UP Madarsa Condition: उत्तर प्रदेश के मदरसों की स्थिति का जायजा लिया ज़ी मीडिया के रिपोर्टर्स ने. रियलटी चेक में मालूम हुआ कि कई ऐसे मदरसे हैं जो रजिस्टर्ड भी नहीं हैं और कहीं पर शिक्षा का स्तर बहुत गिरा हुआ है. पढ़ें खबर-
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UP Madarsa Condition: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरकारी, सहायता प्राप्त और गैर सरकारी मदरसों के सर्वे के आदेश दिए हैं. इसी के तहत जिले भर में सभी मदरसों का निरीक्षण किया जा रहा है. सरकार की मंशा है कि यूपी में एजुकेशन सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना जरूरी है. ऐसे में सभी मदरसों का सर्वे किया जा रहा है. इसी के तहत ज़ी यूपी-उत्तराखंड भी अलग-अलग जिलों में मदरसों का हाल जानने के लिए पहुंचा.
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बरेली के बच्चों के जवाब संतुष्टि भरे नहीं...
बरेली में जामिया तहसिनिया जिया उल उलूम सहित कई मदरसों का जायजा लिया गया. वहां जाकर बच्चों और उलेमाओं से बात की. मौलानाओं का दावा था कि उनके मदरसों में दीनी शिक्षा के साथ-साथ बुनियादी तालीम भी दी जाती है. लेकिन, जी मीडिया ने जब बच्चों से बात की तो उनके जवाब से साफ जाहिर हो रहा था कि उनको मदरसों में सिर्फ दीनी शिक्षा ही दी जाती है. नेताओं के बारे में पूछा गया तो उनके जवाब ज्यादा संतुष्टि भरे नहीं थे, लेकिन पसंदीदा नेता के नाम पर उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी का ही नाम लिया. वहीं, मदरसे के उलेमाओं ने योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि योगी जी की इस पहल की वह तारीफ करते हैं.
बाराबंकी के मदरसों की ग्राउंड रियलटी
बाराबंकी के एक मदरसे में बच्चे जो कंप्यूटर चला रहे हैं, उन्हें अपना नाम भी टाइप करना नहीं आ रहा. कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया था, उन्हें यह भी नहीं पता. वहीं, बच्चे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक का नाम नहीं जानते थे. न ही राष्ट्रगान बता पाए. वहीं, एक टीचर ने यह भी बताया कि यहां धार्मिक पढ़ाई ही होती है.
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सिद्धार्थनगर के मदरसों का भी यही हाल
उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के वेरिफिकेशन के आदेश के बाद सिद्धार्थनगर के मदरसों का हाल देखा गया. सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय स्थित यह मदरसा अशरफिया ज़िया उल उलूम है. दो मंजिला बने इस मदरसे में हाफिज ए कुरान के साथ-साथ कक्षा 8 तक की पढ़ाई होती है. यह मदरसा रजिस्टर्ड है और यहां पर दीनी शिक्षा के साथ-साथ अंग्रेजी, गणित, हिंदी की भी पढ़ाई होती है. हालांकि, इस मदरसे में बच्चों के बैठने के लिए बेंच और खेलकूद के लिए ग्राउंड का इंतजाम नहीं है. बच्चे जमीन पर टाट बिछाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. स्कूल के बच्चों से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे यहां मदरसे में कुरान और अन्य सब्जेक्ट पढ़ रहे हैं और भविष्य में कोई हाफिज ए कुरान तो कोई पुलिस इंस्पेक्टर बनना चाहता है.
आजमगढ़ में बहुत से मदरसे गड़बड़ी के केंद्र
मदरसे शिक्षा केंद्र पर जांच की आंच. सभी विषयों पर पठन-पाठन का दावा किया जा रहा है. आजमगढ़ में मदरसों की संख्या 465 से ज्यादा बताई जा रही है, जिसमें 387 मदरसे पंजीकृत हैं और कुछ बिना पंजीकरण के ही चल रहे हैं. मदरसा इस्लामिया जमीयतुल कुरैश जालंधरी में देखा गया यहां 600 से अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. मदरसे में हिंदी, उर्दू, फारसी, मैथ, साइंस, सोशल साइंस, पर्यावरण शिक्षा, सामान्य ज्ञान समेत आधुनिक शिक्षा दी जा रही है. हालांकि, इस मदरसे में कंप्यूटर लगाने की बात कही जा रही है, लेकिन अभी शिक्षा नहीं दी जा रही. अब मदरसों में कुर्सी मेज की व्यवस्थाएं कर दी गई हैं. तो वहीं मिड डे लंच भी कराया जाता है.
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आजमगढ़ के मदरसों का कनेक्शन कई बार आतंक से निकला
आज़मगढ़ में आतंकवाद और मदरसे का कनेक्शन रहा है. जैसे तारिक कासमी रहे हों या अबू बशर, ये मदरसे में शिक्षक थे और इनका नाम देश के विभिन्न हिस्सों में हुए बम विस्फोट में सामने आया था. इन्हें गिरफ्तार भी किया गया है. वहीं, सिमी संगठन के समय मदरसे से जुड़े डॉ. साहिद बद्र का भी नाम जुड़ा. जनपद आजमगढ़ में लगभग 465 से अधिक मदरसे चल रहे हैं, जबकि 2 वर्ष पूर्व ज़िले के 35 मदरसे जांच में फर्जी पाए गए. जिन मदरसों का अस्तित्व ही नहीं था, उन्हें निरस्त कर दिया गया.
मदरसों के सर्वे को लेकर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह बड़ा बयान आया. पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि मानक सबके लिए हैं, उनका अनुपालन करना जरूरी है. उत्तर प्रदेश किसी भी धार्मिक नेता का फतवा मानने वाला नहीं है.
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