Nitin Gadkari On Ratan Tata: रतन टाटा इतिहास में अमर हो गए हैं. कुछ घंटे पहले भारत ने अपने सपूत को भावभीनी विदाई दी. हजारों आम नागरिकों से लेकर दिग्गजों ने अंतिम यात्रा से पहले उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अब उनकी यादें हैं जो लोगों को याद आ रही हैं. एक किस्सा सोशल मीडिया पर वायरल है जो नितिन गडकरी ने शेयर किया था.
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Ratan Tata Death: देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन से पूरा देश गमगीन है. वह भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी सादगी आने वाले कई दशकों तक लोगों को याद आती रहेगी. ऐसा ही रतन टाटा का एक किस्सा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ समय पहले सुनाया था. उन्होंने बताया था कि मैं तब मुंबई में मालाबार हिल्स में रहता था. रतन टाटा मुझे मिलने के लिए आ रहे थे. बीच में रास्ता भूल गए. टाटा ने फोन किया, 'नितिन, मुझे आपका घर नहीं मिल रहा है.'
मैंने कहा, ड्राइवर को फोन दीजिए...
गडकरी ने उनसे कहा कि आप अपना फोन ड्राइवर को दीजिए. टाटा ने जवाब दिया, 'नितिन, मेरे पास ड्राइवर नहीं है. मैं ही गाड़ी चला रहा हूं.' एक कार्यक्रम में मंच से यह किस्सा सुनाते हुए गडकरी ने मुस्कुराते हुए बताया था, 'मैं बोला कि तुम इतने बड़े आदमी हो और तुम्हारे पास ड्राइवर नहीं है. वह बोले- नहीं है.'
बैग पकड़ो टाटा साहब का
एक बार गडकरी रतन टाटा को नागपुर लेकर आए थे. उन्होंने कहा कि हमारे सरकारी मंत्री थे, मैंने उनसे कहा कि हे बैग पकड़ टाटा साहब का. टाटा बोले- नो, नो नितिन. ये मेरा बैग है. मैं इसे लिए रहूंगा. फिर वह गाड़ी में बैठे. मैंने कहा कि ड्राइवर के अपोजिट आप इधर बैठिए, मैं उधर बैठता हूं वह बोले- नो, नो. ये आपकी जगह है.
आखिर में गडकरी ने कहा कि इतनी बड़ी संपत्ति होने के बाद भी कितनी विनम्रता, कितनी शालीनता, कितनी सहजता... यहां तो 10-20 करोड़ रुपये आए तो गाना शुरू हो जाता है कि साला मैं तो साहब बन गया. (गडकरी समेत सभागार में मौजूद सभी लोग हंस पड़े) साहब बन के कैसा तन गया. रूप मेरा देखो... चाय से केतली गरम होती है उसके पीए और पीएस तो और भी गरम होते हैं. साहब हैं, साहब हैं.
रतन टाटा सबसे अलग है !
नितिन गडकरी जी और रतन टाटा जी की दोस्ती
pic.twitter.com/TdG3r9iYgn— Debashis Das (@DebashisSpeaks) July 4, 2024
आगे गडकरी ने अपना किस्सा सुनाया. बोले कि एक बार मेरा पैर टूटा था. उन्हें नांदेड जाना था. गडकरी के पीए ने स्टेशन मास्टर से बोला कि गडकरी साहब आ रहे हैं. 2 नंबर पर गाड़ी खड़ी होगी तो उनको चलने में तकलीफ होगी. ये नंबर 1 पर लाओ. उसने कहा कि ये तो अपोजिट डायरेक्शन है. नहीं-नहीं बोले उधर लाओ. गडकरी बोले कि मैं सुबह उठा तो देखा पहले नंबर पर गाड़ी. मैंने बोला कि ये कैसे हुआ. उसने कहा कि सर, मैंने ही स्टेशन मास्टर को कहा कि इस पर लाओ. जबकि गडकरी ने ऐसा करने को नहीं कहा था.