अमेरिका की धमकी के बाद रूस से तेल खरीदना बंद करेगा भारत? वित्त मंत्रालय ने दिया ये बयान
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अमेरिका की धमकी के बाद रूस से तेल खरीदना बंद करेगा भारत? वित्त मंत्रालय ने दिया ये बयान

वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार सस्ते दाम पर कच्चा तेल  (Crude Oil) खरीदने के लिए सभी व्यवहारिक विकल्पों को तलाश रही है और भारत अपनी पेट्रोलियम बॉस्केट में विविधता लाने पर फोकस कर रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (Crude Oil) की बढ़ती कीमतों के बाद भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत तेल की कीमतों को कम करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है और सस्ते दामों पर कच्चे तेल खरीदने के सभी विकल्पों को तलाश रहा है. इस बीच रूस ने डिस्काउंट पर कच्चा तेल बेचने का ऑफर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत अमेरिकी दबाव के बीच रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदेगा?

  1. सस्ता कच्चा तेल खरीदने के विकल्पों तलाश रहा भारत
  2. रूस से तेल खरीदना जारी रख सकता है भारत
  3. भारत ने कहा कि रूस से व्यापारिक संबंधों पर पश्चिमी दबाव नहीं

सस्ता कच्चा तेल खरीदने के विकल्पों तलाश रहा भारत

क्रूड ऑयल की खरीद को लेकर वित्त मंत्रालय ने बयान जारी किया है और कहा है कि सरकार सस्ते दाम पर कच्चा तेल  (Crude Oil) खरीदने के लिए सभी व्यवहारिक विकल्पों को तलाश रही है. वित्त मंत्रालय ने मार्च महीने के मंथली इकॉनमिक रिव्यू रिपोर्ट में कहा है कि आत्मनिर्भर भारत राष्ट्रीय आर्थिक और सुरक्षा हितों को किसी भी अन्य विचार से ऊपर रखता है. वित्त मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा में चेतावनी दी हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में बाधा बन सकती है. मंत्रालय के अनुसार, यदि कच्चे तेल की कीमत का मौजूदा स्तर लंबे समय तक बना रहता है तो यह आने वाले वित्तीय वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर नीचे आ सकती है.

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रूस से तेल खरीदना जारी रख सकता है भारत

वित्त मंत्रालय के बयान से साफ हो गया है कि अमेरिका की धमकियों के बावजूद भारत रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदना जारी रख सकता है. वित्त मंत्रालय ने मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा कि कच्चे तेल की आपूर्ति  सुनिश्चित करने और केवल एक क्षेत्र पर कच्चे तेल पर निर्भरता के जोखिम को कम करने के लिए, भारत विभिन्न भौगोलिक स्थानों जैसे मध्य पूर्व, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका आदि में अपनी पेट्रोलियम बॉस्केट में विविधता लाने पर फोकस कर रहा है.

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रूस से व्यापारिक संबंधों पर पश्चिमी दबाव नहीं: भारत

विदेश मंत्रालय (MEA) ने भी रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को लेकर गुरुवार को बयान जारी किया और कहा कि इसको लेकर पश्चिमी देशों की ओर से भारत पर कोई दबाव नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि ऐसा नहीं सोचें कि कोई दबाव है. प्रतिबंधों की बात चल रही है, लेकिन यह पूरे व्यापार पर नहीं है. व्यापार हो रहा है, तेल का भी व्यापार हो रहा है. हमारा ध्यान रूस के साथ अपने स्थापित आर्थिक संबंधों को बनाए रखने और स्थिर करने पर है.

US ने भारत को दी थी रूस का साथ छोड़ने की धमकी

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) को लेकर भारत शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में अहम भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. भारत का यह रुख अमेरिका को रास नहीं आ रहा है. ऐसे में व्हाइट हाउस नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल के निदेशक ब्रायन डीज (Brian Dees) ने भारत को रूस के साथ गठबंधन करने को लेकर चेतावनी दी और कहा कि मॉस्को (Moscow) के साथ गठबंधन से भारत को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

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भारत ने नहीं लगाया रूस पर किसी तरह का प्रतिबंध

राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के शीर्ष आर्थिक सलाहकार ने कहा कि यूक्रेन पर हमले (Attack on Ukraine) के बाद नई दिल्ली (New Delhi) के रिएक्शन से अमेरिका को निराशा हुई है. हम चीन और भारत दोनों के फैसलों से निराश हुए हैं. बता दें कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया (Australia) और जापान (Japan) ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के जवाब में रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए. वहीं, भारत ने शांति की बात की और रूस से तेल के आयात को जारी रखा. ब्रायन डीज ने कहा कि हमले पर नई दिल्ली की प्रतिक्रिया वॉशिंगटन (Washington) के साथ उसके संबंधों को जटिल बना रही है.

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