घरेलू इलाज के तौर पर लोग पपीते के पत्ते का प्रयोग करते हैं. डेंगू के इलाज में पपीते के पेड़ की पत्तियां बेहतर इलाज के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं.
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नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी के इस वक्त में लोगों का ध्यान अन्य बीमारियों को लेकर उतना सजग नहीं है जितना कि होना चाहिए. ऐसे में आपको याद दिला देना हमें ज्यादा जरूरी लगा कि यह मौसम मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों के पनपने और फैलने के लिए भी है. ये दोनों बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती हैं. आज हम आपको डेंगू के लक्षण और उसे बचने के उपाय के बारे में बता रहे हैं.
इसके लक्षण वैसे तो कई हैं और वह वायरल जैसे लग सकते हैं लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आम बुखार से अलग होते हैं जैसे कि मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि. साथ ही इसमें बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, उल्टी आना और चक्कर महसूस होना, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते भी हो जाते हैं.
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घरेलू इलाज के लिए जरूरी-
घरेलू इलाज के तौर पर लोग पपीते के पत्ते का प्रयोग करते हैं. डेंगू के इलाज में पपीते के पेड़ की पत्तियां बेहतर इलाज के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं. पपीते के पत्ते का रस निकाल लिया जाता है. इसे एक दिन में दो बार लगभग 2-3 चम्मच की मात्रा लेने के लिए कहा जाता है. पपीते का यह रस व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कणों में बढ़ोतरी करता है.
वहीं अनार का अधिकाधिक सेवन भी लाल रक्त कणों में बढ़ोतरी करता है और डेंगू बुखार में फायदेमंद बताया जाता है. शरीर में होने वाली खून की कमी और कमजोरी को दूर करता है.
बकरी के दूध का सेवन भी करने के लिए कहा जाता है क्योंकि कहा जाता है कि यह प्लैटलेट्स की संख्या में इजाफा करता है. डेंगू ऐसा रोग है जिसमें प्लैटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है.
गिलोय इस प्रकार की बीमारी में कारगर मानी जाती है. तुलसी के साथ इसका काढ़ा बनाकर पिएं. आप गिलोय का जूस भी पी सकते हैं और इसकी गोलियां भी खा सकते हैं.
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बचाव के लिए जरूरी-
डेंगू से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सफाई. अपने आसपास सफाई रखें और पानी जमा न होने दें.
घर के कूलर की सफाई करें. कूलर खाली कर लें और उसे साफ करें और इसके बाद ही फिर ताजा पानी भरें.
आंगन या फिर गार्डन में कभी भी पानी को किसी जगह इकठ्ठा न होने दें. किसी भी जगह पर जहां पानी रुका हुआ हो, वहां पानी में मच्छर पनप सकते हैं और इसी से डेंगू भी फैल सकता है.
गमलों के पानी को चेक करें. मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियों जैसी जगहों को भी नियमित रूप से चेक करते रहें.