JNU की स्टूडेंट यूनियन ने पीएम मोदी के विरोध में पोस्टर जारी किया है जिस पर लिखा है - मोदी सरकार छात्र विरोधी. सवाल ये है कि इस पोस्टर के पीछे मास्टरमाइंड कौन है.
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज जेएनयू (JNU) में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे. पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी भी दी है. विवेकानंद की प्रतिमा का निर्माण तीन साल पहले शुरू हुआ था. 2018 में काम पूरा हो गया था और तब से मूर्ति ढकी रखी है और अब प्रधानमंत्री मोदी इस मूर्ति का अनावरण करने जा रहे हैं.
आज प्रतिमा के अनावरण के बाद पीएम मोदी JNU के छात्रों को संबोधित भी करेंगे, जिसका जेएनयू के फेसबुक पेज पर प्रसारण किया जाएगा ताकि छात्र विवेकानंद के आदर्शों से सीख ले सकें. स्वामी विवेकानंद के भाषणों ने उनकी सीख ने समाज में धार्मिक चेतना की अलख जलाई..
मोदी GO BACK के नारों का मास्टरमाइंड कौन?
पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले ही जेएनयू कैंपस में विरोध शुरू हो गया है. JNU की स्टूडेंट यूनियन ने पीएम मोदी के विरोध में पोस्टर जारी किया है जिस पर लिखा है - मोदी सरकार छात्र विरोधी. सवाल ये है कि इस पोस्टर के पीछे मास्टरमाइंड कौन है, वो कौन सी सियासत है जो देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ 'गो बैक' के नारे लगाता है. JNU के 'टुकड़े टुकड़े गैंग' की इस खतरनाक नीति को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.
2005 में शुरू किया था प्रतिमा को लगाने का काम
JNU के पूर्व छात्रों ने 11.5 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा को लगाने का काम 2005 में शुरू किया था. इस प्रतिमा को स्थापित करने के लिए 3 फीट ऊंचा चबूतरा भी बनाया गया है. इसका मतलब ये कि इस प्रतिमा की ऊंचाई पंडित नेहरू की मूर्ति से लगभग तीन फुट ऊंची हो गई है.
बंगाल चुनाव की तैयारियों के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के पूजा-पंडालों के साथ वर्चुअली जुड़कर शक्ति आराधना की थी. अब उनकी आस्था के बाद पश्चिम बंगाल के महापुरूषों पर भी मोदी फोकस कर रहे हैं. स्वामी विवेकानंद की जिस प्रतिमा को JNU में लगने के लिए 15 साल लग गए. प्रधानमंत्री मोदी का उसी प्रतिमा को बंगाल चुनाव के पहले अनावरण करना बंगाल की जनता के लिए एक संदेश है.
दरअसल, 2005 में विश्वद्यालय में जवाहर लाल नेहरू की मूर्ति लगी तो उसी समय कुछ छात्रों के स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगवाने की भी गुजारिश कुलपति से की थी पर ऐसा नही हो पाया था. साल 2010 में भी ऐसी ही कोशिश की गई लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा.
साल 2014 में कुलपति एम. जगदीश कुमार की नियुक्ति के बाद कुछ छात्रों ने कुलपति से मुलाकात कर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की और 3 साल बाद 2017 में इस प्रस्ताव को मान लिया गया. फिर जाकर 2017 में प्रतिमा बनाने का काम शुरू हुआ और 2019 तक ये प्रतिमा बनकर तैयार हो गई. लेकिन भारी विरोध के चलते इसके अनावरण में एक साल लग गया और अब जाकर इस प्रतिमा को सम्मान के साथ JNU में लगाया जा रहा है.
'टुकड़-टुकड़े गैंग' को स्वामी विवेकानंद से बैर!
विरोध की वजह ये थी कि JNU के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के एक छोर पर पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी है और वहीं से करीब तीन सौ मीटर दूर स्वामी विवेकानंद की ये प्रतिमा स्थापित की गई है जो पंडित नेहरू का प्रतिमा से 3 फीट ऊंची है. JNU में 'टुकड़-टुकड़े गैंग' को युवाओं के आदर्श विवेकानंद से इतना बैर है कि उन्होनें इस प्रतिमा को न लगने देने के लिए कई प्रयास किए.
छात्रों को उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको को मंत्र देने वाले विवेकानंद ने कभी ये नहीं सोचा होगा कि एक ऐसी सुबह भी आएगी जब उनके महान देश में उनको इस तरह अपमानित किया जाएगा लेकिन आज की शाम स्वामी विवेकानंद के सम्मान को समर्पित होगी.