वर्चुअल कोर्ट ने बढ़ाया युवा वकीलों का आत्मविश्वास, कार्य क्षमता भी बढ़ी: जस्टिस चंद्रचूड़
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वर्चुअल कोर्ट ने बढ़ाया युवा वकीलों का आत्मविश्वास, कार्य क्षमता भी बढ़ी: जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि युवा वकीलों में आत्मविश्वास की भावना है, अब वह सैंकड़ों वकीलों के सामने फिजिकल कोर्ट में बहस से झिझकते नहीं हैं, जो कि युवा वर्ग के लिए एक नया आयाम है. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y. Chandrachud ) ने कहा है कि वर्चुअल कोर्ट (Virtual Court) से युवा वकीलों, खासकर महिला वकीलों में आत्मविश्वास और कार्य क्षमता में सराहनीय वृद्धि  हुई है. उन्होंने कहा कि मैं विशेष रूप से उन युवा वकीलों की संख्या से प्रभावित हुआ हूं जो वुर्चअल कोर्ट के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं. 

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने आगे कहा कि युवा वकीलों में आत्मविश्वास की भावना है, अब वह सैंकड़ों वकीलों के सामने फिजिकल कोर्ट में बहस से झिझकते नहीं हैं, जो कि युवा वर्ग के लिए एक नया आयाम है. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्यों के भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से अदालतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए ताकि जजों को भूमि पर होने वाले अतिक्रमणों का पता लग सके.

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जस्टिस चन्द्रचूड़ ने महिला वकीलों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि युवा महिलाएं अपने घर और ऑफिस में बहुत जिम्मेदारियां निभाती हैं. वर्चुअल कोर्ट युवा महिला वकीलों के लिए उच्च स्तरीय कार्य क्षमता को सुनिश्चित कर रही है. वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई होने से वह जानती हैं कि उनका केस सुनवाई के किस समय आएगा. ऐसे में उन्हें अपने मामले की सुनवाई के लिए पूरा दिन अदालत में इंतजार नहीं करना पड़ता है. यह एक उल्लेखनीय और आने वाले डिजिटल युग का एक सफल बदलाव है.

गौरतलब है कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने मद्रास हाई कोर्ट की पांच ई-कोर्ट परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन किया और इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए यह सब बातें कहीं. चंद्रचूड़ ने ई-सेवा केंद्रों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हम न्यायपालिका के सदस्य के रूप में एक मुवक्किल को यह नहीं कह सकते हैं कि हम आपको सेवाएं नहीं दे सकते, क्योंकि आपके पास इंटरनेट या स्मार्टफोन नहीं है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने यह सुनिश्चित करने का दायित्व लिया है कि देश की हर अदालत में ई-सेवा केंद्र बनाए जाएं.

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इस दौरान कोरोना और लॉकडाउन के बीच पिछले पांच महीनों में ई-कोर्ट के कामकाज को दिखाने के लिए आंकड़े भी साझा किए. 24 मार्च से 13 सितंबर के बीच भारत की जिला अदालतों में 34.74 लाख मामले दायर किए गए और 15.32 लाख मामलों का निपटारा किया गया. इस अवधि के दौरान जहां तक सुप्रीम कोर्ट का संबंध है, तो 6957+550 मामले क्रमशः वर्चुअल व फिजिकली रूप से दायर किए गए. जबकि 15,397 मामले बोर्ड पर सूचीबद्ध किए थे. करीब 8429 मामलों का निस्तारण किया गया.

जस्टिस चन्द्रचूड़ कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को सुनने वाले लगभग 95,000 वकील थे. वर्चुअल कोर्ट के जरिए 245 व्यक्ति पार्टी-इन-पर्सन के रूप में पेश हुए. 24 मार्च से 13 सितंबर की अवधि के दौरान वर्चुअल हियरिंग के माध्यम से 5,000 अधिवक्ता वास्तव में (सुप्रीम कोर्ट में) उपस्थित हुए. उन्होंने आगे कहा कि एनएसटीईपी जैसी परियोजनाएं सम्मन की सेवाओं में देरी और भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती हैं. ई-कोर्ट सेवाएं यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि न्याय प्रणाली हर आम नागरिक के लिए सुलभ हो. उन्होंने यह भी कहा कि ई-कमेटी विभिन्न भाषाओं में युवा वकीलों को ट्यूटोरियल देने की योजना बना रही है ताकि वे न्यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के उपयोग को आसानी से अपना सकें.

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