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नई दिल्ली: कुछ लोगों को लगता है कि अगर किसी अपराधी (Criminal) को कोर्ट (Court) से उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा मिलती है तो वो 14 साल जेल में रहने के बाद छूट जाता है लेकिन ये सच नहीं है. अगर किसी अपराधी को उम्रकैद की सजा मिलती है तो उसे अपनी पूरी जिंदगी जेल (Prison) में गुजारनी पड़ती है. आजीवन वो शख्स जेल से बाहर नहीं आ पाता है. लेकिन कई बार हम देखते हैं कि जिस अपराधी को उम्रकैद की सजा मिली थी वो 14 साल ही जेल में बंद रहा और बाद में जेल से बाहर आ आ गया. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 72 (Article 72) और अनुच्छेद 161 (Article 161) के तहत उम्रकैद की सजा पाए अपराधी की बाकी सजा माफ हो जाती है.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति और अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल उम्रकैद की सजा पाए अपराधी को माफी दे सकता है, जिससे उसकी सजा उम्रकैद से महज 14 साल में बदल जाती है. लेकिन जिस अपराधी को भी उम्रकैद की सजा मिलती है उसे कम से कम 14 साल तो जेल में कैद रहना ही पड़ता है. राष्ट्रपति और राज्यपाल भी चाहें तो उम्रकैद की सजा को 14 साल से कम नहीं कर सकते हैं.
ऐसा नहीं है कि ज्यादातर अपराधियों को उम्रकैद की सजा से माफी मिल ही जाती है और उनकी सजा उम्रकैद से 14 साल में बदल जाती है. इन मामलों में राष्ट्रपति और राज्यपाल कुछ ही अपराधियों को माफी देते हैं. कई बार आवेश में आकर क्राइम हो जाता है, उन्हें माफी मिलने का चांस रहता है. लेकिन जो लोग पेशेवर अपराधी होते हैं, उन्हें माफी नहीं मिलती है.
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माना जाता है कि उम्रकैद की सजा को कम से कम 14 साल इसलिए रखा गया है क्योंकि 14 साल जेल में बंद रहने के बाद अपराधी का अपने गिरोह या साथियों से कनेक्शन टूट जाता है.
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