इतना सम्मान-सुविधा पाने के बाद भी हामिद अंसारी ने क्यों किया देश से विश्वासघात?
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इतना सम्मान-सुविधा पाने के बाद भी हामिद अंसारी ने क्यों किया देश से विश्वासघात?

हामिद अंसारी (Hamid Ansari) 10 साल तक देश के उपराष्ट्रपति रहे. सरकार की ओर उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. इसके बावजूद वे देश को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं चूकते. अब उन्होंने भारत विरोधी संगठनों के सम्मेलन में बोलते हुए देश के खिलाफ जहर उगला है. 

इतना सम्मान-सुविधा पाने के बाद भी हामिद अंसारी ने क्यों किया देश से विश्वासघात?

नई दिल्ली: इस बार गणतंत्र दिवस पर जब पूरा भारत, देशभक्ति में डूबा हुआ था. उस समय हमारे ही देश के एक पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari), अमेरिका में एक भारत विरोधी मंच पर, भारत के ही लोकतंत्र के ख़िलाफ़ ज़हर उगल रहे थे. 

  1. हामिद अंसारी ने भारत के खिलाफ उगला जहर
  2. वर्चुअल सम्मेलन में बोले पूर्व उप राष्ट्रपति
  3. मोदी सरकार को सत्ता से हटाने की अपील

हामिद अंसारी ने भारत के खिलाफ उगला जहर

भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर, भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति कह रहे थे कि यहां धर्म के आधार पर असहनशीलता बढ़ गई है और अल्पसंख्यकों में डर और असुरक्षा की भावना पैदा की जा रही है. गणतंत्र दिवस के मौक़े पर हम सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम तो करते हैं ताकि कहीं पर कोई हमला ना हो जाए. कहीं कोई विस्फोट ना हो जाए. और इसके लिए हमारे सुरक्षाबल चारों तरफ़ तैनात भी रहते हैं. लेकिन जब हमारे ही देश में बैठे इस तरह के लोग भारत विरोधी विचारों से विस्फोट करते हैं तो उससे पूरी दुनिया में देश की बदनामी होती है और भारत कमज़ोर और बंटा हुआ दिखाई देता है. 

सवाल ये है कि भारत के मुसलमानों को हामिद अंसारी (Hamid Ansari) को अपना आदर्श मानना चाहिए या गुलाम नबी आज़ाद और आरिफ मोहम्मद खान जैसे नेताओं को अपना आदर्श मानना चाहिए. उन्हें डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरणा लेनी चाहिए या हाफिज़ सईद जैसे आतंकवादियों को अपना नायक मानना चाहिए. इनमें से इस्लाम का सच्चा अनुयायी कौन है?

वर्चुअल सम्मेलन में बोले पूर्व उप- राष्ट्रपति

हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने भारत के ख़िलाफ़ ये वैचारिक विस्फोट उस समय किया, जब देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा था. ये एक वर्चुअल कार्यक्रम था, जिसका आयोजन अमेरिका की छोटी बड़ी कुल 17 संस्थाओं ने किया. इन संस्थाओं में ज़्यादातर वो हैं, जिन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर भारत विरोधी एजेंडा चलाने के आरोप लगते रहे हैं. 

लेकिन सोचिए, जिन संस्थाओं के DNA में ही भारत विरोधी विचार मिले हुए हैं, उन्हीं के कार्यक्रम में इस देश के एक पूर्व उपराष्ट्रपति ना सिर्फ़ शामिल होते हैं, बल्कि देश के ख़िलाफ़  वैचारिक धमाके भी करते हैं. हामिद अंसारी ने इस कार्यक्रम में भारत के ख़िलाफ़ तीन बड़ी बातें कहीं.

पहली बात- उन्होंने ये कही कि भारत में धर्म के आधार पर असहनशीलता बढ़ गई है और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा की जा रही है.

दूसरी बात- उन्होंने ये कही कि भारत में नागरिक राष्ट्रवाद को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से बदलने की कोशिशें हो रही हैं. धार्मिक बहुमत वाली आबादी को राजनीति में एकाधिकार देकर असुरक्षा का माहौल पैदा किया जा रहा है. यहां बहुमत वाली आबादी से उनका मतलब हिन्दुओं से है.

मोदी सरकार को सत्ता से हटाने की अपील

और तीसरी बात- उन्होंने ये कही कि, भारत की मौजूदा व्यवस्था और ट्रेंड्स को राजनीतिक और कानूनी रूप से चुनौती देने की ज़रूरत है. यानी वो इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाली संस्थाओं से भारत के ख़िलाफ एकजुट होकर राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कह रहे हैं.

अब राजनीतिक और कानून लड़ाई का मतलब क्या है?, इसका मतलब है, मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था यानी जो सरकार अभी केन्द्र में है, उसे हटाना और उसके ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी संघर्ष करके उसे बदनाम करना.

इस कार्यक्रम में हामिद अंसारी (Hamid Ansari) के अलावा, स्वरा भास्कर और बेंगलूरु के आर्कबिशप पीटर मचाडो भी शामिल थे, जो भारत में ईसाई धर्म के लोगों को ख़तरे में बता चुके हैं. आप इन लोगों को हमारे गणतंत्र के Time Bomb भी कह सकते हैं.

देश से सबकुछ पाने के बाद भी ऐसी गद्दारी क्यों?

इस देश ने हामिद अंसारी (Hamid Ansari) को वो सबकुछ दिया, जो भारत को एक सहनशील और धर्मनिरपेक्ष देश साबित करता है. वो एक मुसलमान होते हुए 10 साल तक इस देश के उप-राष्ट्रपति रहे. इस नाते वो राज्यसभा के सभापति भी थे. इसके अलावा वो UAE, ऑस्ट्रेलिया, अफगानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों में भारत के राजदूत और उच्चायुक्त भी रहे. वर्ष 1984 में उन्हें इसी देश में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म श्री से सम्मानित किया गया.

आज वो अचानक से इस देश को साम्प्रदायिक बताने लगते हैं. अगर भारत वाकई में साम्प्रदायिक है, तो एक मुसलमान होते हुए, हामिद अंसारी इस देश के 10 साल तक उप-राष्ट्रपति कैसे बने रहे? हमें लगता है कि इस देश ने हामिद अंसारी को जो सम्मान दिया, उसी सम्मान की थाली में उन्होंने छेद करने का काम किया है. इससे बड़ी विडम्बना नहीं हो सकती कि, आज भी हामिद अंसारी जैसे व्यक्ति, इस देश से सबकुछ हासिल करके उसे आसानी से बदनाम कर सकते हैं.

भारत विरोधी 17 संस्थाओं ने किया सम्मेलन का आयोजन

आज आपको ये भी पता होना चाहिए कि हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने जिस कार्यक्रम में ये सारी बातें कहीं, उसका आयोजक कौन था? ये वर्चुअल कार्यक्रम अमेरिका की 17 संस्थाओं ने आयोजित किया था और इनमें से ज्यादातर भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए मशहूर हैं.

इनमें Indian American Muslim Council यानी IAMC, Amnesty International और Genocide Watch जैसे संगठन प्रमुख हैं.

सबसे पहले आपको IAMC नाम की संस्था के बारे में बताते हैं. हाल ही में त्रिपुरा की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक Affidavit दाख़िल किया था, जिसमें इस संस्था पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं. इस Affidavit में लिखा है कि ऐसे कई सबूत मौजूद हैं, जो ये बताते हैं कि भारत के ख़िलाफ़ IAMC और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI मिल कर साथ काम कर रहे हैं. 

IAMC के हैं पाकिस्तान से गहरे लिंक  

इसके अलावा ये संस्था, पाकिस्तान स्थित ‘जमात-ए-इस्लामी' संगठन से भी मिली हुई है, जिस पर भारत में धार्मिक माहौल बिगाड़ने के आरोप हैं. पिछले साल जब त्रिपुरा में हिंसा भड़की थी, तब इस संस्था के लोगों ने सोशल मीडिया के ज़रिए भारत के ख़िलाफ़ एक मुहिम चलाई थी. जिसके तहत ये Fake News फैलाई गई कि त्रिपुरा में मस्जिदों और मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

IAMC के संस्थापक, शेख उबैद पर ये आरोप भी लग चुके हैं कि उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के नाम पर Funds जुटाए. बाद में इस Fund का इस्तेमाल, अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग, जिसे United States Commission on International Religious Freedom कहते हैं, उसमें भारत को Blacklist करवाने की कोशिश करने के लिए किया. 

चौंकाने वाली बात ये है कि इस संगठन से कई ऐसे लोग भी जुड़े हुए हैं, जो भारत से जम्मू कश्मीर को अलग करने के लिए अभियान चलाते रहते हैं. रशीद अहमद नाम का व्यक्ति, जो इस संस्था का मौजूदा अध्यक्ष है, वो वर्ष 2017 और 2018 में Islamic Medical Association of North America नाम की संस्था का भी प्रमुख था. उसने कोरोना महामारी के दौरान भारत की मदद के लिए करोड़ों रुपए का चंदा जुटाया लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल भारत को बदनाम करने में किया. अब सोचिए, हामिद अंसारी (Hamid Ansari), एक ऐसी संस्था के वर्चुअल कार्यक्रम में शामिल हुए, जो भारत को तोड़ने का सपना देखती है.

एम्नेस्टी इंटरनेशल भी सम्मेलन में शामिल

इस कार्यक्रम के आयोजकों में Amnesty International नाम का एक NGO भी था, जिसने सितम्बर 2020 में भारत में अपने सभी ऑपरेशंस बन्द कर दिए थे. ब्रिटेन के इस NGO पर आरोप है कि उसने विदेशों से मिलने वाले करोड़ों रुपये के Funds की जानकारी भारत सरकार से छिपाई और भारत विरोधी एजेंडे को भी हवा दी. उदाहरण के लिए ये संस्था जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर दुनिया भर में भारत के खिलाफ अभियान चलाती रही है.

भारत के खिलाफ चलाए हैं कई अभियान 

26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब, संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरु और 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन के समर्थन में भी इसने दुनिया भर में अभियान चलाया था.  Urban Naxals के साथ भी ये NGO काफी सक्रिय रहा है. इसके अलावा भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर भी इस संस्था ने खूब बयान जारी किए थे. ये विशेष तौर पर विदेशों में भारत की छवि खराब करने के लिए काम करती रही है.

इस कार्यक्रम में अमेरिका के भी चार सांसद भी शामिल हुए. इनकी बातों का सार ये था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता ख़तरे में है. Congressmen, Andy Levin (एंडी लेविन) ने इस दौरान अमेरिका के एक NGO, जिसका नाम Freedom House है, उसकी उस रिपोर्ट को भी कोट किया. जिसमें पिछले साल भारत को स्वतंत्र देशों की सूची से हटा कर, आशंकि रूप से स्वतंत्र देशों की सूची में डाल दिया गया था. 

सरकार की सख्ती से भारत में बंद करने पड़े दफ्तर

ऐसा करने के पीछे जो कारण बताए गए थे, उनमें से एक भारत में Amnesty International के दफ़्तरों पर हुई कार्रवाई थी. वही Amnesty International, जिसने ये भारत विरोधी मंच तैयार किया. अब आप शायद पूरी कहानी समझ गए होंगे. ये भी समझ गए होंगे कि हामिद अंसारी ने इस देश के साथ कितना बड़ा विश्वासघात किया है.

हामिद अंसारी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोधी बातें करते हैं. लेकिन निजी जीवन में इसी देश से मिलने वाली तमाम सुख सुविधाओं का इस्तेमाल करते है. दिल्ली में उनका पता है, 31, डॉक्टर APJ Abdul Kalam Road. ये एक सरकारी बंगला है, जो डेढ़ एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में फैला हुआ है. 

इस बंगले के रख रखाव का खर्च, हामिद अंसारी (Hamid Ansari) के Telephone Bills, उनके स्टाफ की सैलरी, दफ़्तर का ख़र्च, उन्हें हर महीने मिलने वाली पेंशन और सभी यात्राओं के लिए अलग से भत्ता भारत सरकार द्वारा दिया जाता है. यानी हामिद अंसारी इस देश से तमाम सुख सुविधाएं लेते हैं, लेकिन फिर इसी देश के टुकड़े टुकड़े चाहने वालों का वो साथ देते हैं.

मुसलमानों के लिए आदर्श कौन, कलाम या हामिद अंसारी?

हालांकि इसके बाद भी हामिद अंसारी (Hamid Ansari) को हमारे देश के कई लोग अपना आदर्श मान लेते हैं. आज बड़ा सवाल यही है कि, भारत के मुसलमानों को अपना आदर्श किसे मानना चाहिए. हामिद अंसारी जैसे लोगों को, जो इस देश के ख़िलाफ़ बात करते हैं या उन्हें डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम को अपना रोल मॉडल मानना चाहिए, जो मुसलमान होते हुए भी इस देश की विविधता और इसके गौरव के लिए समर्पित रहे.

इस देश में तीन राष्ट्रपति ऐसे रहे, जो मुसलमान थे. डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद . हमारे देश के मुसलमानों को आज तय करना है कि, वो इन्हें अपना आदर्श मानते हैं या वो हामिद अंसारी (Hamid Ansari) को अपने नायक के रूप में देखते हैं?

गुलाम नबी आजाद से क्यों नहीं सीखते अंसारी

हम आपको यहां एक और नाम बताते हैं. और वो नाम है  कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद का, जिन्हें हाल ही में पद्म भूषण देने का ऐलान किया गया है. गुलाम नबी आज़ाद और हामिद अंसारी दोनों ही कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से आते हैं. लेकिन गुलाम नबी आज़ाद ने कभी इस देश के ख़िलाफ़ कोई बात नहीं की. उन्होंने इस देश के लिए जो कुछ भी किया, ईमानदारी के साथ किया. 

मुसलमान होते हुए इस देश की उतनी ही सेवा की, जितना कोई दूसरा करता है. वो धर्म को बीच में लाए ही नहीं. इसलिए आज ये तय करने का भी दिन है कि, इस देश को गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेता चाहिए या हामिद अंसारी जैसे लोग चाहिए?

आरिफ मोहम्मद खान हैं देश की शान

गुलाम नबी आज़ाद की तरह, इस देश के पास केरल के मौजूदा राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान जैसे नेता भी हैं. जो मुसलमान होते हुए भी इस देश को तोड़ने की बात नहीं करते. लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश के कुछ लोग हामिद अंसारी (Hamid Ansari) को अपना रोल मॉडल मान लेते हैं, जो देश को ऐसी दिशा में ले जाना चाहते हैं, जहां आतंकवादी हाफिज़ सईद को सम्मान दिया जाता है. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के प्रमुख मुल्ला अखुंदजादा का समर्थन किया जाता है. भारत में देशविरोधी गतिविधियों के लिए गिरफ़्तार शरजील इमाम जैसे लोगों को नायक बताया जाता है.

यानी ये साबित करने की कोशिश होती है कि पाकिस्तान ज़िन्दाबाद का नारा लगाना ही असली इस्लाम है. जबकि इस्लाम इसकी बात ही नहीं करता. इस्लाम धर्म तो ये कहता है कि आप अपनी मातृभूमि और अपने देश के प्रति वफादार रहो. लेकिन क्या हामिद अंसारी ऐसा कर रहे हैं?

हामिद अंसारी जैसे लोगों की वजह से देश रहा गुलाम

हामिद अंसारी (Hamid Ansari) जैसे लोगों की वजह से ही भारत, लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेज़ों का गुलाम रहा था. आपको जानकर हैरानी होगी कि, कुल मिला कर सिर्फ़ 20 हज़ार ब्रिटिश अफसरों और सैनिकों ने 30 करोड़ भारतीयों को दो सदियों तक गुलाम बना कर रखा. सोचिए, अंग्रेज़ सिर्फ़ 20 हज़ार थे और हम 30 करोड़ थे. लेकिन इसके बावजूद हमारे देश को आज़ादी पाने में वर्षों लग गए. 

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारा देश संगठित नहीं था और हमारे लक्ष्य स्पष्ट नहीं थे. जबकि अंग्रेज़ संख्या में केवल 20 हज़ार होते हुए भी एकजुट थे और उनका मकसद साफ़ था. उन्हें भारत पर शासन करना था. वो जानते थे कि इस देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो अपने राजनीतिक फायदों के लिए उनकी गोदी में बैठ जाएंगे. वर्ना, सोचिए, ये कैसे मुमकिन होता कि केवल मुट्ठीभर अंग्रेज़ों ने करोड़ों भारतीयों को अपना गुलाम बना कर रखा. ये बात हम अपने आप से नहीं कह रहे बल्कि ये ब्रिटेन की अधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में लिखा हुआ है.

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तिरंगे को नहीं किया था सेल्यूट

आज जब हामिद अंसारी (Hamid Ansari) की बात हो ही रही है तो आपको उनकी एक चर्चित तस्वीर भी वायरल हो रही है, जो 2015 के गणतंत्र दिवस समारोह की है. इस समारोह में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी बतौर मुख्य अतिथि शामिल थे. सलामी मंच पर उनके साथ भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उस समय के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और पूर्व केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह मौजूद थे. 

तब राष्ट्रगान के दौरान इस मंच पर मौजूद भारत के सभी नेता अपने देश को सैल्यूट कर रहे थे. लेकिन हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने ऐसा नहीं किया था. ये एक तस्वीर उनके पूरे चरित्र के बारे में आपको बता देगी. वैसे, प्रोटोकोल के तहत तब उनके लिए सैल्यूट करना ज़रूरी नहीं था. लेकिन सोचिए, राष्ट्रगान के दौरान देश को सैल्यूट करने में क्या परेशानी हो सकती है.

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