Deen Dayal Upadhyay: आज भी नहीं सुलझी भाजपा के पितृ पुरुष के निधन की गुत्थी, जानें उस रात क्या हुआ था
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Deen Dayal Upadhyay: आज भी नहीं सुलझी भाजपा के पितृ पुरुष के निधन की गुत्थी, जानें उस रात क्या हुआ था

साल 1951 में संघ की मदद से श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की शुरुआत की थी. उस समय संघ ने संगठन की देखरेख का जिम्मा दीनदयाल उपाध्याय को दिया...

Deen Dayal Upadhyay: आज भी नहीं सुलझी भाजपा के पितृ पुरुष के निधन की गुत्थी, जानें उस रात क्या हुआ था

नई दिल्ली: साल 1916 में आज के दिन ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था. दीनदयाल उपाध्याय को आज भी एक राष्ट्रवादी नेता के तौर पर याद किया जाता है. वे गरीबों और दलितों के हक के लिए हमेशा लड़े. लेकिन, इतने बड़े नेता होने के बावजूद, उनके देहांत के 53 साल बाद भी आज तक यह नहीं पता लगाया जा सका कि उनकी मृत्यु कैसे हुई.

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1937 में आरएसएस से मिले
दीनदयाल उपाध्याय महज तीन साल के थे जब उनके पिता का देहांत हो गया. 7 साल के हुए तो माता का हाथ भी उनके सिर से उठ गया. मुश्किलों में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1937 के करीब वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. 

जनसंघ पार्टी को यूं दी मजबूती
साल 1951 में संघ की मदद से श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की शुरुआत की थी. उस समय संघ ने संगठन की देखरेख का जिम्मा दीनदयाल उपाध्याय को दिया. यहां से उपाध्याय के राजनीति करियर की शुरुआत हुई. साल 1953 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद दीनदयाल उपाध्याय ने ही जनसंघ की सारी जिम्मेदारियां संभाली. वे 15 साल तक जनसंघ के महामंत्री रहे और पार्टी को मजबूती दी. उन्होंने जनसंघ को जन-जन तक पहुंचाया. इसके बाद 1967 में वे पार्टी के अध्यक्ष बने.

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रहस्यमयी है दीन दयाल उपाध्याय का निधन
अध्यक्ष रहते हुए, साल 1978 की 10 फरवरी को दीनदयाल लखनऊ से पटना जा रहे थे. इसके लिए वे सियालदाह एक्सप्रेस में बैठे. लेकिन, रात करीब 2 बजे, जब ट्रेन मुगलसराय स्टेशन पर पहुंची, तो वह ट्रेन में नहीं थे. स्टेशन के नजदीक ही उनकी लाश पड़ी मिली थी. यह आज तक पता नहीं लग सका है कि उनकी मौत का कारण क्या था. पंडित दीन दयाल उपाध्याय का निधन आज भी एक रहस्य बना हुआ है.

मुगलसराय स्टेशन का नाम उनके नाम पर
बता दें, पंडित दीन दयाल उपाध्याय की याद में 156 साल पुराने मुगलसराय स्टेशन का नाम पं. दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया गया था. 

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मनाया जाता है अंत्योदय दिवस
जानकारी के लिए बता दें कि 25 सितंबर को ही अंत्योदय दिवस भी मनाया जाता है. दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसे राष्ट्रवादी नेता थे, जो गरीबों और दलितों के हित के लिए काम करते थे. इसलिए उनकी जन्मतिथि पर आज का दिन समाज के सबसे कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए समर्पित किया गया है.

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