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केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते हैं। कोल ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं के सामने आने के बाद उन्होंने बीते कुछ माह में विभिन्न मंचों पर साफगोई से अपनी राय जाहिर की। इस बार `सियासत की बात` कार्यक्रम में ज़ी रीजनल चैनल्स हिंदी के संपादक वासिंद्र मिश्र ने कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के साथ खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-
वासिंद्र मिश्र : नमस्कार, आज के इस खास कार्यक्रम में आपका स्वागत है और आज हम बात कर रहे हैं केंद्रीय कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल जी से और जानने की कोशिश करेंगे कि पिछले लगभग चार साल से जिस काजल की कोठरी में ये बने हुए हैं उसमें रहते हुए कैसे अपने आप को बेदाग बचाए हुए हैं।
श्रीप्रकाश जी, बहुत बहुत स्वागत है, पिछले लगभग दो साल से आपका मंत्रालय लगातार चर्चा में है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि आपके मंत्रालय में अच्छे काम नहीं हुए हैं लेकिन जो पिछले कामकाज हुए हैं उसको लेकर देश की तमाम जांच एजेंसियां, मीडिया सब आपके मंत्रालय के कामकाज पर उंगली उठाती रही हैं। क्या वजह है कि अभी तक उसमें कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई जिसके विरुद्ध सीएजी से लेकर सबने अपनी रिपोर्ट दे रखी है शासन में।
श्रीप्रकाश जायसवाल: कार्रवाई तो जरूरत से ज्यादा हुई है। जबसे ये रिपोर्ट आई है तबसे लगभग 50-55 ब्लॉक डिलोकेट हो गए जिसके बाद 30 के करीब शो-कॉज़ नोटिस इश्यू हुए हैं। सीबीआई की जांच बिठाई गई। सीबीआई ने करीब 11 एफआईआर लिखी तो कार्रवाई जितनी होनी चाहिए संवैधानिक तरीके से मैं समझता हूं कार्रवाई तो खूब हो रही है और एक बात और मैं आपको बतला दूं कि कार्रवाई अपनी जगह पर है कोल इंडिया का प्रोडक्शन, कोल इंडिया का ऑफटेक, कोल इंडिया का ओवी रिमूवल सुचारु रूप से चल रहा है। हमारा प्रोडक्शन भी बढ़ा है, हमारा ओवी रिमूवल भी बढ़ा है। हमारा ऑफटेक भी बढ़ा है। पॉवर स्टेशंस को हमारी सप्लाई भी बढ़ी है। आज की तारीख में देश का कोई भी पॉवर स्टेशन ऐसा नहीं है जो कह सके कि हमारे पास कोयले की सप्लाई की कमी है। कुछ एक पॉवर स्टेशन ऐसे हैं जो ये कह देंगे की हमारे पास एक्स्ट्रा कोल हो गया तो आप कृपया अभी फिलहाल सप्लाई ना करें। ये रिपोर्ट हमारे पास लिखित में आ रही हैं, तो काम तो सुचारु रूप से चल रहा है। हां जो पिछले यूपीए के कार्यकाल में जो कोल ब्लॉक अलोकेट किए गए थे उसके पीछे मकसद केवल एक ही था कि कोल इंडिया की एक सीमा है उससे ज्यादा कोल इंडिया कोल प्रोड्यूस नहीं कर पाएगा और अगर हम देश की ग्रोथ को बढ़ाना चाहते हैं, देश में इंड्रस्ट्री को बढ़ाना चाहते हैं तो हमें पॉवर चाहिए, हमें कोल चाहिए। कोल पब्लिक सेक्टर में है कोल इंडिया उतना कोयला पैदा नहीं कर पा रहा है जितनी डिमांड होती जा रही है। इसलिए प्राइवेट सेक्टर को कोल ब्लॉक्स अलोकेट किए गए उसको लेकर बहुत सारी कहानियां कही गई। इसमें कोई शक नहीं है कि कोई भी कानून बनाए, कोई भी योजना बनाएं। उसका नाजायज फायदा उठाने वाले लोग, वेस्टेड इंट्रेस्ट वाले लोग समय-समय पर सक्रिय हो जाते हैं। तो इसमें अगर वेस्टेड इंट्रेस्ट वाले लोग सक्रिय हुए हैं तो उससे हम इंकार नहीं कर सकते। ये काम सीबीआई का है कि वो पता लगाए और जिन लोगों ने जानबूझ कर गलत इंफार्मेशन के आधार पर कोल ब्लॉक्स अलोकेट करवाए हैं या जिन अधिकारियों ने गलत इंफार्मेशन को वेरिफाई किया है उनके खिलाफ कार्रवाई करे और कर रही है।
वासिंद्र मिश्र : यही खास बात है कि जो अधिकारी गलत लोगों को गलत जानकारी के आधार पर कोल ब्लॉक आवंटित किए हैं या करवाने में मदद किए हैं उन बड़े अधिकारियों के विरुद्ध जब सीबीआई कार्रवाई करनी चाह रही है तो आपकी सरकार इजाजत नहीं दे रही है?
श्रीप्रकाश जायसवाल: ऐसा कुछ नहीं है। बाकायदा इजाजत मिली जिसके लिए सीबीआई ने कहा उसको इजाजत दी गई और अगर किसी कानून के तहत कोई छूट का पात्र है तो गुण-दोष के आधार पर सरकार ये भी देखती है कि अनावश्यक इस अधिकारी को परेशान ना किया जाए। ये तो सरकार का काम है कि किसी को विशेषाधिकार अगर प्राप्त है उस विशेषाधिकार का अगर वो लाभ उठाता है तो उसको कैसे रोका जा सकता है?
वासिंद्र मिश्र : यूपीए-1 के समय में ये कथित घोटाला हुआ है जिसे आप भी मानते हैं?
श्रीप्रकाश जायसवाल: आप घोटाला कह सकते हैं। मैं आज भी कह रहा हूं, मैंने पहले भी कहा है और आगे भी कहूंगा कि कोई घोटाला नहीं है। इसके अलावा और कोई विकल्प किसी सरकार के पास था नहीं। 1993 से कोल ब्लॉक अलोकेशंस शुरू हुआ था। 28 कोल ब्लॉक्स तो एनडीए के शासन के दौरान अलोकेट हुए हैं। क्यों अलोकेट हुए। कोई सिस्टम ही नहीं था उस समय। यूपीए-1 के दौरान तो एक सिस्टम बनाया गया कि हम अखबारों में एड देंगे। एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाई गई, उसके द्वारा अलोकेशन शुरू हुए। उसके पहले तो कोई सिस्टम ही नहीं था बगैर सिस्टम के बुला-बुला के देते रहे कोल ब्लॉक्स।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन आवंटन...
श्रीप्रकाश जायसवाल: लेकिन कोल ब्लॉक्स क्यों दिए गए। इसके पीछे जो मंशा है उसको देखना चाहिए कि कोल ब्लॉक्स क्यों दिए गए। दिए इसलिए गए ताकि कोल ज्यादा से ज्यादा पैदा हो जिससे कि देश की बिजली कि जरूरत को हम पूरा कर सकें। देश के इंडस्ट्रिलाइजेशन को हम तेजी से बढ़ा सकें। यही मंशा सभी सरकारों की रही होगी, अब क्योंकि वो विपक्ष में हैं तो आरोप लगाना उनके लिए आसान है।
वासिंद्र मिश्र : नहीं हम ये कह रहे हैं...
श्रीप्रकाश जायसवाल: लेकिन ये बात मैंने पहले ही साफ कर दी है कि प्रोजेक्ट कोई भी चलाया जाए। योजना कोई भी चलाई जाए, उसका नाजायज फायदा उठाने वाले लोग हमेशा से सक्रिय होते रहे हैं।
वासिंद्र मिश्र : अगर हम आवंटन की ही बात करें कि आवंटन की प्रक्रिया में जो सावधानी बरतनी चाहिए वो नहीं बरती गई ,जिसकी वजह से जांच हो रही हैं और जो उस जांच के घेरे में दोषी है।
श्रीप्रकाश जायसवाल: सावधानी बरतना कोई पेट से सीख कर नहीं आता है।
वासिंद्र मिश्र : नहीं मेरा सवाल।
श्रीप्रकाश जायसवाल: 28 कोल ब्लॉक्स जो उन्होंने अलोकेट किए, कोई सावधानी क्या कोई नियम ही नहीं बनाया। कोई चीज शुरू होती है तो आप ये उम्मीद करिए की 25 साल बाद इस चीज में जो प्रिकॉशंस लिए जाने चाहिए वो 25 साल पहले ले लिए जाएं। संभव नहीं है, बगैर कानून बनाए, बगैर सिस्टम बनाए, बगैर एक्ट बनाए। यूं ही अलोकेट करते रहें। यूपीए-1 की सरकार आई तो एक सिस्टम बनाया गया। सिस्टम के तहत अलोकेशन शुरू हुआ। उस सिस्टम में भी खामियां निकली हैं। उन खामियों के लिए जिन लोगों ने गलत ढंग से अलोकेशन कराए हैं उनके आवंटन रद्द भी किए जा रहे हैं, उनकी बैंक गारंटी जब्त की जा रही है। उनके खिलाफ सीबीआई इन्क्वायरी हो रही है और नया सिस्टम बनाया जा रहा है कि अब कहीं कोई ऐसी हरकत ना होने पाए।
वासिंद्र मिश्र :लेकिन जिन लोगों ने गलत तरीके से आवंटन करवाए हैं उन अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?
श्रीप्रकाश जायसवाल: क्यों नहीं होगी। सब हो रही हैं। कार्रवाई सबके ऊपर हो रही है। सीबीआई अपनी रिपोर्ट दे। रिपोर्ट देने के बाद कार्रवाई तो होगी ही।
वासिंद्र मिश्र : कहा जा रहा है कि पीएमओ कार्यालय में जो बड़े अधिकारी तैनात थे। उनकी प्रोसीक्यूशन की इजाजत सीबीआई को नहीं है।
श्रीप्रकाश जायसवाल: अब कहा जा रहा है इसका जवाब तो हम नहीं दे पाएगे। कहा तो क्या-क्या जा रहा है। सबके खिलाफ कहा जा रहा है। मीडिया के खिलाफ भी बहुत कुछ कहा जा रहा है। उसका जवाब हम कैसे दे सकते हैं। आप अगर अधिकृत रूप में हमें बताएगे कि इस आदमी के खिलाफ ये अभियोग सिद्ध हुआ। आपने क्या कार्रवाई की। हमारे पास कम्प्लेंट्स आईं। हमने सीबीआई के पास भेजी। सीबीआई इन्क्वायरी कर रही है। सीबीआई ने एफआईआर लिखी हैं। 11 एफआईआर लिखी हैं। जो हम कर सकते है, संवैधानिक दायरे में रहकर वो हम कर रहे हैं और नए सिरे से सिस्टम में जो कमी रह गई थी, जिसका नाजायज लाभ उठाया गया वो कमियां नहीं रहने पाएं इसके लिए सिस्टम दूसरा बनाया जा रहा है। सबसे बड़ी चीज तो एमएमडीआर एक्ट में संशोधन किया गया है जिसमें कि हम कोल ब्लॉक्स का अलोकेशन बिडिंग सिस्टम से कर सकें तो जो किया सकता है वो किया जा रहा है।
वासिंद्र मिश्र : रमन सिंह और नवीन पटनायक दोनों का ये कहना है कि आवंटन में जो भी गड़बड़ी हुई या जो भी नियमों की अनदेखी की गई उसके लिए सिर्फ और सिर्फ केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
श्रीप्रकाश जायसवाल: कम-से-कम उन लोगों को तो ऐसा नहीं कहना चाहिए। क्योंकि एक-एक कोल ब्लॉक्स का आवंटन बिना स्टेट गवर्मेंट की सहमति से नहीं हुआ। सारे कोल ब्लॉक्स का आवंटन स्टेट गवर्मेंट की सहमति से हुआ है। केवल उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की आप बात कर रहे हैं। मध्य प्रदेश हो, ओडीसा हो, छत्तीसगढ़ हो, कोई भी राज्य हो कोल ब्लॉक का अलोकेशन स्टेट गवर्मेंट की सहमति से, स्टेट गवर्मेंट के चीफ सेक्रेट्री या उनके अधिकृत प्रतिनिधि की सहमति से हुआ है।
वासिंद्र मिश्र : अगर इस पर हम एक दूसरे तरह से सवाल पूछें कि आप भी लगभग चार साल से इस मंत्रालय में हैं। ये जितनी भी कथित गड़बड़ियां या जिन्हे आप घोटाला नहीं मान रहे हैं, मानते हैं कि प्रोसिजरल फेल्योर रहा है। कुछ भी आप कह लिजिए, ये क्यों पिछले ही कार्यकाल में हुआ है। चार साल के दौरान कोई इस तरह के आरोप नहीं लगे।
श्रीप्रकाश जायसवाल: नहीं जब कोई सिस्टम में फेल्योर पता लगता है तब उसके खिलाफ प्रिकॉशन लिए जाते हैं। जब पिछले पांच साल ही नहीं। 1993 से लेकर 2009 तक जितने कोल ब्लॉक्स अलोकेट हुए उनमें गड़बड़ियों कि शिकायत आई तभी जांच बिठाई गई। तभी सिस्टम को चेंज करने का मन बनाया गया। सिस्टम चेंज किया गया और इन चार सालों में आप कह रहे हैं कि कोई गड़बड़ी क्यों नहीं हुई तो इन चार सालों में कोई कोल ब्लॉक अलोकेशन ही नहीं हुआ तो गड़बड़ी होगी कैसे।
वासिंद्र मिश्र : तो ये माना जाए की आप काफी सतर्क हैं इसलिए इन सभी चीजों से बचे हुए हैं।
श्रीप्रकाश जायसवाल: हालात सतर्क करता है। आप अगर अनुभव हासिल करेंगे। देश का संविधान बना था 1950 में तब से कितनी बार संशोधन हो चुके हैं। आप ये कहें कि साहब 1950 में संविधान बना था तो अपने आप में परिपूर्ण नहीं था। बहुत सारी कमियां थीं। बिल्कुल रही होंगी, जैसे जैसे परिस्थितियां बदलती हैं, जैसे-जैसे समय बीतता है, जैसे-जैसे एक्सपीरियंस गेन करती है सरकारें वैसे-वैसे संशोधन करती हैं और उस खांचे में अपने को फिट करने कि कोशिश करती हैं। सरकार का और शासन करने का तरीका ही यही है। एक संविधान दिया गया लेकिन ये नहीं है कि वो संविधान अपने आप में परिपूर्ण रहा हो। क्या इसके पहले रेप के खिलाफ कानून नहीं था। बिल्कुल था लेकिन जिस घृणित तरीके से रेप किया उसके खिलाफ एक और सख्त कानून बनाया गया। अब कोई ये कहे कि साहब इसके पहले आपने सख्त कानून क्यों नहीं बनाया तो सख्त तो था तब भी लेकिन जिस स्तर की घटनाएं इधर देखी गई इस स्तर की घटनाओं की कल्पना पहले नहीं की गई। अब जब कल्पना की गई। सामने दिखलाई पड़ा। उसका प्रमाण दिखलाई पड़ा तो उसके खिलाफ कानून बनाया गया।
वासिंद्र मिश्र : आपकी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है क्रेडिबलिटी की। जिस तरह से आपके विरोधी राजनैतिक पार्टियां लगातार एक के बाद एक आपकी सरकार पर आर्थिक भ्रष्टाचार और आर्थिक भ्रष्टाचार में जो लिप्त लोग हैं उनको संरक्षण देने का आरोप लगाती रही उसके मद्देनजर अगर आप चुनावों में जाएंगे तो आपके पास क्या एजेंडा है या रोड मैप है।
श्रीप्रकाश जायसवाल: इसके बहुत सारे पहलू हैं। सबसे पहला पहलू तो ये है कि हमको देश की जनता का जनादेश एलायंस की सरकार चलाने को मिली है। सबसे पहला पहलू तो ये है कि अगर अलायंस की सरकार चलाने में एलायंस की पार्टियों के द्वारा कोई ऐसा काम किया गया है जो नहीं किया जाना चाहिए था तो उसके लिए जनता खुद-ब-खुद इस बात की समीक्षा करेगी कि इनको सरकार हमने एलायंस की चलाने का मौका दिया था । इसलिए ये कहना कि आपके सरकार में इस तरह के आरोप लगे। सबसे पहले तो ये देखिए की एलायंस की सरकार में कई सारे राजनैतिक दल होते हैं। अगर किसी दल के किसी नेता कि तरफ कोई इस तरह का काम हुआ है तो उसका दोष केवल काग्रेस पार्टी पर नहीं देना चाहिए। अगर दोष जाता ही है तो जिस तरह का मैंडेट मिला उस तरह का दोष जाएगा। नंबर-2 जैसे कोल और आप लोगों ने कहा कोलगेट हुआ। ये तो समय बताएगा। अभी तो जांच चल रही है जांच पूरी होने दीजिए। कहीं कोई लंबा-चौड़ा नुकसान नहीं है। अगर नुकसान है तो जो कोल इंडिया का प्रॉफिट है जो कोल इंडिया के खाते में जाना चाहिए था वो दूसरे खातों में जाएगा लेकिन उसका प्लस प्वाइंट ये है कि कोल इंडिया आज से पांच साल बाद कोयला हमें प्रोड्यूस करके देती। दूसरे आज कोयला प्रोड्यूस करके दे देंगे इसलिए उस पॉलिसी में कहीं कुछ गलत नहीं है और रह गई सिस्टम में जिन लोगों ने नाजायज फायदा उठाने की कोशिश की उसकी जांच हो रही हैं। जो लोग इसके जिम्मेदार होंगे उन्हें सजा मिलेगी।
वासिंद्र मिश्र : नहीं हम ये जानना चाह रहे हैं कि जब आप चुनाव में जाएगें।
श्रीप्रकाश जायसवाल: तो ये बातें हम जनता के सामने रखेंगे कि आपने हमें एलायंस की सरकार चलाने का मैंडेट दिया था। हमने एलायंस की सरकार चलाई। हमने पूरे पांच साल चलाई, पिछली सरकार भी और इस बार भी।
वासिंद्र मिश्र : नहीं सरकार तो चलाए लेकिन पिछली...
श्रीप्रकाश जायसवाल: और हमने पिछले पांच साल में जिस तरीके के पब्लिक के लाभ के कार्यक्रम दिए। ऐसा किसी सरकार ने नहीं दिया। आप हमें उदाहरण बताइये कि कभी कर्ज माफी हुई हो भारत सरकार की तरफ से।
वासिंद्र मिश्र :कर्ज माफी तो वीपी सिंह के टाईम में भी हुई थी।
श्रीप्रकाश जायसवाल: नहीं, भारत सरकार की तरफ से आम किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ। राज्य सरकारों ने जरूर समय-समय पर किया, किसी दूसरी तरह का लेकिन आम कर्ज माफी किसानों के लिए नहीं हुई। मनरेगा जैसी योजना, कभी कोई सोच भी सकता था कि इस देश में रोजगार की गारंटी दी जाएगी। रोजगार गारंटी दी गई। स्वास्थ्य मिशन, शिक्षा का अधिकार। इतनी ज्यादा योजनाएं दी गई हैं कि उन्ही को लेकर हम जब जाएंगे जनता के बीच तो जनता खुद सोचेगी की इससे ज्यादा और क्या सरकार से उम्मीद की जा सकती थी। हां, उन योजनाओं का नाजायज फायदा उठाने की कोशिशें की हैं लोगों ने। चाहे मनरेगा हो, चाहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हो, चाहे सर्व शिक्षा अभियान हो, चाहे आम कर्ज माफी हो, देश की जनता अब धीरे-धीरे ये समझने लगी है कि भारत सरकार योजना बना सकती है। भारत सरकार पैसा दे सकती है। इम्प्लीमेंटेशन राज्य सरकारों का काम है। अगर कोई स्वास्थ्य मिशन में अरबों रुपया हड़प रहा है तो ये राज्य सरकार की गलती है।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन मॉनिटरिंग तो केंद्र सरकार करती है?
श्रीप्रकाश जायसवाल: मॉनिटरिंग कितनी करती है, सीमा से ज्यादा मॉनिटरिंग नहीं कर सकते है। केंद्र सरकार यहां से लेटर भेज देती है कि इसकी लगातार मॉनिटरिंग करते रहिए। उनका जवाब आ जाता है कि मॉनिटरिंग हो रही है। देखिए संघीय ढांचे में आप ये उम्मीद करें। हां, ये भारत सरकार के पास अधिकार है कि वो राज्य सरकारों को बर्खास्त कर सकती है। एक ही विशेषाधिकार है लेकिन क्या राज्य सरकार को बर्खास्त करना संविधान की धज्जियां उड़ाना नहीं है। हम ऐसा नहीं कर सकते कि राज्य सरकारों को हम बर्खास्त कर दें। इस अनियमित्ताओं के खिलाफ अनियमित्ता होगी। जांच होगी। जांच में जो पकड़ा जाएगा वो दंडित होगा। ये तो किया जा सकता है लेकिन आप अगर ये कहें कि आप राज्य सरकार को बर्खास्त कर दें ये संभव नहीं है। हम ऐसा नहीं कर सकते।
वासिंद्र मिश्र : पिछले चुनाव में आपकी पार्टी ने वादा किया था कि हम 100 दिन में महंगाई घटा देंगे। अब आपकी सरकार और आप लोग ये दावा कर रहे हैं कि आपने ग्रोथ रेट बढ़ा दिया मंदी के दौर में भी लेकिन जो आम आदमी है उनकी जिंदगी तो दूभर हो गई है।
श्रीप्रकाश जायसवाल:आपका प्रश्न बेरोजगारी को लेकर था कि आपने रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं कराए। आपका दूसरा प्रश्न था महंगाई। जितने रोजगार के अवसर हमने पैदा किए उतने रोजगार के अवसर दुनिया के किसी भी देश ने पैदा नहीं किए। रोजगार के अवसरों की बात तो छोड़ दिजिए। हां महंगाई के मोर्चे पर हम उतनी सफलता प्राप्त नहीं कर पाए जितना हमें करना चाहिए था और उसका कारण है अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हमारी निर्भरता। पेट्रोलियम पदार्थों के ऊपर देश की महंगाई बहुत कुछ निर्भर करती है। अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं तो उसका असर हमारे ऊपर जरूर पड़ेगा। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अगर भूचाल आया है तो कहीं ना कहीं कंपन हमारे देश में जरूर होगी। इस बात को अब आम जनता देखती है, पढ़ती है, आप लोगों के चैनल्स देखती है, वो भी ये समझती है कि अतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अगर भूचाल आया है। विकसित देशों की ग्रोथ माइनस जीरों हो गई थी और उस जमाने में उस समय में भारत सरकार ने अपनी ग्रोथ को 5 से 6 परसेंट तक रखा हो तो इसका क्रेडिट भी तो हमें मिलेगा।
वासिंद्र मिश्र :इंटरनल सिक्योरिटी के मामले में आपकी सरकार का विरोध आपकी पार्टी के ही लोग करते हैं। जो भी प्रपोजल आता है, नक्सलियों के खिलाफ आतंकियों के खिलाफ। विरोधी तो विरोध बाद में करते हैं आपकी पार्टी के नेता ही अलग-अलग राय जाहिर करने लगते हैं।
श्रीप्रकाश जायसवाल: हमारी पार्टी के नेता क्या राय जाहिर करते हैं ये मुझे नहीं पता। आप अगर इंटरनल सिक्योरिटी के फ्रंट पर कुछ पूछना चाहते हैं तो जरूर पूछ सकते हैं।
वासिंद्र मिश्र :अभी जो छत्तीसगढ़ में हमले हुए थे उसमें कई तरह की चीजें देखने को आ रही हैं जिसमें आपकी ही पार्टी के कुछ लोगों का कहना है कि रुट ऐन वक्त पर कांग्रेस के ही कुछ लोगों ने बदलवा दिया जिसकी वजह से नक्सलियों ने ...
श्रीप्रकाश जायसवाल: देखिये नक्सलवाद से छत्तीसगढ़ जूझ रहा है। लंबे समय से जूझ रहा है इससे हम इंकार नहीं करते हैं। लॉ एंड आर्डर और पुलिस ये स्टेट सबजेक्ट है। इससे देश का कोई भी व्यक्ति इनकार नहीं कर सकता। जो नक्सल प्रभावित राज्य हैं जहां इंटरनल सिक्योरिटी की समस्या है, वहां भारत सरकार पैरामिलिट्री फोर्स देती है और उसने छत्तीसगढ़ को भी पैरामिलिट्री फोर्स दी लेकिन आपको अच्छी तरह से मालूम होना चाहिए की। पैरामिलिट्री फोर्स तो भारत सरकार देती है लेकिन उसकी पोस्टिंग कहां होगी। कहां खतरा ज्यादा है। कहां उसका यूटिलाइजेशन किया जाना चाहिए। ये राज्य सरकार निर्धारित करती है भारत सरकार नहीं और जो घटना अभी नक्सलवाद की हुई है जिसमें हमारे कांग्रेस के भी कई नेता मारे गए हैं। ये राज्य सरकार को खुद सोचने की जरुरत है कि राज्य सरकार की अगर यात्रा निकले तो दो से तीन हजार तक पैरामिलिट्री फोर्स रहे और अगर मेन अपोजिशन पार्टी की यात्रा निकले तो केवल पचास से 100 तक पुलिसवाले रहें। ये सिक्योरिटी की व्यवस्था होनी चाहिए थी और अगर उसी तादाद में दो हजार से तीन हजार तक पैरामिलीट्री फोर्स होती तो क्या ये घटना घट सकती थी। रेकी की जाती है जहां से वीवीआईपी का काफिला निकलता है एक घंटे पहले रेकी की जाती है। रेकी कराई राज्य सरकार ने राज्य पुलिस ने। नहीं कराई तो इन सब कमियों की अब चूंकि उसकी जांच हो रही है। एनआईए उसकी जांच कर रहा है। तो हम उस पर कोई खास टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं लेकिन आत्म अवलोकन का समय है राज्य सरकारों के लिए कि आप मांग तो करते हैं कि पैरामिलिट्री फोर्स भेजो। पुलिस मॉडर्नाइजेशन में हमें इतना पैसा भेजो लेकिन आप करते क्या है ग्राउंड पर। पिछले 12 साल में अगर आप नक्सल प्रॉब्लम पर अंकुश नहीं लगा पाए तो आप काहे के लिए राज्य सरकार चला रहे हैं। पिछले 12 सालों में अगर आप नक्सल प्रभावित जिलों में कोई तरक्की नहीं करा पाए। कोई प्रगति नहीं करा पाए तो काहे के लिए राज्य सरकार चला रहे हो। अपनी गंदगी को, अपने फेल्योर को दूसरे के ऊपर डालना इस देश की परंपरा है। सीधे-सीधे भारत सरकार पर। भारत सरकार आपको फौज देगी। भारत सरकार आपको सीआरपीएफ देगी लेकिन भारत सरकार उनकी पोस्टिंग थोड़े करेगी। वो तो आपका डीजीपी करेगा। अगर उस यात्रा के दौरान सीआरपीएफ की जरुरत थी तो क्यों नहीं आपके डीजीपी ने लगाई। इसका जवाब तो आपको देना पड़ेगा ना। भारत सरकार इसका जवाब थोड़ी देगी। आपने जितनी फोर्स मांगी उतनी भारत सरकार ने दे दी। इस घटना के बाद आपने जितनी मांगी उतनी भारत सरकार ने दे दी। पुलिस मॉडर्नाइजेशन में जितना पैसा आपको मिलना चाहिए था वो भारत सरकार ने दिया। इसके बाद भी आपकी पुलिस अगर होमगार्ड की तरह हो तो ये दोष भारत सरकार का थोडे हैं। ये दोष तो राज्य सराकर का है। हमें अच्छी तरह से मालूम है। पांच साल मैं गृह राज्य मंत्री रह चुका हूं। पाटिल साहब ने कम से कम 20 मीटिंग बुलाई होंगी राज्य सरकारों की और कहा कि पुलिस एक्ट में रिफॉर्म करने के लिए कोई नहीं तैयार हुआ क्यों नहीं तैयार हुआ। अरे साहब ये तो संघीय ढांचे पर प्रहार होगा। पुलिस तो पूरी तरीके से हमारा सब्जेक्ट है। आप चाहते हैं कि पुलिस अधिकारी भारत सरकार की भी माने ये कैसे संभव है। नहीं संभव है। हम नहीं कहते की ऐसा होना चाहिए लेकिन ऐसी घटनाएं हों तो उनकी जिम्मेदारी लिजिए। उनका खामियाजा भुगतिए फिर भारत सरकार के ऊपर दोषारोपण क्यों करते हैं। क्यों फिंगर रेज करते हैं भारत सरकार के ऊपर। जब आप चाहते हैं कि सब कुछ हमारी ही जेब में रहे , जब सब कुछ आपकी जेब में रहेगा तो सारी जिम्मेदारी भी आपकी होगी। कोई भी घटना घटती है, नक्सलवाद पर आप अंकुश नहीं लगा पाते हैं। इंटरनल सिक्योरिटी को खतरा हो रहा है तो इसकी जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी।
वासिंद्र मिश्र : एक आखिरी सवाल कानपुर से जुड़ा हुआ है। आप वहां के प्रतिनिधि भी हैं। लगातार वहां कि जनता आपको जनादेश दे रही है दो-दो तीन-तीन बार से कानपुर का जो इंडस्ट्रियल हालत है। मिलें बंद हैं। हर चुनावों के समय पर वादा किया जाता है कि वहां कि मिलों को दोबारा चलाया जाएगा। मजदूरों की हालत ठीक होगी लेकिन चुनावों के बाद जस के तस हालात हो जाते हैं।
श्रीप्रकाश जायसवाल: देखिए ये वादे तो भारतीय जनता पार्टी की सरकारें करती थी। मुझे अच्छी तरह याद है कि अटल जी गए थे फूलबाग की एक मिटिंग में कहा था कि इन चिमनियों से धुआं निकलने लगेगा। मैंने कभी ये वादा नहीं किया कि चिमनियों से धुआं निकलने लगेगा। मैंने एक दर्जन मिलों में कहा था कि एक मिल को चलाने की कोशिश करूंगा। अगर संभव होगा तो एक मिल मैं चला दूंगा। सवाल इस बात का नहीं है कि मिल चली या नहीं चली। सवाल इस बात का है कि औद्योगिक ढांचा मजबूत करने की कोई कार्रवाई की गई। हम जो भारत सरकार से कर सकते थे वो हमने किया। हमने लगभग एक दर्जन फ्लाईओवर्स बनवाए। कानपुर से एक भी ट्रेन नहीं चलती थी। केवल एक कानपुर-फर्रूखाबाद एक चलती थी और एक कानपुर से ऊंचाहार एक चलती थी। हमने एक दर्जन ट्रेनें मेट्रो सिटीज से कनेक्टिविटी कानपुर की बढ़वाई। हमने जवाहरलाल नेहरू अरबन मिशन योजना के तहत कानपुर शहर को शामिल कराया। हमने कानपुर में दूसरा गंगा ब्रिज बनवाया। कानपुर को राष्ट्रीय नक्शे पर लाने का काम जितना हम भारत सरकार के माध्यम से कर सकते थे वो हमने किया। अगर राज्य सरकारों का सहयोग मिलता। तमाम राज्य सरकारें रहीं क्योंकि मैं तो 15 सालों से हूं। बसपा की भी रही, सपा की भी रही। भाजपा की भी रही। इनका सहयोग भी अगर मिलता तो शायद हमारे शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत हो जाता और इंफ्रास्ट्रक्चर होता तो बड़ी इंडस्ट्री चले ना चले बात अलग है लेकिन छोटे-छोटे इंडस्ट्रियल हब कानपुर शहर में तैयार हो जाते और तैयार हुए भी हैं लेकिन और तेजी के साथ हो जाते ।
वासिंद्र मिश्र : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे चैनल से बात करने के लिए।
श्रीप्रकाश जायसवाल: थैंक यू।