गर्मी बाहरी मौज-मस्ती और एक्टिविटी का सीजन है, लेकिन यह बच्चों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाली विभिन्न बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देती है.
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गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ, बच्चों के दिमागी सेहत पर गर्मी के प्रभाव के प्रति सचेत रहना जरूरी है. गर्मी बाहरी मौज-मस्ती और एक्टिविटी का सीजन है, लेकिन यह बच्चों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाली विभिन्न बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देती है. इन खतरों को समझने और सही कदम उठाने से बच्चों के लिए एक सुरक्षित और आनंददायक गर्मी सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है.
गर्मी के दौरान हीट स्ट्रोक और हीट थकावट जैसी गर्मी से संबंधित बीमारियां मुख्य चिंताएं हैं. इन स्थितियों के बच्चों के दिमागी स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनके शरीर तापमान को कुशलता से कंट्रोल करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं. हीट स्ट्रोक विशेष रूप से भ्रम, चक्कर आना और यहां तक कि दौरे का कारण बन सकता है, जो बच्चे की सेहत के लिए गंभीर खतरा है.
डिहाइड्रेशन
दिल्ली स्थित बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ.विनित बंगा बताते हैं कि डिहाइड्रेशन गर्मी के महीनों में एक और आम समस्या है, खासकर जब बच्चे बाहर खेल-कुद में लगे होते हैं. डिहाइड्रेशन दिमाग के कामों और एकाग्रता को प्रभावित कर सकता है, जिससे बच्चों के लिए ध्यान केंद्रित करना और खेल-कूद में पूरी तरह से भाग लेना मुश्किल हो जाता है. गंभीर मामलों में, डिहाइड्रेशन से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, जो दौरे या अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के रूप में प्रकट हो सकता है.
अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन
ज्यादा धूप बच्चों में दिमागी समस्याओं में भी योगदान दे सकती है. अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सनबर्न हो सकता है, जो गंभीर मामलों में त्वचा में सूजन और जलन पैदा कर सकता है. इसके अलावा, समय के साथ बार-बार सनबर्न होने से स्किन के कैंसर, मेलानोमा का खतरा बढ़ सकता है, जो दिमाग और शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है.
अतः बच्चों को पर्याप्त तरल पदार्थ देना, छायादार जगहों का प्रबंध करना, धूप से बचाव के लिए कपड़े पहनाना और क्रीम लगाना जरूरी है. उम्मीद है कि इन सावधानियों से गर्मी का आनंद सुरक्षित रूप से लिया जा सकता है.