आज के दौर में 13-14 साल के किशोर भी समय से पहले गंजापन, सफेद बाल, झुर्रियां आदि का अनुभव कर रहे हैं. जबकि जेनेटिक और कुछ बीमारी फैक्टर हैं, लेकिन प्राथमिक कारण तनाव है.
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पिछले कुछ महीनों में, 19 वर्षीय आर्किटेक्चर स्टूडेंट रेशमा सुब्बुराज को ठीक से नींद नहीं आई है. तनाव और डेडलाइन ने उन्हें रात भर करवटें बदलने पर मजबूर कर देती हैं. वह हर समय थकान महसूस करती है, लेकिन समय पर अपना काम करने के लिए दृढ़ है. रेशमा की तरह, यंग लोगों (12-27 आयु वर्ग) की लाइफस्टाइल सही नहीं है और खानपान की आदतें भी खराब हैं. वे ज्यादा तनाव का अनुभव करते हैं, जिसके कारण वो तेजी से बुड्ढे हो रहे हैं.
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. भुवनेश्वरी एन बताता हैं कि 13-14 साल के किशोर भी समय से पहले गंजापन, सफेद बाल, झुर्रियां आदि का अनुभव कर रहे हैं. जबकि जेनेटिक और कुछ बीमारी फैक्टर हैं, लेकिन प्राथमिक कारण तनाव है. किशोर अपने लुक को लेकर सचेत हो रहे हैं और समय से पहले बूढ़ा होने के इलाज के लिए उपलब्ध हो रहे हैं.
घरेलू उपचार फायदेमंद नहीं
21 वर्षीय माहिमा कहती हैं कि मैंने बालों को पतला होने से रोकने के लिए कई घरेलू उपचार आजमाए. मैंने प्याज का तेल, रोजमेरी तेल, जवाकुसुम का तेल और नारियल का तेल इस्तेमाल किया. लेकिन इनमें से किसी ने भी काम नहीं किया और तभी मैंने स्किन एक्सपर्ट से सलाह लेने का फैसला किया. मुझे बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए सीधे स्कैल्प में विटामिन बी12 के इंजेक्शन दिए गए. इससे मुझे काफी मदद मिली है और अब मैं अपने भोजन के माध्यम से इन विटामिनों को प्राप्त करने के लिए अपनी डाइट पर काम कर रही हूं. उनकी स्थिति को पूरी तरह से तनाव के कारण पाया गया था. कई युवा भी आंखों के नीचे आने वाली झुर्रियों और महीन रेखाओं के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन लेते हैं.
कॉम्पिटिशन बढ़ा रहा तनाव
किशोरों और युवाओं में ज्यादा तनाव के कई कारण हैं, जिनमें बढ़ते कॉम्पिटिशन से लेकर खुद और दूसरों की ज्यादा उम्मीदें शामिल हैं. रेशमा कहती हैं कि मेरे कॉलेज के शिक्षक वातावरण को जितना हो सकते तनाव से मुक्त बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मैं अनजाने में खुद पर ज्यादा उम्मीदों का बोझ लाद लेती हूं. मैं उन्हें हासिल करने के लिए संघर्ष करती हूं, क्योंकि मैं चाहती हूं कि मेरा काम सबसे अच्छा हो और लोगों को निराश न करना चाहूं. उन्होंने कहा कि जब मैं स्कूल में थी, तो मैं स्कूल से लौटने के बाद हर शाम अपनी मां से बात करती थी. लेकिन अब मैं उससे बिल्कुल बात नहीं करती क्योंकि मैं कॉलेज से देर से आती हूं और पहुंचते ही थक जाती हूं. इससे मुझे और भी ज्यादा तनाव होता है.
मनोवैज्ञानिक का क्या कहना है?
चेन्नई की एक क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक वंदना कहती हैं कि यंग जनरेशन के बीच चिंता, शरीर की छवि को लेकर परेशानी, डिप्रेशन, खान-पान की दिक्कतें और एडिक्शन जैसी कुछ आम समस्याएं पाई जाती हैं. वह इस बात से सहमत हैं कि तनाव और उम्र बढ़ने के चक्र में कई फैक्टर शामिल होते हैं. युवा लोग खराब मुकाबला करने के तरीकों के कारण लगातार चिंता करते हैं, सोचते हैं और अपने विचारों को ज्यादा ही ध्यान देते हैं. ये मुकाबला करने के तरीके, तनाव के अलावा, नींद चक्र में दिक्कत पैदा करते हैं, जो शरीर को रोजमर्रा के टूट-फूट से ठीक होने से रोकता है, जिससे तेजी से उम्र बढ़ने लगती है.
युवा अपनी मदद कैसे कर सकते हैं?
वंदना कहती हैं कि सबसे पहले, बायोलॉजिकल घड़ी को नियमित करने की जरूरत है. शारीरिक समस्याओं को ठीक करने और न्यूरो-मनोवैज्ञानिक कामों को बेहतर बनाने के लिए अपनी नींद साइकिल को ठीक करना महत्वपूर्ण है. व्यायाम करना और बाहर के खाने से बचने (जो लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं) से भी मदद मिलेगी. ऐसे शौक में शामिल हों, जो आपको तनावमुक्त और आराम करने दें. चीजों को एक-एक करके लें. आपको जल्दी करने की जरूरत नहीं है और आपके पास दुनिया भर का समय है.