Uttarakhand Glacier Burst: दुनियाभर के ग्लेशियरों पर मंडरा रहा पिघलने का खतरा, India को भी होगा बड़ा नुकसान
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Uttarakhand Glacier Burst: दुनियाभर के ग्लेशियरों पर मंडरा रहा पिघलने का खतरा, India को भी होगा बड़ा नुकसान

बढ़ता प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन, ओजोन परत में छेद जैसे कई प्रमुख कारण हैं,जिनकी वजह से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. IPCC ने चेतावनी दी है कि यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इस सदी के अंत तक हिमालय के ग्लेशियर अपनी एक तिहाई बर्फ खो सकते हैं.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही एक चेतावनी है कि यदि ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते खतरों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो परिणाम इससे भी भयानक होंगे. ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. हिमालय से लेकर ग्रीनलैंड तक ग्लेशियर पिघलने (Glacier Melting) के खतरे से जूझ रहे हैं. इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की एक रिपोर्ट बताती है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में बर्फ की परत लगभग 400 अरब टन कम हुई है. इससे न केवल समुद्र का जलस्तर बढ़ने की आशंका है, बल्कि, कई देशों के प्रमुख शहरों के डूबने का खतरा भी बढ़ गया है. 

  1. हर साल तेजी से पिघल रहे हैं ग्लेशियर 
  2. बढ़ता प्रदूषण पिघलने की सबसे बड़ी वजह
  3. आने वाले सालों में और बुरे होंगे हालात

दुनियाभर में इतने Glacier

दुनिया में करीब 198,000 से लेकर 200000 ग्लेशियर (Glacier) हैं. इनमें 1000 को छोड़ दें, तो बाकी ग्लेशियरों का आकार काफी छोटा है. जीवाश्म ईंधनों का बेहताशा इस्तेमाल, ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन, ओजोन परत में छेद जैसे कई प्रमुख कारण हैं, जिससे ये ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. IPCC ने चेतावनी दी है कि इस सदी के अंत तक हिमालय के ग्लेशियर अपनी एक तिहाई बर्फ खो सकते हैं. इतना ही नहीं, यदि प्रदूषण इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो यूरोप के 80 फीसदी ग्लेशियर भी 2100 तक पिघल जाएंगे.

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ये देश होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से दुनिया पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. आज भी दुनिया की अधिकांश आबादी साफ पानी के लिए ग्लेशियरों पर निर्भर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिमालय के ग्लेशियरों से मिलने वाले पानी से करीब दो अरब लोग लाभान्वित होते हैं. खेती के लिए पानी भी इन्हीं ग्लेशियरों से मिलता है. यदि इन ग्लेशियरों से पानी आना बंद हो जाए तो भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. इसी तरह, यूरोप में भी पीने के पानी का अकाल पड़ जाएगा.  

UN ने भी किया आगाह

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पर्यावरण रिपोर्ट में आगाह किया है कि समुद्रतल में इजाफा होने से 2050 तक भारत के मुंबई और कोलकाता सहित कई शहर खतरे की जद में आ सकते हैं. इसके अलावा नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेडिअंट फिंगरप्रिंट मैपिंग (GFM) टूल से पता लगा है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में तेजी से ग्लेशियरों के पिघलने से कर्नाटक के मंगलोर पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. वहीं, द ग्लोबल एन्वायरन्मेंट आउटलुक (जीईओ-6) की रिपोर्ट कहती है कि इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता, मालदीव, चीन का गुआंगझो और शंघाई, बांग्लादेश का ढाका, म्यांमार का यंगून, थाईलैंड का बैंकाक और वियतनाम का हो ची मिन्ह सिटी तथा हाइ फोंग ग्लेशियर पिघलने से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.

 

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