क्या ठंड में राजा-महाराजा सिर्फ मांस खाते थे? सच जानकर रह जाएंगे दंग
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क्या ठंड में राजा-महाराजा सिर्फ मांस खाते थे? सच जानकर रह जाएंगे दंग

सर्दियों का मौसम खानपान की दृष्टि से काफी अहम माना जाता है. इस मौसम में सर्दी से बचाव के लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. राजा महाराजा भी सर्दियों में सेहत का खास ख्याल रखते थे.

क्या ठंड में राजा-महाराजा सिर्फ मांस खाते थे? सच जानकर रह जाएंगे दंग

सर्दियों का मौसम खानपान की दृष्टि से काफी अहम माना जाता है. इस मौसम में सर्दी से बचाव के लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. राजा महाराजा भी सर्दियों में सेहत का खास ख्याल रखते थे. वे भी सर्दियों में कई तरह के व्यंजन खाते थे, जो उन्हें सर्दी से बचाने में मदद करते थे.

राजस्थान के इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार राजा महाराजा भी सर्दियों में शाकाहारी में विशेष रेसिपी से बने गौंद और मैथी के लड्डुओं के साथ ही बाजरे तथा मोठ की खिचड़ी पर खास जोर देते थे. बाजरे और मोठ की खिचड़ी की तासीर गर्म होती है और यह राजस्थान में बहुतायत में मिलता है. इस खिचड़ी को शाही रसोड़ों के खानसामे विशेष तरीके से बनाते थे.

केसर का दूध
बताया जाता है कि काफी सारे राजा महाराजा सर्दियों में केसर वाला गर्म दूध पीया करते थे. केसर बलवर्धक होती है और यह सर्दी से बचाने में भी मदद करती है. वहीं सर्दियों में मासांहारी में तीतर, हिरण और जंगली सूअर के मांस को प्राथमिकता दी जाती थी, क्योंकि इनकी तासीर भी गर्म होती है.

अंग्रेजी साम्राज्य के बाद आया बदलाव
इतिहास पर नजर डालें तो अंग्रेजी साम्राज्य से पहले और बाद के समय में राज महाराजाओं के खान पान और खाने के तरीके में काफी बदलाव आ गया था. पहले के राजा महाराजा देसी संस्कृति को अहमियत देते थे, लेकिन अंग्रेज साम्राज्य के बाद उसमें अंग्रेजी संस्कृति हावी हो गई.

बाजरे से बना खीचड़ा
राजस्थान में बाजरा एक प्रमुख खाद्य पदार्थ है। यह पौष्टिक होने के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होता है. इसलिए सर्दियों में बाजरे का खीचड़ा हर घर में बनाया जाता है. राजे रजवाड़ों में भी सर्दियों में बाजरे का खीचड़ा और दाल-बाटी एक साथ खाने की परंपरा है. यह भोजन पौष्टिक होने के साथ-साथ सर्दी से बचाने में भी मदद करता है.

खीचड़ा, कढ़ी, गुड़ और शुद्ध देसी घी
राजे रजवाड़े गर्म तासीर वाले बाजरी और मौठ के हेल्दी व्यजंनों पर ज्यादा जोर देते थे. इनमें बाजरे का सोगरा, कढ़ी, गुड़, खीचड़ा और शुद्ध देसी घी के साथ केसर वाला दूध का उपयोग करते थे. वहीं मूंग बड़ी भी इस फेहरिस्त में शामिल है. बाजरी राजस्थान का मुख्य भोजन है. यह पौष्टिक होने के साथ की सेहत की दृष्टि से काफी फायदेमंद है. फर्क सिर्फ इतना है कि राजे रजवाड़ों में उनके खानसामें बेहतरीन व्यंजन बनाते थे वहीं आमजन उसे सादे तरीके से खाता था. राजा महाराजाओं का खानपान आज भी हमारे लिए प्रेरणा का सोर्स है. सर्दियों में हमें भी इन व्यंजनों का सेवन करना चाहिए ताकि हम सर्दी से बचे रहें और स्वस्थ रहें.

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