Delhi Politics: दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों के लिए जिम्मेदार कौन, AAP-BJP के दावों में कितना है सच?
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Delhi Politics: दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों के लिए जिम्मेदार कौन, AAP-BJP के दावों में कितना है सच?

AAP vs BJP: दिल्ली में गुरुवार को दिनभर राजनीतिक भागदौड़ दिखी. वैसे जिन कूड़े के पहाड़ों पर दिनभर राजनीति होती रही थी उनसे दिल्ली लंबे समय से परेशान है लेकिन इनके इलाज के बारे में चिंता किसी ने नहीं की.

Delhi Politics: दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों के लिए जिम्मेदार कौन, AAP-BJP के दावों में कितना है सच?

Delhi News: दिल्ली में जो गुरुवार को हुआ वो होना तय था क्योंकि करीब 8 साल बाद जब दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गाजीपुर में कूड़े के ढेर पर राजनीति करने पहुंचे तो विपक्ष ने उन पर ताबड़तोड़ आरोपों की झड़ी लगा दी. खैर केजरीवाल ने भी सफाई देने में और कूड़े के सहारे MCD चुनाव का बिगुल फूंकने में कोई कमी नहीं छोड़ी.

दिल्ली में गुरुवार को दिनभर राजनीतिक भागदौड़ दिखी. वैसे जिन कूड़े के पहाड़ों पर आज राजनीति होती रही उनसे दिल्ली लंबे समय से परेशान है लेकिन इनके इलाज के बारे में चिंता किसी ने नहीं की. आज हम आपको बताते हैं कि दिल्ली की बदहाल व्यवस्था और गंदगी के पीछे असल जिम्मेदार हैं कौन?

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बात 13 अगस्त 2022 की जब MCD के स्वच्छता सैनिकों के स्थायीकरण के कार्यक्रम में दिल्ली के उप-राज्यपाल के सामने MCD के स्पेशल कमिश्नर अश्विनी कुमार के एक बयान ने सभी के कान खड़े कर दिए. अश्विनी कुमार ने कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर है. आरोप सीधे-सीधे दिल्ली सरकार पर था.

आखिर इन आरोपों की सच्चाई क्या है यह जानने के लिए जी न्यूज की टीम एमसीडी दफ्तर पहुंची और वहां के वित्तीय विभाग से हमें जो दस्तावेज मिले वो शायद एमसीडी के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार की कहानी बयां कर रहे थे.

पहला अचंभा तो ये जानकारी में आया कि 2012 में चौथा FC लागू होना था जो नहीं किया गया और सीधे 2019 में पांचवा वित्तीय कमीशन लागू कर दिया उस पर भी गजब ये था कि इसे बैकडेट करके 2016 से लागू करवा दिया गया. दूसरा सच ये था कि पांचवें वित्त आयोग की सिफारिशों को दिल्ली सरकार ने सदन के पटल पर सिरे से खारिज कर दिया जिसमें MCD को लेकर कई विभागों की सिफारिशें भी शामिल थीं.

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क्या कहते हैं दस्तावेज?
1- (पृ.5 Para 5.99 POINT 54) 31.3.2016 को गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (GNCTD) पर तीनों एमसीडी की बकाया राशि 3256 करोड़ थी,  जो कि विभिन्न संस्थाओं से GNCTD द्वारा प्राप्त कुल कर्जे और एडवांस का लगभग पांच प्रतिशत है. यह नगर पालिकाओं को कर्जे से राहत के पैकेज के मामले का समर्थन करता है. 

2-(पृ.5 Para 7.355 POINT 57): कर हस्तांतरण से कटौती के माध्यम से ऋण चुकौती को लागू करने की प्रक्रिया अनुचित प्रतीत होती है क्योंकि यह हस्तांतरण और इससे मिलने वाले लाभों को खा जाती है. 

3-(पृ.5-6 Para 8.28 POINT 59): दिल्ली सरकार को MCD को तीन भागों में बंटवारे के समय ग्रांट के तौर पर उसके सभी कर्जे माफ कर देने चाहिए थे इसके अलावा दिल्ली सरकार को 50 फीसदी प्रोफेशनल टैक्स वसूलने के लिए स्पेशल इंसेटिव ग्रांट MCD को दी जानी चाहिए जिसका इस्तेमाल अपने कर्जे को उतारने में कर सके.  

5-(पृ.13 Para 8.28 POINT 141): दिल्ली सरकार को तीनों एमसीडी के लिए बकाया ऋणों को उनके विभाजन के समय, अनुदान में रूपांतरण के माध्यम से बट्टे खाते में डालना चाहिए.

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सरकार ने वित्तीय आयोग की सिफारिशें की खारिज
ये वो मुख्य सिफारिशें थी जो दिल्ली सरकार के सामने दिल्ली वित्तीय आयोग ने ही रखी और सरकार ने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया था. इसके अलावा सरकार का सबसे अमानवीय चेहरा तब देखने को मिला जब MCD ने अपने कर्मियों को तनख्वाह देने के लिए कर्जमांगा तो वो भी सरकार ने 11 प्रतिशत तक की ब्याज दर पर दिया.

MCD कहना है कि हमने कई बार कुछ विशेष करों में वृद्धि को लेकर भी सरकार को सिफारिश लिखी लेकिन सरकार ने उस पर मंजूरी नहीं दी अगर मंजूरी मिल जाती तो MCD की आर्थिक स्तिथि में मजबूती तो आती ही साथ में ही कई संविदा पर काम कर रहे स्वच्छता सैनिकों और अन्य विभागीय कर्मियों का स्थायीकरण समय पर हो जाता.

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MCD को अभी तक यानि 2017 से लेकर 2022 तक सरकार द्वारा कुल 20987.39 करोड़ रुपए प्राप्त हुए जबकि MCD  के अनुसार दिल्ली सरकार से विभिन्न मदों के लिए कुल 40 हजार करोड़ मिलने थे. अगस्त 2022 में LG ने भी दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि MCD की बकाया राशि रिलीज की जाए.

MCD का दावा है कि 2024-25 तक कूढ़े के ढेर हो जाएंगे खत्म
हालांकि केजरीवाल का आज के बयान में कोई स्पष्टता हो या न हो लेकिन चुनावी इच्छा शक्ति प्रबल दिखी. वैसे केजरीवाल जिन कूड़े के ढेरों पर आज राजनीति करने गए थे वो कूड़े के ढेर वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकारों के दुराग्रह का शिकार हैं.

आज तो स्थिति फिर भी पहले से बेहतर है और MCD के अनुसार कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई कम हो रही है और काम जिस स्पीड से चल रहा है उसके देखते हुए MCD का दावा है कि 2024-25 तक ये कूढ़े के ढेर पूरी तरीके से समाप्त हो जाएंगे. 

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