देश के कुछ राज्य चिट्ठी दल के कहर से जूझ रहे हैं. गुजरात राजस्थान हरियाणा पंजाब मध्य प्रदेश महाराष्ट्र इस समय टिड्डी दल से परेशान है, दिल्ली और यूपी अलर्ट पर है. ये जहां जाते हैं फसल पूरी चौपट कर देते हैं. ये ओम्नीवोरस जीव है.
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नई दिल्ली: खूबसूरत से दिखने वाले अपने शरीर पर मैटेलिक रंग की शील्ड लिए हुए टिड्डियों (Locust) ने कई देशों को परेशान कर रखा है.
देश के कुछ राज्य चिट्ठी दल के कहर से जूझ रहे हैं. गुजरात राजस्थान हरियाणा पंजाब मध्य प्रदेश महाराष्ट्र इस समय टिड्डी दल से परेशान है, दिल्ली और यूपी अलर्ट पर है. ये जहां जाते हैं फसल पूरी चौपट कर देते हैं. ये ओम्नीवोरस जीव है.
कृषि मंत्रालय का कहना है कि -पाकिस्तान (Pakistan) टिड्डी दल पर नियंत्रण नहीं रख पाया. अब ये टिड्डी दल भारत में घुसकर फसलें चट कर रहा है. पूरी धरती के 1/5 भाग को कवर कर सकते हैं टिड्डी दल. विश्व की 1/10 जनसंख्या की रोजी-रोटी छीन सकते हैं, विश्व के 60 देश में कहर बरपाते है टिड्डी दल, गल्फ देशों अफ्रीका से होते हुए भारत आते है टिड्डी दल.
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जोधपुर के टिड्डी दल नियंत्रण संगठन के अनुसार भारत में मॉनसून से पहले अपनी ब्रीडिंग करने आते हैं टिड्डी दल. भारत के बाद फिर टिड्डी गल्फ, ईरान,अफ्रीका की तरफ लौटते हैं. इस समय भी भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पास बड़ी संख्या में अवयस्क टिड्डी मौजूद हैं ,जो भारत में और जगह कहर बरपाने को तैयार हैं.
एक तरह से देखा जाए तो ये हनीमून ट्रिप पर आते हैं, अपनी जनसंख्या बढ़ाते हैं और फसल बर्बाद करते हैं.
टिड्डीदल चेतावनी संगठन जोधपुर के अनुसार- यह झुंड में ही चलते हैं. मेटिंग के दो दिन बाद अंडे देते हैं. केवल पीले टिड्डी अंडे देते हैं, गुलाबी नहीं देते. मादा पूंछ की जमीन में घुस कर के अंदर 6 इंच गहराई पर अंडे देती है, उस जगह सूराख हो जाता है और सूराख के मुंह पर सफेद पाउडर सा दिखता है. इससे इनकी पहचान की जा सकती है. अंडे देते समय यह तीन-चार दिन एक जगह रुकते हैं. इस समय खेत में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर अंडों को नष्ट किया जा सकता है.
अंडे से 12 दिन बाद कुछ फांक जैसे निकलते हैं, लेकिन 30 दिन में ही यह वयस्क हो पाते हैं. दिनभर ये उड़ते हैं और शाम होते ही पेड़ों पर पौधों पर बैठ जाते हैं रात भर बैठे रहते हैं फिर सुबह सूरज उगने के साथ ही उड़ने लगते हैं.यह जहां जाते हैं पूरी फसल खा जाते हैं. कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि इनको अपने खेत में न आने दिया जाए इसके लिए डीजे साउंड या जोर से ढोलक, ड्रम, थाली आवाज की जाती है. ये साउंड इनको पसंद नहीं है, इससे ये भागते हैं.
इनको मारने के लिए मालाथियान, क्लोरोपाइरीफास, डेल्टामेथरिन नाम के पेस्टिसाइड का छिड़काव किया जाता है. कृषि विभाग फायर बिग्रेड के ट्रक में दवाई डालकर जगह-जगह छिड़कवा रहा है, ड्रोन से भी छिड़की जाएगी दवाई,इसके लिए सिविल एविएशन विभाग से सहायता ली जा रही है. अजमेर चित्तौड़गढ़ दौसा मंदसौर उज्जैन शिवपुरी झांसी में टिड्डी दल से निपटने के लिए कंट्रोल कैंप बना हुआ है.