Chinti Ki Chutney GI TAG: ओडिशा के मयूरभंज जिले के 'सिमिलिपाल काई चटनी'(Similipal kai Chutney) को जीआई टैग मिला है. इसे काई चटनी(Kai Chutney) के नाम से भी जाना जाता है. इस चटनी के कई स्वास्थ लाभ है. आइये जानते हैं क्यों खास है ये चींटी की चटनी?
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Chinti Ki Chutney: अगर एक लाल चींटी किसी इंसान को काट ले तो बहुत दर्द होता है. कुछ मामलों में तो शरीर का वो हिस्सा सूज भी जाता है. यही वजह है कि जब भी कोई चींटी दिखती है तो उससे दूर होने के तमाम उपाय अपनाते हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस चींटी से आपको डर लगता है, हमारे ही देश के कुछ हिस्सों में इसकी चटनी बनाकर खाते हैं. इतना ही नहीं ये चटनी एक दो चींटी से नहीं बल्कि सैकड़ों चीटियों से बनती है. अब इस चटनी को जीआई(GI TAG) मिल चुका है. इसलिए आपको भी जानना चाहिए कि क्यों खास है ये चींटी की चटनी? और इसको खाने के क्या फायदे हैं?
लाल बुनकर चीटियों से बनती है चटनी
दरअसल, ओडिशा के मयूरभंज जिले के 'सिमिलिपाल काई चटनी'(Similipal kai Chutney) को जीआई टैग मिला है. इसे काई चटनी(Kai Chutney) के नाम से भी जाना जाता है. इस चटनी को लाल बुनकर चीटियों(Red Weaver Ants) से बनाया जाता है. ये चटनी सैकड़ों चीटियों और उसके अंडे से बनती है. चींटी की चटनी अपने क्षेत्र की सबसे लोकप्रिय डिश है. ये चटनी आदिवासी लोगों की पोषण सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होती है.
शोधकर्ता बताए ये खास बातें
ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) भुवनेश्वर ने चींटी की चटनी पर शोध किया है. इसमें पाया गया है कि इस चटनी में प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन B-12, आयरन, पोटेशियम जैसे पोषक तत्व शामिल हैं. इस चटनी को रोज खाने के कई फायदे हैं.
1- इम्यूनिटी बढ़ाता है
इन चीटियों में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं. ये गुण शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं.
2- आंखों की रोशनी बढ़ती हैं
चींटी की चटनी में बहुत से पोषक तत्व होते हैं जो आंखो के रोशनी के लिए फायदेमंद होते हैं. जो लोग इस चींटी की चटनी का सेवन करते हैं उनको आंखों से जुड़ी समस्या होने का चांस घट जात है.
3- सर्दियों में फायदेमंद
ठंड के दिनों में ये चटनी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है. चींटी की चटनी कि तासीर गर्म होती है इसलिए सर्दियों में खासतौर पर आदिवासी इसका सेवन करते हैं.
मयूरभंज जिले के कई स्वदेशी लोग इन चींटियों को जंगलों से इकठ्ठा करते हैं और इसकी चटनी बेचने का व्यापार करते हैं. इस जिले में बहुत से आदिवासियों की जीविका इस पर निर्भर है. हालांकि ये चटनी न सिर्फ ओडिशा में खाई जाती है बल्कि झारखण्ड के भी कुछ हिस्सों का लोकप्रिय डिश है.