Interesting Fact: एक घंटे में 60 मिनट ही क्यों होते हैं 59 या 61 नहीं? जानिए इसके पीछे का गहरा राज
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Interesting Fact: एक घंटे में 60 मिनट ही क्यों होते हैं 59 या 61 नहीं? जानिए इसके पीछे का गहरा राज

Interesting Fact About Time: समय की गणना करने के लिए एक घंटे में 60 मिनट और 1 मिनट में 60 सेकंड होते हैं. लेकिन कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? एक घंटे में 60 मिनट ही क्यों होते हैं 100 या कुछ और क्यों नहीं?

Interesting Fact: एक घंटे में 60 मिनट ही क्यों होते हैं 59 या 61 नहीं? जानिए इसके पीछे का गहरा राज

Interesting Fact About Time: सुबह जगने से लेकर रात में सोने तक लोग ज्यादातर काम समय से घड़ी देखकर ही करते हैं. ज्यादातर चीजों को नापने या तौलने के लिए 100 के गुणांक होते हैं. जैसे 100 सेंटीमीटर का 1 मीटर, 1000 मीटर का 1 किलोमीटर और इसी तरह 1000 मिलीलीटर का 1 लीटर. लेकिन समय की गणना करते वक्त ऐसा नहीं होता. आपको पता होगा कि समय की गणना करने के लिए एक घंटे में 60 मिनट और 1 मिनट में 60 सेकंड होते हैं. लेकिन कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? एक घंटे में 60 मिनट ही क्यों होते हैं 100 या कुछ और क्यों नहीं? आइए बताते हैं.

बेबीलॉग के लोगों ने किया विकसित

DW हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, समय की गणना का ये तरीका बेबीलॉग के लोगों ने विकसित किया था, जो कि मेसोपोटामिया की सभ्यता में रहते थे. रिपोर्ट के बताया गया है कि समय की गणना के लिए उन लोगों ने बाएं हाथ के अंगूठे से चार अंगुलियों के 12 हिस्सों के निशान को गिना था. वे 12 अंक को पवित्र मानते थे. इसके बाद उन लोगों ने दिन और रात को इसी 12 अंक के आधार पर बांट दिया. उन्हें उस वक्त ये नहीं पता था कि पृथ्वी सूर्य का 24 घंटे में चक्कर लगाती है. उन्होंने 12-12 के आधार पर दिन-रात मान लिए. बाद में जाकर 24 घंटे वाली बात सही साबित हुई.

ऐसे आया 60 नंबर

द गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट भी ये बताती है कि समय की गणना के लिए 60 मानक की शुरुआत बेबीलॉन के लोगों ने ही की. बेबीलॉन के लोगों ने अपने दाहिने हाथ के जरिए बांए हाथ की चार अंगुलियों के निशानों को अलग-अलग अंगुलियों और अंगूठे से गिना. ऐसा करने पर उनका जोड़ 60 आया. हालांकि उस वक्त ये समय की सटीक जानकारी नहीं थी. कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि बेबीलॉन के लोगों ने 60 नंबर सुमेरियों से प्राप्त किया था. बाद में इसे ही समय का मानक मान लिया गया.

60 नंबर ही क्यों चुना?

ऐसा माना जाता है सुमेरियों के लिए 60 की संख्या ही 100% के बराबर थी. इसलिए उन्होंने समय को 60 अंक में नापा. हालांकि उस समय दुनिया में कई अन्य सभ्यताएं भी थीं, उन्होंने भी समय की गणना अपने-अपने तरीके से की. लेकिन बाद में 60 की संख्या को ही वरीयता दी गई, क्यों कि ये सबसे सटीक थी. इसके अलावा इसका एक राज गणित में भी छिपा है. दरअसल, 60 ऐसी संख्या है, जो कई संख्याओं से विभाजित होती है. ये 2,3,4,5,6,10,12 जैसी संख्याओं से विभाजित होती है. ऐसे में 60 संख्या के आधार पर घंटा, मिनट और सेंकड का समझने में आसानी हुई.

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