Most influential eunuch: अगर आप इतिहास पढ़ने के शौकीन हैं तो आपने मुगल बादशाहों, उनके हरम (Haram) और बेगमों के बारे में जरूर पढ़ा होगा. ऐसे में मुगल इतिहास से रूबरू कराने की मुहिम में आपको अब एक किन्नर से जुड़ी रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर लोग दंग रह जाएंगे.
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Who was the most influential eunuch in history of mughal: हिंदुस्तान में मुगलों ने करीब 200 साल तक राज किया है. मुगल इतिहास से आपको रूबरू कराने के इस सिलसिले में आज आपको मुगल बादशाहों के हरम में सबसे ज्यादा हैसियत रखने वाले उस शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी पहुंच सीधे बादशाह तक थी. ये शख्स कोई आम इंसान नहीं बल्कि उस दौर के शहंशाह की निजी जिंदगी के बारे में A से लेकर Z तक सबकुछ जानने वाला वो किन्नर था जो जरूरत पड़ने पर उनका प्रशासनिक काम भी संभाल लेता था.
Eunuch in Mughal Empire सबसे प्रभावशाली किन्नर
मुगल दरबारों में कई किन्नरों ने काम किया. किन्नर उस दौर में शाही परिवार की औरतों की देखभाल का काम करते थे. हालांकि उनकी संख्या का कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं होने के बावजूद कहा जाता है कि जावेद नाम का किन्नर मुगल इतिहास में सबसे प्रभावशाली और रसूखदार किन्नर था. उसके बारे में लिखा गया है कि जावेद उस दौर का एकलौता किन्नर था जिसे पता था कि किस मौके पर अपने दिमाग का इस्तेमाल कैसे करना है. उसने कई मौकों पर ऐसे कदम उठाए कि वो मुगल इतिहास का सबसे प्रभावशाली हिजड़ा बन गया.
जावेद का इतिहास
आपको बताते चलें कि किन्नर जावेद की भर्ती मोहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल में हुई थी, लेकिन बादशाह की मौत के बाद जावेद ने खुद को उस दौर का सबसे ताकतवर और असरदार किन्नर बनकर अपनी अलग पहचान कायम कर ली थी. इतिहास की किताबों में लिखा है कि जावेद अनपढ़ था. उसकी सबसे बड़ी यूएसपी यानी खासियत की बात करें तो कहा जाता है कि जावेद जासूसी करने में माहिर था. इसीलिए मोहम्मद शाह रंगीला ने उसे अपने हरम में तैनात किया और उसे उस दौर में कम समय में सीधे सहायक अधीक्षक का दर्जा दे दिया था. कहा जाता है कि बादशाह की मौत के बाद जावेद की किस्मत ऐसी चमकी कि वो सीधे-सीधे 6 हजार मनसबदारों का मुखिया बन गया.
हरम में तैनाती के दौरान मिली बड़ी पदवी
गौरतलब है कि मुगलिया राज में हरम शाही महिलाओं के लिए बनवाया जाता था. हरम के अंदर बादशाह के अलावा किसी भी पुरुष चाहे वो कोई भी हो उसे अंदर दाखिल होने की इजाजत नहीं थी. इसलिए हरम में महिलाओं की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता था.
बना 'नवाब बहादुर'
जावेद जितना शातिर था उसकी किस्मत भी उतनी ही बुलंद थी. यही वजह है कि उसकी बात बादशाह फौरन मान लेते थे. उस दौर में किन्नर जावेद को गुप्तचर विभाग का मुखिया बनाया गया और बाद में उसकी काबिलियत को देखते हुए उसे नवाब बहादुर के खिताब से नवाजा गया था. आपको बताते चलें कि ये सम्मान पाने वाला जावेद इकलौता किन्नर था, जिसे नवाब किन्नर भी कहा जाता था. किताब ‘फर्स्ट टू नवाब ऑफ अवध’ में जावेद के बारे में लिखा है कि उसके महारानियों से भी अच्छे संबंध थे इसलिए उसे ज्यादा अहमियत दी जाती थी.
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