भारत-रूस के बीच AK 203 की डील डन, जानिए क्यों इसके नाम से खौफ खाते हैं दुश्मन
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भारत-रूस के बीच AK 203 की डील डन, जानिए क्यों इसके नाम से खौफ खाते हैं दुश्मन

World's Best AK 203: AK 203 दुनिया की सबसे अच्छी असॉल्ट राइफल्स में गिनी जाती है. भारतीय सेना AK सीरीज़ की कई राइफल्स इस्तेमाल करती है. लेकिन ये AK 203 बाकी सबके मुक़ाबले बहुत आधुनिक है. जिसका वजन 4 किलो के लगभग है और इसमें 30 गोलियों की मैगज़ीन लगाई जाती है. इस राइफल से 800 मीटर तक अचूक निशाना लगाया जा सकता है. 

मेड इन रसिया का मेक इन इंडिया वर्जन बनने का वक्त आ गया है...

नई दिल्ली: रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की 6 दिसंबर की भारत (India) यात्रा के दौरान भारतीय सेना (Army) को अत्याधुनिक AK 203 असाल्ट राइफल्स मिलने पर आखिरी मुहर लग गई है. अब माना जा रहा है कि अगले 2 से 3 साल में सेना को भारत में बनी (Made In India AK-203 राइफल्स मिलनी शुरू हो जाएंगी. रूस और भारत के साझा यानी ज्वाइंट वेंचर में उत्तर प्रदेश में अमेठी में 6 लाख से ज्यादा राइफल्स बनाई जाएंगी. 

  1. मेड इन रसिया अब मेक इन इंडिया
  2. AK 203 डील पर लगी आखिरी मुहर
  3. देखिए नए भारत की नई तस्वीर

इंडो रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी

भारत और रूस ने एके 203 राइफल्स के भारत में निर्माण पर 2018 में हुई राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान सहमति जताई थी. तीन साल तक चली लंबी बातचीत के बाद नवंबर में भारतीय रक्षा मंत्रालय और उसके बाद भारत सरकार ने मंजूरी दे दी. राइफल्स का निर्माण इंडो रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) करेगा. 

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इस पार्टनरशिप पर होगा काम

इस कंपनी में भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड की हिस्सेदारी 50.5 फीसदी, कलाश्निकोव कंसर्न की हिस्सेदारी 42 फीसदी और रोसोबोरोन एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 7.5 फीसदी होगी. शुरुआती 70,000 राइफल्स 5 से 70 प्रतिशत स्वदेशी होंगी और इसके बाद की सारी राइफल्स 100 फीसदी स्वदेशी होंगी. अमेठी के पास कोरवा में आधुनिक फैक्टरी का निर्माण पूरा हो गया है जिसमें एक फायरिंग रेंज भी है. रूसी एक्सपर्ट फैक्टरी के निर्माण और चलाने में मदद करेंगे. 

World's बेस्ट AK 203

AK 203 दुनिया की सबसे अच्छी असॉल्ट राइफल्स में गिनी जाती है. भारतीय सेना AK सीरीज़ की कई राइफल्स इस्तेमाल करती है. लेकिन ये AK 203 बाकी सबके मुक़ाबले बहुत आधुनिक है. जिसका वजन 4 किलो के लगभग है और इसमें 30 गोलियों की मैगज़ीन लगाई जाती है. इस राइफल से 800 मीटर तक अचूक निशाना लगाया जा सकता है. 

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इस राइफल में एक पिकेटिनी रेल लगी है जिसमें ज़रूरत के मुताबिक रात में देखने की साइट, लेज़र साइट, थर्मल इमेजिंग राइफल स्कोप या फ्लैश लाइट लगाई जा सकती है. इसका कुंदा ज़रूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा किया जा सकता है या बगल में फोल्ड किया जा सकता है जिससे इसे ले जाना आसान हो जाता है.

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