लोकसभा चुनाव 2019: देवास में कांग्रेस को मात देकर क्या BJP फिर करेगी कमाल?
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लोकसभा चुनाव 2019: देवास में कांग्रेस को मात देकर क्या BJP फिर करेगी कमाल?

सज्जन सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में खड़े प्रधानमंत्री मोदी के मंत्री थावरचंद गहलोत को देवास में हार का सामना करना पड़ा.

फोटो साभारः facebook

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की देवास लोकसभा सीट शाजापुर लोकसभा सीट को खत्म कर बनाई गई, जो कि 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. देवास से 35 किलोमीटर दूर स्थित मां चामुंडा देवी (माता की टेकरी) और तुलजा भवानी का मंदिर यहां के लोगों के आस्था का केंद्र है. वहीं जातिगत समीकरण की बात करें तो देवास संसदीय क्षेत्र ब्राह्मण और राजपूत बहुल क्षेत्र है, लेकिन बीते दो लोकसभा चुनाव में यहां जातिगत समीकरण का प्रभाव कम ही रहा. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने जीत दर्ज कराई थी. सज्जन सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में खड़े प्रधानमंत्री मोदी के मंत्री थावरचंद गहलोत को देवास में हार का सामना करना पड़ा.

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राजनीतिक इतिहास
देवास लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास सिर्फ 2 लोकसभा चुनाव पुराना है. 2008 में हुए परिसीमन के बाद 2009 में यहां पहला लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने जीत दर्ज कराई, उन्होंने भाजपा प्रत्याशी थावरचंद गहलोत को मात दी थी. वहीं 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने जीत हासिल की. मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी और देवास से पूर्व सांसद सज्जन सिंह को मात दी थी.

2014 के राजनीतिक समीकरण
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस से उम्मीद्वार सज्जन सिंह को 2,60,313 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में जहां मनोहर ऊंटवाल को 6,65,646 तो वहीं सज्जन सिंह को 4,05,333 वोट मिले. वहीं बसपा प्रत्याशी देवास में तीसरे स्थान पर रहे.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड
मनोहर ऊंटवाल को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए 25 करोड़ का फंड आवंटित हुआ, जो कि ब्याज सहित मिलाकर 25.18 करोड़ हो गया. मनोहर ऊंटवाल ने इसमें से 22.24 करोड़ राशि खर्च कर दी, जबकि 2.95 करोड़ फंड बिना खर्च किए रह गया. 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने मनोहर ऊंटवाल की संसद में 58 फीसदी उपस्थिति रही, इस दौरान उन्होंने 2 बहस में हिस्सा भी लिया.

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