दिमागी हालत खराब कर देता है वीड‍ियो गेम का नशा, एग्‍जाम में होते रहेंगे बार-बार फेल
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दिमागी हालत खराब कर देता है वीड‍ियो गेम का नशा, एग्‍जाम में होते रहेंगे बार-बार फेल

मोबाइल पर घंटों वीड‍ियो गेम खेलते रहना, बच्‍चों में अब आम बात हो गई है. लेक‍िन क्‍या आपको पता है क‍ि इसका उनके ब्रेन की सेहत पर क्‍या असर होता है? आइये इस लेख में जानते हैं...  

दिमागी हालत खराब कर देता है वीड‍ियो गेम का नशा, एग्‍जाम में होते रहेंगे बार-बार फेल

वीड‍ियो गेम बच्‍चों के द‍िमाग को क‍ितना नुकसान पहुंचा सकता है, उसका एक उदाहरण कुछ द‍िनों पहले मुंबई में देखने को म‍िला. 12वीं क्‍लास के एक स्‍टूडेंट को हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुधार परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि किशोर को IGD यानी इंटरनेट गेम‍िंग ड‍िस्‍ऑर्डर से पीड़ित पाया गया. ये एक बीमारी है और डिजिटल दुनिया में बहुत ज्‍यादा गेमिंग करने की वजह से ये बीमारी होती है. वीडियो गेम खेलने की शुरुआत अक्‍सर बस एक शौक के रूप में होती है,लेक‍िन धीरे-धीरे वीड‍ियो गेम का नशा, युवाओं को पूरी तरह से अपने कंट्रोल में ले लेता है. वीड‍ियो गेम बच्‍चों के द‍िमाग को इस तरह प्रभाव‍ित करता है क‍ि वे रोजाना के काम करने में असमर्थ होने लगते हैं. यहां तक क‍ि क‍िसी बातचीत करने से कतराने लगते हैं और उनका पर्सनल डेवेलपमेंट रुक जाता है.  

इंटरनेट गेम‍िंग ड‍िस्‍ऑर्डर के लक्षण 
इससे प्रभाव‍ित व्‍यक्‍ति‍ हमेशा गेम‍िंग के बारे में ही सोचता रहता है. यहां तक क‍ि फैम‍िली टाइम, पढाई और सोते वक्‍त भी वह स‍िर्फ गम‍िंग के बारे में सोचता है. 
जब वो क‍िसी वजह से नहीं खेल पाते हैं तो उन्‍हें एंजाइट महसूस होती है. 
वो ज्‍यादा से ज्‍यादा टाइम गेम‍िंग को देने लगते हैं. यहां तक क‍ि सोना और खाना भी छोड देते हैं. 
अपने मां पापा से कई बार वादा करने के बावजूद बार-बार उसकी तरफ खींचे चले जाते हैं. 
जो काम कभी उनका फेवर‍िट हुआ करता था, वह करना अब उन्‍हें पसंद नहीं आता और वो स‍िर्फ गेम‍िंग ही करते है. 
इसके ल‍िए वो हर कीमत चुकाते हैं, अपने र‍िश्‍ते, पढाई, सेहत, खाना, सोना सब कुछ 

अगर आपको ये सारे लक्षण अपने बच्‍चे में नजर आ रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्‍टर से म‍िलने की जरूरत है. इसमें आप साइकोलॉज‍िस्‍ट की मदद भी ले सकते हैं. फैम‍िली थेरेपी और मेड‍िटेशन भी काम आता है.  
 

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