29 संसदीय सीट वाले इस राज्य में बीजेपी की तरफ से अब तक 15 उम्मीदवार और कांग्रेस की तरफ से सिर्फ 9 नामों की घोषणा हो चुकी है
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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में इन दिनों आम चुनाव को लेकर माहौल तना हुआ है. सबसे पहला सवाल उम्मीदवारी का है जिस पर दोनों प्रमुख दल (बीजेपी और कांग्रेस) जमकर गणित लगा रहे हैं. हालांकि इससे पहले कुछ टिकट तय होने के साथ राजनीति में दशकों बिता चुके कई नेताओं की उम्मीदें तो कुछ युवा नेताओं के अरमान भी ढह चुके हैं. आपको बता दें कि 29 संसदीय सीट वाले इस राज्य में बीजेपी की तरफ से अब तक 15 उम्मीदवार और कांग्रेस की तरफ से सिर्फ 9 नामों की घोषणा हो चुकी है.
नेताओं की ढलती उम्र ने बड़े किए युवा सपने
भारतीय जनता पार्टी ने 14 सीटों को छोड़कर ज्यादातर पर अपने प्रत्याशी तय कर दिए हैं. इनमें कुछ सांसदों के टिकट उनके निष्क्रिय रवैये को लेकर कटे हैं तो कुछ के टिकट कटने का कारण उनकी घटती लोकप्रियता भी बताई जाती है हालांकि दो सीटें ऐसी भी हो सकतीं हैं जहां के मौजूदा सांसदों के टिकिट बढ़ती उम्र के कारण भी कटने की आशंका है. इनमें इंदौर से सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के साथ सागर के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव का भी नाम हो सकता है. टिकट वितरण के इस अंदाज की वजह से कुछ युवा नेताओं को भी इस बार अपनी किस्मत चमकने की उम्मीद नजर आ रही है.
पार्षद जो बनना चाहती हैं सांसद
ऐसा ही मामला बुंदेलखंड की सागर संसदीय सीट का है जहां के सांसद लक्ष्मी नारायण यादव का टिकट उनकी बढ़ती उम्र के चलते कट सकता है. खबरों की मानें तो पार्टी सागर से कुछ बेहद अलग करने की तैयारी कर रही है. सागर से नगर निगम की एक सत्ताइस वर्षीय पार्षद श्वेता यादव का नाम टिकट की उम्मीदवारी में सबसे आगे चलने की बात सामने आ रही है. जाहिर है राजनीति में महज कुछ साल पहले ही आईं श्वेता यादव यहां के दशकों से काम कर रहे और फिलहाल टिकट की आस में बैठे नेताओं के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती हैं. ऐसे में यदि श्वेता को टिकट मिलता है तो सागर संसदीय क्षेत्र के नेताओं का नाराज होना तय है. उनके खिलाफ जिले में आवाज भी उठने लगी हैं. श्वेता के राजनीतिक अनुभव की कमी के अलावा एक बात और जो उनके खिलाफ जा रही है. दरअसल, नगर निगम में पार्षद रहने के दौरान श्वेता ने प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी आवास योजना का लाभ अपनी मां को ही दे दिया था. अपने माता-पिता के साथ खुद पक्के मकान में रहने वाली इस युवा पार्षद ने झूठी जानकारी देकर बताया था कि वे आवासहीन हैं और इस योजना का लाभ उठाया. मीडिया में इस मामले की खबरें आने के बाद जब जांच की गई तो पार्षद के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए. जिसके बाद श्वेता ने खुद ही अपनी गलती स्वीकारी और बताया कि उन्हें आवास योजना के नियम ही नहीं पता थे ऐसे में उन्होंने अपने परिवार को ही यह लाभ दे दिया था. इसके बाद नगर निगम ने उनसे आवास योजना की राशि की वसूली भी की.
श्वेता के पक्ष की सबसे बड़ी बात
इन सबके बावजूद श्वेता यादव के पक्ष में सबसे मजबूत बात जो है वह है मध्य प्रदेश के पूर्व गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ठाकुर. आपको बता दें कि भूपेन्द्र सिंह सागर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली खुरई विधानसभा सीट से विधायक हैं और सागर बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे हैं. माना जा रहा है कि यहां टिकट उनकी अनुशंसा पर ही दिया जाएगा और अंदरखाने से मिल रही जानकारी के मुताबिक भूपेन्द्र सिंह ने ही श्वेता यादव का नाम आगे बढ़ाया है. यहां आपको यह भी बता दें कि इस सीट पर ओबीसी वोट की बाहुल्यता भी एक वजह है जो श्वेता यादव के पक्ष में काम करती है. जब इस बारे में जी मीडिया ने श्वेता यादव से संपर्क किया तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी दी तो वे इसे बखूबी निभाएंगी. श्वेता ने यह भी कहा कि वे जब पार्षद बनीं उस वक्त उनकी उम्र महज 23 वर्ष थी पिछले कुछ सालों में उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. श्वेता यह बात भी खुले दिल से स्वीकार करती हैं कि पार्षद की तुलना में सांसद का कार्यक्षेत्र काफी बड़ा होगा लेकिन वे स्पष्ट करती हैं कि विकास ही उनकी प्राथमिकता होगी. आपको यह भी बता दें कि सागर लोकसभा आम चुनावों के छठवें चरण में है मतलब यहां 12 मई को मतदान होना है. यही वजह है कि बीजेपी इस सीट पर उम्मीदवार तय करने से पूर्व पूरी गुणा-गणित कर लेना चाहती है.
इधर टूट गया एक युवा सपना
बुंदेलखंड की ही दूसरी सीट दमोह-पन्ना लोकसभा संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर प्रह्लाद पटेल को टिकट मिला है. पटेल का अनुभव और चुनावी मैनेजमेंट उनकी सबसे बड़ी ताकत बताई जाती है. वे चार बार अलग-अलग क्षेत्रों से चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि विधानसभा चुनावों में भाजपा सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया की हार का ठीकरा भी उनके ही सिर फूटा था. जिसके बाद उन पर कई गंभीर आरोप लगे लेकिन पटेल का राजनीतिक कद उनके ऊपर लग रहे आरोपों से कहीं ऊंचा साबित हुआ है. हालांकि उन्हें टिकट मिलने से यहां एक और युवा नेता का सपना टूटा है. भाजपा सरकार में पंचायत मंत्री रहे गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव भी इस सीट से दावेदारी ठोंक रहे थे. अभिषेक के सर्मथन में काफी युवा नजर आ रहे थे जो उन्हें टिकिट न मिलने से मायूस हुए. अब अभिषेक के सर्मथक सोशल मीडिया पर उनके लिए माहौल बना रहे हैं. सोशल मीडिया पर भार्गव के लिए यह समर्थन अब काफी जोर पकड़ चुका है और बताया जाता है कि इसका कुछ नुकसान पटेल को हो सकता है. उल्लेखनीय है कि इस बार कांग्रेस की स्थिति जिले में सुधरी है और भाजपाइयों का यह झगड़ा उनके लिए और भी बेहतर साबित हो सकता है.