'अब दुनिया से पोलियो को मिटा सकते हैं'
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'अब दुनिया से पोलियो को मिटा सकते हैं'

भारत के एक साल से पोलियो मुक्त रहने और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उसे पोलियो प्रभावित देशों की सूची से हटा दिए जाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रसन्नता जताई है।

नई दिल्ली : भारत के एक साल से पोलियो मुक्त रहने और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा उसे पोलियो प्रभावित देशों की सूची से हटा दिए जाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इससे उम्मीद जगी है कि अब भारत ही नहीं बल्कि समूची धरती से इस बीमारी को उखाड़ फेंका जा सकता है।

 

सिंह ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित पोलियो सम्मेलन के अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि इस बड़ी उपलब्धि के बाद अब देश के सभी बच्चों को इस तरह की तमाम बीमारियों से मुक्त कराने के लिए पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त करना होगा।

 

उन्होंने कहा, ‘ अब हमारा परम उद्देश्य हमारे सभी बच्चों के लिए पूर्ण टीकाकरण प्राप्त करना होना चाहिए। हमें यह निश्चित करना चाहिए कि हर भारतीय बच्चा चाहे वह अमीर हो या गरीब, चाहे वह लद्दाख में रहता हो या दिल्ली में, सर्वोत्तम टीकाकरण तक उसकी पंहुच बने। इस महत्वकांक्षी कार्य के लिए मैं अपनी सरकार को प्रतिबद्ध करता हूं।’

 

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भारत के पोलियो मुक्त होने की घोषणा करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत का नाम पोलियो प्रभावित देशों की सूची से हटा दिया है। इस सूची में दुनिया के सिर्फ चार देशों के नाम थे। भारत का नाम हट जाने पर अब इसमें पाकिस्तान, नाइजीरिया और अफगानिस्तान बचे हैं।

 

डब्ल्यू एच ओ प्रतिनिधि नातेला मेनैब्डे ने कहा कि सूची से नाम हटाए जाने के बाद भारत को पोलियो मुक्त देश का दर्जा पाने के लिए अगले दो साल तक पोलियो मुक्त रहना होगा।

 

प्रधानमंत्री ने उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि इसका असल श्रेय 23 लाख स्वयंसेवियों को जाता है जो दूर दराज के क्षेत्रों सहित घर घर जा कर बार बार बच्चों को पोलियो की दवा पिलाते हैं। उन्होंने कहा , ‘ससे उम्मीद जगी है कि हम आखिरकार पोलियो को न सिर्फ भारत से, बल्कि समूची धरती से उखाड़ फेंक सकते हैं ।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पोलियो उन्मूलन की बड़ी सफलता के बावजूद भारत को अभी भी अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन, सुरक्षित पेय जल, उचित स्वच्छता और शिक्षा प्रदान कराना और बाल एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना बाकी है। सार्वभौम टीकाकरण तो रोगों के नियंत्रण की कई रणनीतियों में से केवल एक है।

 

उन्होंने कहा कि कुपोषण की चुनौती से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं और संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत 2017 तक देश में खुले में शौच के चलन का पूरी तरह उन्मूलन करने का लक्ष्य है।

 

स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती लागत को सिंह ने बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि उच्च चिकित्सा खर्च गरीब पर अनुचित बोझ डाल रहा है। इसे कम करने के लिए गरीबों के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों से स्वास्थ्य की देखभाल को जोड़ना होगा।

 

स्वास्थ्य बीमा की कमियों की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये बीमा योजनाएं आम तौर पर अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए ही लाभकारी हैं जबकि भर्ती नहीं होने वाले मरीजों के रोजमर्रा के इलाज, जांच और दवाओं पर बड़ा खर्च आता है।

 

उन्होंने कहा कि भर्ती नहीं होने वाले ऐसे मरीजों की दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकारी अस्पतालों में  परेशानी मुक्त और नकदी भुगतान रहित’  बीमा व्यवस्था करने की जरूरत है। (एजेंसी)

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