हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है कि पेट की आंतरिक चर्बी अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखने से करीब 20 साल पहले ही इस गंभीर बीमारी के खतरे का संकेत दे सकती है.
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पेट की छिपी हुई चर्बी केवल आपकी फिटनेस का दुश्मन नहीं है, बल्कि यह आपके दिमाग के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती है. हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है कि पेट की आंतरिक चर्बी अल्जाइमर रोग के लक्षण दिखने से करीब 20 साल पहले ही इस गंभीर बीमारी के खतरे का संकेत दे सकती है. यह चर्बी न केवल आपके आंतरिक अंगों को घेरती है, बल्कि आपके दिमाग में असामान्य प्रोटीन जमाव को भी बढ़ा सकती है, जो अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार है.
आंत की चर्बी (विसरल फैट) आंतरिक अंगों जैसे कि लिवर, दिल, किडनी और आंतों के मेसेंट्री के चारों ओर फैट के जमाव से है. त्वचा के नीचे स्थित सबक्यूटेनियस फैट के विपरीत, विसरल फैट मेटाबॉलिज्म रूप से सक्रिय होता है और अधिक स्वास्थ्य खतरे पैदा करता है. रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएसएनए) की चल रही वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए गए शोध से पता चला है कि आंत की चर्बी डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण दिखने से 20 साल पहले तक अल्जाइमर के खतरे का अनुमान लगा सकती है.
कैसे हुआ अध्ययन
अध्ययन में 80 संज्ञानात्मक रूप से सामान्य मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति (औसत आयु: 49.4 वर्ष) शामिल थे, जिनमें से लगभग 57.5 प्रतिशत मोटे थे और प्रतिभागियों का औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 32.31 था. सेंट लुईस मिसौरी में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर रोग में एमिलॉइड और टाऊ जमाव के साथ बीएमआई, विसरल फैट, सबक्यूटेनियस फैट, लिवर फैट फ्रैक्शन, जांघ की चर्बी और मसल्स के साथ-साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस और एचडीएल (गुड कोलेस्ट्रॉल) के संबंध का अध्ययन किया.
एक्सपर्ट का क्या कहना?
इस अध्ययन के लेखक महसा दौलतशाही ने कहा कि हमारे अध्ययन से पता चला है कि अधिक आंत फैट अल्जाइमर रोग के दो हॉलमार्क पैथोलॉजिकल प्रोटीन एमिलॉइड और टौ के हाई पीईटी लेवल से जुड़ा था. अध्ययन ने यह भी दिखाया कि हाई इंसुलिन रेजिस्टेंस और कम एचडीएल दिमाग में हाई एमिलॉइड से जुड़े थे. हाई एचडीएल वाले लोगों में एमिलॉइड पैथोलॉजी पर आंत की चर्बी के प्रभाव आंशिक रूप से कम हो गए थे.
लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी
टीम ने पेट की चर्बी कम करने और अल्जाइमर रोग के विकास को कम करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करने को कहा. डॉ. दौलतशाही ने कहा कि यह अध्ययन एमआरआई के साथ शरीर के फैट को अधिक सटीक रूप से चिह्नित करने के लिए बीएमआई का उपयोग करने से आगे जाता है और ऐसा करने से इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है कि मोटापा अल्जाइमर रोग के खतरे को कैसे बढ़ा सकता है.