भारतीय घरों में दूध को उबालना एक आम परंपरा रही है. माना जाता है कि उबालने से दूध कीटाणु रहित हो जाता है और सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. लेकिन, क्या पैकेट वाले दूध को भी उबालना जरूरी है?
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भारतीय घरों में दूध को उबालना एक आम परंपरा रही है. माना जाता है कि उबालने से दूध कीटाणु रहित हो जाता है और सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. लेकिन, क्या पैकेट वाले दूध को भी उबालना जरूरी है? आजकल पैकेट वाले दूध का चलन काफी बढ़ गया है. ये दूध पाश्चराइज्ड होता है, यानी इसे पहले ही एक खास प्रक्रिया से गुजारा जाता है जिसमें हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं.
बहुत से लोग ये सोचते हैं कि पैकेट वाले दूध को उबालना जरूरी है, जबकि कुछ का मानना है कि इसे सीधे पिया जा सकता है. आखिर सही क्या है? चलिए इस सवाल का जवाब डॉक्टर से जानते हैं. सीके बिड़ला अस्पताल (दिल्ली) के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डायरेक्टर डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि पैकेट वाले दूध को उबालना या न उबालना इस बात पर निर्भर करता है कि दूध का पाश्चराइजेशन और स्टोरेज कैसा हुआ है. अगर दूध को सही तरीके से पाश्चराइज किया गया है और पैकेजिंग भी अच्छी है, तो ऐसे दूध को उबाले बिना पीना सुरक्षित होता है. पाश्चराइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दूध को गर्म करके उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर दिया जाता है. इससे दूध की क्वालिटी बनी रहती है और दूध को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.
कच्चा दूध हमेशा उबालें
यह याद रखना जरूरी है कि कच्चे दूध का सेवन खतरनाक हो सकता है. कच्चे दूध में कई तरह के बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो बीमार कर सकते हैं. इसलिए, कच्चे दूध को हमेशा उबालना चाहिए.
कब उबालें पैकेट वाला दूध?
डॉ. राजीव गुप्ता यह भी कहते हैं कि भले ही पैकेट वाला दूध पाश्चराइज्ड हो, कुछ स्थितियों में इसे उबालना ज्यादा सुरक्षित हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर पैकेट वाले दूध के स्टोरेज या ट्रांसपोर्टेशन की स्थिति को लेकर संदेह है, तो उबालना एक एक्स्ट्रा सुरक्षा सावधानी हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर दूध का पैकेट फूला हुआ है या लीक हो रहा है, तो ऐसे दूध को उबालने की सलाह दी जाती है. साथ ही, अगर दूध की एक्सपायरी डेट निकल चुकी है तो भी उसे उबालना ही बेहतर होता है.