लोकसभा चुनाव 2019: मुरैना पर है BJP का कब्जा, वाजपेयी के भांजे हैं यहां के सांसद
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लोकसभा चुनाव 2019: मुरैना पर है BJP का कब्जा, वाजपेयी के भांजे हैं यहां के सांसद

1996 में यह सीट भाजपा के पास वापस आ गई, जिसके बाद से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा ही विजयी होती रही है.

(फोटो साभारः facebook)

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश की मुरैना लोकसभा सीट पर पिछले 23 सालों से भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है, पिछले 6 चुनावों से जीत दर्ज कराती आ रही बीजेपी ने पहली बार यहां 1989 में जीत हासिल की थी, लेकिन कांग्रेस ने 1991 में हार का बदला लेते हुए इस सीट पर फिर कब्जा जमा लिया था. हालांकि 1996 में फिर इस सीट पर भाजपा को जीत मिली और उसके बाद से अब तक यहां बीजेपी प्रत्याशी ही जीतते आए हैं. बता दें मुरैना लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी के भांजे यहां से सांसद हैं. 

राजनीतिक इतिहास
मुरैना लोकसभा क्षेत्र में अधिकतर भारतीय जनता पार्टी का ही राज रहा है. यहां बीजेपी 7 बार तो कांग्रेस 3 बार ही जीत दर्ज करा पाई है. बीहड़ों से घिरा मुरैना कभी पेंच नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर मुरैना कर दिया गया. 1967 में अस्तित्व में आई मुरैना लोकसभा सीट पर पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार आत्मदास ने जीत हासिल की थी, इसके बाद 1971 के आम चुनावों में भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद ने इस सीट से जीत हासिल की. वहीं 1977 में मुरैना की कमान भारतीय लोकदल के हाथ आ गई. 1980 में पहली बार मुरैना लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के हाथ लगा, जिसके बाद 1984 में भी कांग्रेस ही विजयी रही.

1989 में यहां भाजपा ने पहली बार जीत का स्वाद चखा, लेकिन 1991 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और जीत हासिल की. हालांकि 1996 में यह सीट भाजपा के पास वापस आ गई, जिसके बाद से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा ही विजयी होती रही है. अब देखने वाली बात यह होगी की 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी यह सिलसिला कायम रख पाने में सफल होती है या कांग्रेस बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब होगी.

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2014 के राजनीतिक समीकरण
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता अनूप मिश्रा ने बपसा के वृंदावन सिंह सिकरवार को 1,32,981 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में अनूप मिश्रा को 3,75,567 तो वृन्दावन सिंह सिकरवार को 2,42,586 वोटों के अंतर से हराया था. बता दें वृन्दावन सिंह सिकरवार पहले कांग्रेस में थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ बसपा का दामन थाम लिया था.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड
मुरैना निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए अनूप मिश्रा को 22.50 करोड़ का फंड आवंटित किया गया था, जिसमें से उन्होंने 19.40 करोड़ खर्च कर दिए. जबकि बाकि का फंड बिना खर्च किए रह गया. वहीं संसद में उपस्थिति की बात की जाए तो सांसद अनूप मिश्रा की संसद में उपस्थिति 45 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने 6 डिबेट में हिस्सा लिया और 276 सवाल किए.

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