गिरता रुपया.. कोयला घोटाला और महंगाई, UPA काल पर 'श्वेत पत्र' में मोदी सरकार ने चुन-चुनकर गिनाईं नाकामियां
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गिरता रुपया.. कोयला घोटाला और महंगाई, UPA काल पर 'श्वेत पत्र' में मोदी सरकार ने चुन-चुनकर गिनाईं नाकामियां

White Paper By Modi Govt: एक के बाद एक चुनावों में बीजेपी कांग्रेस को परास्त तो कर ही रही है, बची-खुची कसर संसद में पूरी हो जा रही है. अब इसकी एक बानगी देखिए, मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों की लिस्ट लेकर संसद में आ गई है.

गिरता रुपया.. कोयला घोटाला और महंगाई, UPA काल पर 'श्वेत पत्र' में मोदी सरकार ने चुन-चुनकर गिनाईं नाकामियां

मिर्जा गालिब का एक शेर है, 
हुए मर के हम जो रुस्वा
हुए क्यूं न गर्क-ए-दरिया...
न कभी जनाजा उठता
न कहीं मजार होता....

देश की राजनीति पर बेहद बारीक नजर रखने वाले राजनीतिक पंडित कब का मान चुके हैं कि अपने चुनावी इतिहास में कांग्रेस इस समय सबसे गर्त के दौर में है. कई बार उस पर दया भी आ जाती है. लेकिन, दूसरी तरफ मोदी की बीजेपी है, जो उस पर अपना रहम ही नहीं दिखा रही है. बीजेपी चुनाव में तो परास्त कर ही रही है, बची-खुची कसर संसद में पूरी हो जा रही है. इस शेर का मतलब कुछ ऐसा ही है. अब इसकी एक बानगी देखिए ना, मोदी सरकार कहने को तो श्वेत पत्र ला रही है लेकिन उसमें भी यूपीए सरकार की नाकामियों का ढिंढोरा पीटा जाएगा. वित्त मंत्री ने बकायदा मनमोहन सिंह सरकार के 10 सालों पर श्वेत पत्र पेश किया है.

असल में संसद के बजट सत्र के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के दोनों सदनों में श्वेत पत्र लेकर आएगी. इसके जरिए सरकार 2014 से लेकर 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान हुए कामकाजों का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखेगी. इसके साथ ही इस श्वेत पत्र के जरिए पिछली यूपीए सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी. अब उसी सत्र को लोकसभा में पेश कर दिया गया है.

एक तरह से सूचनात्मक रिपोर्ट कार्ड
वैसे तो बजट सत्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए जाने वाला श्वेत पत्र एक तरह से सूचनात्मक रिपोर्ट कार्ड होता है. जिसमें सरकार की नीतियों, कामकाजों और अहम मसलों को रेखांकित किया जाता है. खासतौर पर सरकारें 'श्वेत पत्र' किसी मसले पर बहस करने, सुझाव लेने या देने के साथ एक्शन के लिए लाती है. लेकिन मोदी सरकार साथ ही साथ कांग्रेस के भी शासन की कमियों को उजागर करने वाली है. 

सीतारमण ने गुरुवार को ‘श्वेत पत्र’ सदन में रखते हुए कहा कि मैं भारतीय अर्थव्यवस्था पर ‘श्वेत पत्र’ हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में पेश करती हूं. श्वेत पत्र में कहा गया है कि UPA सरकार ने देश की आर्थिक नींव कमजोर की. रुपये में भारी गिरावट हुई, बैंकिंग सेक्टर संकट में था, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हुई थी, भारी कर्ज लिया गया था और राजस्व का गलत इस्तेमाल हुआ. इसके अलावा घोटालों का भी जिक्र किया गया.

क्या दिखाने की कोशिश है?
इसके अलावा किसी खास मुद्दे पर परिणाम तक पहुंचने के लिए यह पत्र लाया जाता है. ऐसे में नरेंद्र मोदी सरकार श्वेत पत्र के जरिए यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि आर्थिक रूप से देश 2014 तक कहां था और अब कहां है. इसके साथ ही 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को इसमें सूचीबद्ध किया गया है. 

व्हाइट पेपर के सामने ब्लैक पेपर
मजे की बात यह भी है कि उधर नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के प्रदर्शन पर जारी होने वाले 'श्वेत पत्र' का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस 'ब्लैक पेपर' लेकर आई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को ब्लैक पेपर जारी किया है और केंद्र पर इसके जरिए निशाना साधने की कोशिश की है. सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खड़गे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली. मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं.

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