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रायपुर: भारत के गुजरात (Gujarat) और बिहार (Bihar) में सरकार की तरफ से शराब पर पाबंदी (Ban On Liquor) है. यहां शराब बेचना अपराध है. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि किसी जगह बिना सरकार की मदद से महिलाएं शराब पर पाबंदी लगा दें. हां ये सच है. ऐसा छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के एक आदिवासी गांव में हो रहा है. यहां की महिलाओं ने पिछले 50 साल से शराब पर पाबंदी लगा रखी है. हालांकि छत्तीसगढ़ में शराब पर कोई पाबंदी नहीं है.
दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासियों का ये गांव छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 150 किमी दूर स्थित है. धमतरी जिले के केक राखोली ग्राम पंचायत में ये गांव है, इसका नाम पालवाड़ी (Palwadi) है. पालवाड़ी गांव में शराब बनाने और बेचने पर पूरी तरह से बैन है. यहां की सामाजिक व्यवस्था से शराब पूरी तरह से बाहर हो चुकी है.
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जान लें कि शराबबंदी के लिए आंदोलन की शुरुआत में महिलाएं अपने घर का काम-काज निपटाने के बाद एक जगह इकट्ठा होती थीं और फिर गांव में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करती थीं. महिलाओं ने एक कमेटी भी बनाई हुई है. कमेटी की अध्यक्ष जागेश्वरी गौतम ने बताया कि गांव में शराब बनाने पर बैन है. जब शराब बनेगी ही नहीं तो बिकेगी नहीं. अगर बिकेगी नहीं तो कोई खरीदेगा ही नहीं. खरीदेगा नहीं तो कोई पिएगा ही नहीं. पिएगा नहीं तो अपराध कम होंगे. फिर ये पैसा शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार के अन्य कामों में लगेगा.
बता दें कि पालवाड़ी गांव में शराबबंदी इसलिए भी सफल हुई क्योंकि यहां के लोग जुर्माना देने से डरते हैं. पालवाड़ी गांव में शराब बनाने वाले पर 20 हजार रुपये और शराब पीकर हुड़दंग करने वाले पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.
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गौरतलब है कि पालवाड़ी गांव में शराब पर पाबंदी से प्रेरणा लेते हुए आसपास के कई गांवों की महिलाओं ने भी ऐसा ही किया है. वहां भी महिलाओं ने कमेटी बनाई हैं. वो गांव में लोगों को शराब से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करती हैं. पालवाड़ी के पास सोनझरी, धनोरा, मुरूमडीह, मुड़केरा और भंडारवाड़ी गांव में इस मुहिम का असर दिखने लगा है. इन गांवों में शराबबंदी हो गई है.
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