गंभीर मुद्दा
2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में अकेले रहने वाले लोगों की संख्या करीब डेढ़ करोड़ थी. ये आंकड़े आज से 10 साल पहले के हैं और अब इस संख्या में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है. WHO ने खुद इस बात की जानकारी दी है कि भारत में 20 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन सहित कई अन्य मानसिक बीमारियों के शिकार हैं. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, देश में काम करने वाले करीब 42 प्रतिशत कर्मचारी Depression और Anxiety से पीड़ित हैं. इतना ही नहीं, भारत के कामकाजी लोगों पर हुए एक सर्वे में पाया गया है कि देश में हर 5 में से 1 नौकरी पेशा व्यक्ति Workplace Depression का शिकार है.
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क्या भारत को भी जरूरत है Loneliness Ministry की?
डिप्रेशन और अकेलापन एक ऐसी फीलिंग है, जिसे कभी-कभी भीड़ में मौजूद होने के बाद भी खत्म नहीं किया जा सकता. भारत समेत पूरी दुनिया के सामने यह बड़ी समस्या है और इसे सिर्फ समाज की जिम्मेदारी समझकर नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा. ऐसे में क्या समय आ गया है कि भारत में भी अकेलेपन का मंत्रालय बने? ठीक वैसे ही जैसे हाल ही में जापान में बनाया गया है?
जापान को मिला Minister of Loneliness
जापान के तात्सुशी सकामोतो को वहां का मिनिस्टर ऑफ Loneliness नियुक्त किया गया है. Loneliness का मतलब होता है अकेलापन. यानी, सकामोतो को जापान में एक ऐसा मंत्रालय दिया गया है जिसका काम अकेलेपन से लड़ने में लोगों की मदद करना और आत्महत्या की घटनाओं पर लगाम लगाना है. जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने हाल ही में अपनी कैबिनेट में 'Minister of Loneliness' का पद जोड़ा था.
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जापान का सुसाइड रेट पूरी दुनिया के ऐवरेज से लगभग दोगुना
साल 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 1 लाख लोगों में औसतन 10 लोग आत्महत्या करते हैं. लेकिन जापान में इसकी संख्या ज्यादा और चिंतजनक है. वहां, हर 1 लाख लोगों में से 18 से अधिक लोग अपनी जान ले लेते हैं. यानी जापान में आत्महत्या करने वालों की संख्या पूरी दुनिया के औसत से लगभग दोगुना है.
ब्रिटेन की तर्ज पर जोड़ा गया अकेलेपन का मंत्रालयये भी देखें: क्या इस पेड़ पर उग गई हैं 'बकरियां'? Video देख कर तो ऐसा ही लगता है!
गौरतलब है कि दुनिया में सबसे पहले साल 2018 में ब्रिटेन ने 'अकेलेपन का मंत्रालय' बनाया था और अब जापान ने भी यह कदम उठाया है. जापान एक संपन्न देश है. उसकी गिनती दुनिया के विकसित देशों में होती है. अब जापान अकेलेपन से लड़ने के नए तरीके ढूंढने में लगा है. इसे देखते हुए समय आ गया है कि भारत को भी अकेलेपन और अवसादग जैसे गंभीर विषय पर ध्यान देना चाहिए.
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