Air Pollution: दिल के मरीजों की आर्टरीज पहले से ब्लॉक होती हैं. प्रदूषण की वजह से धूल के बारीक कण यानी PM 2.5 के कण मरीजों के दिल की आर्टरीज तक पहुंच जाते हैं. इससे आर्टरीज और ज्यादा ब्लॉक हो जाती हैं.
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नई दिल्ली: अगर आप दिल के मरीज नहीं है और दिल्ली-एनसीआर में कहीं भी रहते हैं या काम करते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, लेकिन अगर आप दिल के मरीज हैं और दिल्ली में रहते हैं तो ये आपके लिए ये एमरजेंसी का वक्त है, हो सके तो दिल्ली छोड़ दें. हम जानते हैं कि ये कहना आसान है, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है. फिर भी हम आपसे ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसकी एक बड़ी वजह है. आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह प्रदूषण (Air Pollution)अच्छे भले लोगों को अस्पताल पहुंचा रहा है और दिल के मरीजों के लिए जहरीली हवा कैसे जानलेवा साबित हो रही है.
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ये दिल्ली छोड़ देने का वक्त है, लेकिन ऐसा कहना आसान है और करना मुश्किल, इसलिए लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जो उन्हें जीते जी मार रही है. ये अतिश्योक्ति नहीं है- जहरीला सच है. अस्पतालों में प्रदूषण की वजह से मरीज भर्ती हो रहे हैं, घरों के अंदर मास्क लगाकर घूम रहे हैं और बाहर जहरीली सांसें लेने को मजबूर हैं.
लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में प्रदूषण की वजह से 90 लाख लोग असमय मारे जाते हैं, जिसमें से 25 लाख लोग भारत से होते हैं. किसी भी देश में प्रदूषण से मारे जाने वाले लोगों की ये सबसे ज्यादा संख्या है. प्रदूषण से मरने वाले लोगों में से 60 प्रतिशत लोग दिल के मरीज होते हैं.
अब ये जानें कि प्रदूषण और दिल की बीमारियों (Heart Disease) के बीच में क्या संबंध है. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक सेठ के मुताबिक, दिल के मरीजों की आर्टरीज पहले से ब्लॉक होती हैं. प्रदूषण की वजह से धूल के बारीक कण यानी PM 2.5 के कण मरीजों के दिल की आर्टरीज तक पहुंच जाते हैं. इससे आर्टरीज और ज्यादा ब्लॉक हो जाती हैं. ये कण दिल की धमनियों में सूजन भी पैदा कर देते हैं. युवाओं में दिल की बीमारी बढ़ने के ज्यादातर मामलों के पीछे प्रदूषण को एक बड़ी वजह माना गया है. प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ, खांसी, छाती में दर्द और आंखों में जलन की समस्या हो रही है.
दिल के मरीजों को ज्यादा प्रदूषण के वक्त घर से बिल्कुल बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है. उन्हें घर में रहकर ही हल्की कसरत करनी चाहिए. हालांकि जो लोग दिल के मरीज नहीं हैं, वो दोपहर के वक्त बाहर निकल सकते हैं, लेकिन अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार है तो किसी को भी घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है क्योंकि, ये एमरजेंसी के हालात माने जाते हैं.
हर साल ऐसे दमघोंटू माहौल में अदालतें बैठती हैं और सरकार एक्शन में आती है, ऐसा लगता है कि बाकी साल प्रदूषण हल करने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता, तो अब आपको ये आंकड़े जानने चाहिए.
दिसंबर 2015 में बीजिंग की एयर क्वालिटी 291 थी. तब वहां पहली बार प्रदूषण की वजह से रेड अलर्ट जारी किया गया था. उसके बाद से चीन ने प्रदूषण कम करने पर काम किया. 2021 में चीन के बीजिंग में एयर क्वालिटी 90 से 150 के बीच है, सुधार की कोशिशें जारी हैं. यूरोप के सबसे प्रदूषित शहरों में लंदन आता है, वहां इन दिनों एयर क्वालिटी 60 से 90 के बीच है. वायु प्रदूषण लंदन में बहुत बड़ा मुद्दा है.
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भारत की राजधानी दिल्ली में इस वक्त एयर क्वालिटी 400 से ऊपर है. इसका मतलब दिल्ली में कर्फ्यू होना चाहिए. देश की सबसे बड़ी रिसर्च संस्था ICMR यानी Indian Council For medical Research ने दिसंबर 2020 में प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों के आंकड़े जारी किए. इन आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2019 में 16 लाख लोग प्रदूषण की वजह से मारे गए. इन 16 लाख मौतों में से 9 लाख 80 हजार लोग PM 2.5 का स्तर ज्यादा होने यानी हवा में मौजूद धूल के कणों के खतरनाक स्तर पर होने की वजह से मारे गए, जबकि 6 लाख 10 हजार लोग Indoor Pollution की वजह से मारे गए. हमारे देश में प्रदूषण से हर रोज 4 हजार 383 लोग और हर घंटे 282 लोग मारे जाते हैं. देश में होने वाली कुल मौतों में से 18 प्रतिशत की वजह प्रदूषण को माना गया है.
भारत को प्रदूषण की वजह से 2019 में 2 लाख 60 हजार करोड़ का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. ये नुकसान भारत की कुल GDP के 1.4 प्रतिशत जितना है, लेकिन प्रदूषण किसी चुनावी मेनिफेस्टो का मुद्दा नहीं है. प्रदूषण को लेकर कोई धरना प्रदर्शन नहीं होता. नतीजा ये है कि प्रदूषण नाम का ये Silent killer धीरे धीरे पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है और हम रोज इस जहर के घूंट को पीकर जी रहे हैं.