उत्तराखंड: RTE कानून की उड़ रही है धज्जियां, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा है प्रवेश
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उत्तराखंड: RTE कानून की उड़ रही है धज्जियां, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा है प्रवेश

अभिभावकों की शिकायत पर बाल आयोग ने शिक्षा महानिदेशक को इसकी विस्तृत जांच के आदेश दिए है.

बाल आयोग को ऐसी कई शिकायतें मिली है. (प्रतीकात्मक फोटो)

देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार कानून की निजी स्कूल धज्जियां उड़ा रहे हैं. जिले स्तर पर जिन बच्चों का चयन लॉटरी के माध्यम से हुआ है उन्हें भी दाखिला नही दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ये सिलसिला पिछले कई सालों से चल रहा है. बाल आयोग को ऐसी कई शिकायतें मिली है. 

अभिभावकों की शिकायत पर बाल आयोग ने शिक्षा महानिदेशक को इसकी विस्तृत जांच के आदेश दिए है. लेकिन इस कारण शिक्षा के अधिकार कानून पर भी सवाल खड़ा हो रहा है. आम लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कानून इसीलिए बनाया गया था कि स्कूल संचालक अपनी मनमर्जी करते रहे और नौनिहाल के अभिभावक दर दर की ठोकरें खाते रहे?

उत्तराखंड बाल अधिकार आयोग के पास आ रही है शिकायतें
उत्तराखंड में हर साल 1 लाख सीटों पर शिक्षा के अधिकार कानून से गरीब बच्चों का दाखिला दिया जाता है. हर जिले स्तर पर ऑनलाईन आवदेन के माध्यम से आरटीई बच्चों का चयन लॉटरी से होता है. डालनवाला क्षेत्र में रहने वाले इमरान और निशाद जहां की बेटी हना का चयन पिछले वर्ष आरटीई के माध्यम से द हरिटेज स्कूल में हुआ था. लेकिन कोशिश करने के बाद भी उनकी बेटी हना को स्कूल ने एडमिशन नही दिया. हना की मां उस समय गर्भवती थी और स्कूल के कई चक्कर काटने के बाद भी उसका दाखिला नही हो पाया. आज भी हना इसी उम्मीद में है कि उसका दाखिला किसी अच्छे अंग्रेजी स्कूल में होगा.

हना को नहीं मिला स्कूल में दाखिला
डालनवाला क्षेत्र में एक छोटे से कमरे में रह रही हना बड़े अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ना चाहती है. फिलहाल वो अपने मोहल्ले में ही बच्चों के साथ ट्यूशन पढ़ रही है. उसके पिता एक टेलर है और किसी तरह घर का गुजारा करते है. 

सरकार से किया सवाल
हना की मां ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि बेटी को अच्छे स्कूल में दाखिला हो जाएगा. जब पिछले साल द हरिटेज स्कूल में चयन हुआ था तो दाखिला नहीं मिला और इस साल लॉटरी में उनकी बेटी का नाम नहीं आया. वो ये भी जानना चाहती है कि आखिर उनकी बेटी की सीट पर कौन पढ़ रहा है.

बाल आयोग में दर्ज की शिकायत
हना के पिता ने जब बाल आयोग में शिकायत की तो आयोग ने द हैरिटेज स्कूल के साथ ही आरटीआई दाखिला की विस्तृत रिपोर्ट शिक्षा महानिदेशालय से तलब कर दी है. बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों से आरटीई की रिपोर्ट मंगवाई गई है.

राज्य सरकार ने नहीं दी धनराशि
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार आरटीई के तहत स्कूलों को दी जाने वाली धनराशि नहीं दे पा रहे है और स्कूल भी बच्चों के प्रवेश से पल्ला झाड रहे है. इन सबके बीच नुकसान उन बच्चों का हो रहा हो जो अच्छे स्कूलों में पढना चाहते है. दरअसल निजी स्कूलों को राज्य सरकार ने आरटीई के तहत करोड़ों की धनराशि देनी है जो अभी तक नही दी गई है. 

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