Artificial Sweeteners से कैंसर होता है या नहीं, आखिर क्या है WHO की हां-हां, ना-ना की वजह
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Artificial Sweeteners से कैंसर होता है या नहीं, आखिर क्या है WHO की हां-हां, ना-ना की वजह

Artificial Sweeteners causes Cancer: कोल्ड ड्रिंक्स, च्यूइंगम, या चाय-कॉफी में डाली जाने वाली गोलियां उन सभी में आर्टिफिशियल स्वीटनर इस्तेमाल होता है. इन प्रोडक्ट्स में बड़े पैमाने पर एस्पार्टेम की मौजूदगी होती है. एस्पार्टेम में मिथाइल एस्टर नामक एक कार्बनिक कंपाउंड है. पहले कहा गया था कि इससे कैंसर होता है.

Artificial Sweeteners से कैंसर होता है या नहीं, आखिर क्या है WHO की हां-हां, ना-ना की वजह

Artificial Sweeteners are safe or not: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweeteners) एस्पार्टम (Aspartame) को लेकर फाइनल नतीजे जारी किए हैं. WHO की रिपोर्ट में इसे पूरी तरह कैंसर कारक बताने से बचा गया है. WHO ने इस बार दो अलग-अलग संस्थाओं के साथ मिलकर जो फाइनल रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि एस्पार्टेम कैंसर कारी है या नहीं इस बारे में लिमिटेड सुबूत हैं. यानी इंसानों में इस आर्टिफिशियल स्वीटनर से कैंसर होता है या नहीं, सीधे तौर पर ऐसा नहीं कहा जा सकता. WHO ने इसे Possibly Carcinogenic बताया है, यानी ऐसा हो सकता है कि इससे कैंसर हो. हालांकि इसके साथ ही एस्पार्टम को रोजाना प्रति किलो वजन पर 40 एमजी के हिसाब से लेना स्वीकार्य भी बताया गया है.

कहां इस्तेमाल होता है एस्पार्टेम?

एस्पार्टेम Aspartame एक केमिकल वाला मीठा है जिसे 1980 से डायट ड्रिंक्स में इस्तेमाल किया जा रहा है. शुगर फ्री च्युंइग गम से लेकर आइसक्रीम यहां तक कि कफ सिरप से लेकर शुगर फ्री टूथपेस्ट तक में एस्पार्टेम का प्रयोग किया जाता है. अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की फीड डिवीजन के निदेशक डॉक्टर फ्रैंसिस्को के मुताबिक दुनिया में कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ी है. हर 6 में से एक व्यक्ति को कैंसर है. ऐसे में इस स्वीटनर के बारे में हमने भी संभावित नुकसान के बारे में आगाह किया है जिन्हें पुख्ता तौर पर साबित करने के लिए और अधिक स्टडी करने की जरुरत है.

पर्याप्त सूबुत ना होने की बात

WHO के साथ मिलकर जिन दो संस्थाओं ने ये रिसर्च की है उसमें से International Agency for Research on Cancer (IARC) ने पहली बार जबकि  Food and Agriculture Organization (FAO) Joint Expert Committee on Food Additives (JECFA) ने तीसरी बार एस्पार्टेम की स्टडी की है. IARC ने इस आर्टिफिशियल मीठे को लिवर कैंसर से जोड़ा है लेकिन फाइनल नतीजों में सीमित सूबूत बताए हैं. जानवरों पर की गई स्टडी में भी कैंसर के कारण के तौर पर साबित करने के पर्याप्त सूबुत ना होने की बात कही है.

आंकड़ों से समझिए डेंजर लेवल

इसके बाद ज्वाइंट कमेटी ने फैसला दिया है कि एक व्यक्ति के लिए प्रति किलो वज़न के हिसाब से रोजाना 40 एमजी एस्पार्टेम लेना सुरक्षित है.

इस गणित से देखें तो अगर एक 70 किलो वजन का इंसान एक डायट ड्रिंक की कैन पी लेता है जिसमें 200 से 300 एमजी एस्पार्टेम होता है तो 9 कैन के बाद ही वो रोजाना की लिमिट को क्रॉस कर पाएगा – बशर्ते उस इंसान ने सॉफ्ट ड्रिंक कैन के अलावा एस्पार्टेम वाली कोई और चीज नहीं खाई है. यानी WHO की इस कमेटी के मुताबिक एस्पार्टेम से कैंसर होता है या नहीं? ये कहने के लिए अभी पर्याप्त सुबूत नहीं हैं.

हालांकि एस्पार्टेम पर सवाल तो काफी पहले से उठते रहे हैं. कुछ इंटरनेशनल स्टडीज़ में ये बात सामने आ चुकी है कि एस्पार्टेम स्वीटनर के लगातार इस्तेमाल से शरीर के कई अंगों में करीब 92 तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

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