कन्नौज के इस मंदिर में अनाज चढ़ाने से बढ़ती है खेत की पैदावार, UP ही नहीं MP से भी दौड़े चले आते भक्त
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कन्नौज के इस मंदिर में अनाज चढ़ाने से बढ़ती है खेत की पैदावार, UP ही नहीं MP से भी दौड़े चले आते भक्त

कन्नौज जिले के तिर्वा कस्बे के ठठिया चौराहा पर मां सिद्ध पीठ मां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है, जहां हर वर्ष की भांति गुरु पूर्णिमा पर अषाढ़ी का भव्य मेला लगा. बताया जा रहा है कि करीब 90 वर्षों से मेले का आयोजन मां अन्नपूर्णा मंदिर कमेटी करती है.

कन्नौज के इस मंदिर में अनाज चढ़ाने से बढ़ती है खेत की पैदावार, UP ही नहीं MP से भी दौड़े चले आते भक्त

प्रभम श्रीवास्त/कन्नौज:उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मंदिर मौजूद है, जहां पर अन्न चढ़ाने से खेत में अधिक पैदावार होती है. इस मान्यता के आधार पर दूर-दूर से भक्त दौड़े चले आते हैं  हम बात कर रहे हैं अन्न की देवी सिद्धपीठ मां अन्नपूर्णा मंदिर की. जहां दो वर्ष बाद गुरु पूर्णिमा पर भव्य मेला लगा. यहां मध्य प्रदेश से लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों के श्रद्धालु पहुंचे. उन्होंने सिद्ध पीठ मां अन्नपूर्णा के दर्शन कर अपने साथ लाए सात प्रकार के अनाज को वहां चढ़ाया और परिक्रमा की. श्रद्धालुओं का मानना है कि चढ़ाए गए अनाज और यहां की मिट्टी ले जाकर खेत में डालने से अनाज की पैदावार में बढ़ोतरी होती है.

90 वर्षों से मेले का हो रहा है आयोजन 
कन्नौज जिले के तिर्वा कस्बे के ठठिया चौराहा पर मां सिद्ध पीठ मां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है, जहां हर वर्ष की भांति गुरु पूर्णिमा पर अषाढ़ी का भव्य मेला लगा. बताया जा रहा है कि करीब 90 वर्षों से मेले का आयोजन मां अन्नपूर्णा मंदिर कमेटी करती है. इसमें लाखों श्रद्धालु हर साल आषाढ़ी पूर्णिमा पर दर्शन करने आते हैं. इस बार भी मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु कई जिलों से दर्शन करने पहुंचे. श्रद्धालुओं का मानना है कि गुरु पूर्णिमा पर कन्नौज में गंगा स्नान के बाद माता अन्नपूर्णा मंदिर में दर्शन कर मंदिर की परिक्रमा कर सात प्रकार का अनाज चढ़ाने से घर में अनाज की कभी कमी नहीं होती है. इसके साथ ही श्रद्धालुओं का मानना यह भी है कि मंदिर की मिट्टी और चढ़ा हुआ अनाज ले जाकर अपने खेतों में डालने से पैदावार अच्छी होती है.

यूपी और एमपी के इन दिनों से आएं श्रद्धालु 
मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया, ग्वालियर, बुंदेलखंड से झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, औरैया, इटावा, मैनपुरी, एटा, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, शिकोहाबाद, शाहजहांपुर, हरदोई समेत कई  जिलों से श्रद्धालु दर्शन करने आए.

क्या है मंदिर का इतिहास 
तिर्वा के राजा प्रीतम सिंह अन्नपूर्णा देवी के दर्शन करने प्रतिवर्ष नवरात्र में काशी नगरी बनारस जाया करते थे. उनकी आस्था से प्रसन्न होकर देवी मां ने स्वप्न दिया. मां ने स्थान बताया और वहां पर खुदाई करके प्रतिमा निकालने को कहा. इसके बाद वहीं पर मंदिर का निर्माण करने को भी कहा. राजा ने 16 वीं शताब्दी में मां की कृपा से खुदाई कराकर मंदिर निर्माण कराया. मंदिर के द्वार के निकट दक्षिण दिशा में स्थित प्रतिमा मां अन्नपूर्णा जी की है. मंदिर में भगवती त्रिपुर सुंदरी लक्ष्मी जी की प्रतिमा श्रीयंत्र के केंद्र बिदु पर स्थापित है. इसको हाथियों से अभिमंत्रित करके बांधा गया. मंदिर के नीचे तीन दिशाओं में हाथियों की श्रृंखला बनी हुई है. आषाढ़ की गुरू पूर्णिमा को सबसे विशाल मेला एक दिवसीय लगता है.

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