वजूभाई वाला और एचडी देवेगौड़ा के बीच हुई ये राजनीतिक घटना फिर आई याद...
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वजूभाई वाला और एचडी देवेगौड़ा के बीच हुई ये राजनीतिक घटना फिर आई याद...

कर्नाटक विधानसभा में बहुमत के लिए 112 सीटों की आवश्यकता होती है. लेकिन बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली है. राज्यपाल ने बीजेपी के सरकार बनाने का न्योता दिया.

वजूभाई वाला इस वक्त गुजरात के राज्यपाल हैं और उन्हें देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के सत्ता में आने और बाहर रहने का फैसला करना है  (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा चुनावों परिणामों के बाद किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने के कारण नई सरकार के गठन को लेकर सभी की नजरें अब राजभवन पर टिक गई थी. कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला गुजरात की सियासत के बड़े खिलाड़ी रहे है. वजूभाई वाला लंबे समय तक गुजरात में बीजेपी की सरकार के दौरान वित्त मंत्री रहे हैं. अब कर्नाटक की स्थिति में वजूभाई वाला ने निर्णय लिया है कि राज्य में सबसे बड़े दल बीजेपी की सरकार बने और सीएम 15 दिन में बहुमत साबित करके दिखाए. 

  1. वजूभाई वाला साल 1996 में गुजरात के वित्त मंत्री थे और देवगौड़ा पीएम
  2. केशुभाई पटेल की सरकार पर शंकर सिंह वाघेला के चलते आया था संकट
  3. राज्यपाल के निर्णय के चलते गई थी बीजेपी की सरकार, बीजेपी में पड़ी थी फूट

राज्यपाल के निर्णय के बाद कांग्रेस और जेडीएस ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट उठाया है. लेकिन इस वक्त के इस घटनाक्रम ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और वजूभाई वाला के बीच हुई एक अन्य राजनीतिक घटना की याद दिला दी. यह घटना उस वक्त की है जब गुजरात में बीजेपी की पहली बार सरकार बनी थी. उस वक्त वजूभाई वाला बीजेपी की सरकार में वित्त मंत्री थे. ये वह दौर था जब केंद्र में नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे और केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री थे. उस वक्त वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात प्रदेश बीजेपी के महामंत्री लेकिन उन्हें पार्टी ने दिल्ली भेज दिया था. इस दौरान ही शंकर सिंह वाघेला ने केशुभाई के नेतृत्व से असहमति जताते हुए कुछ विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया और खुद सीएम बनने का दावा किया था.

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बीजेपी ने 21 अक्टूबर 1995 को वाघेला के असंतोष को शांत करने के लिए केशुभाई की जगह सुरेश मेहता को सीएम बनाया. सुरेश मेहता 21 सिंतबर 1996 तक सीएम रहे. तब तक केंद्र में एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री (1 जून 1996-21 अप्रैल 1997) बन चुके थे. सुरेश मेहता को हटाने के लिए भी वाघेला ने विधानसभा में दावा किया यह सरकार अल्पमत में है. उस समय गुजरात में राज्यपाल कृष्ण पाल सिंह थे. जब बात सदन में बहुमत साबित करने की बात आई तो सुरेश मेहता ने विश्वास मत सदन में हासिल कर लिया. लेकिन तत्कालीन स्पीकर चंदू भाई डाबी (जोकि कांग्रेस से थे और मौजूदा स्पीकर हरीश चंद पटेल की तबीयत खराब होने के कारण पदासीन पर थे) ने राज्यपाल को बताया कि विश्वासमत हासिल नहीं किया गया है. इसी सूचना के आधार पर राज्यपाल ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में विधानसभा को सस्पेंड करने की मांग की. केंद्र ने राज्यपाल की बात मानते हुए 6 महीने तक विधानसभा सस्पेंड कर दी. 

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इस दौरान वजुभाई लगातार राज्यपाल से विधानसभा शुरू करने की गुजारिश करते रहे. इस दौरान उन्होंन केंद्र की देवगौड़ा सरकार से भी विधानसभा बहाल करने की मांग की थी. गुजरात में 19 सितंबर 1996 से 23 अक्टूबर 1996 तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा. 23 अक्टूबर 1996 को शंकर सिंह वाघेला ने बीजेपी में तोड़फोड़ की और कांग्रेस के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी. वाघेला अक्टूबर 1997 तक गुजरात के सीएम रहे थे.

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में बहुमत के लिए 112 सीटों की आवश्यकता होती है. लेकिन बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली है. सबसे बड़ा दल होने के नाते बीजेपी ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था. वहीं कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देते हुए बहुमत का दावा किया था. कांग्रेस जेडीएस के कुमारस्वामी को सीएम बनाने पर सहमत है और बुधवार को कुमारस्वामी ने जेडीएस और कांग्रेस विधायकों के साथ राज्यपाल से मुलाकात की थी. लेकिन राज्यपाल ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को सरकार बनाने का न्योता दिया है.

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