रेप मामलों में तेजी से ट्रायल के लिए PIL पर सुनवाई करेगा SC
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रेप मामलों में तेजी से ट्रायल के लिए PIL पर सुनवाई करेगा SC

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की समुचित सुरक्षा और उनके साथ भेदभाव खत्म करने के सवाल पर विचार के लिए सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों से इस संबंध में जवाब तलब किए हैं।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की समुचित सुरक्षा और उनके साथ भेदभाव खत्म करने के सवाल पर विचार के लिए सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों से इस संबंध में जवाब तलब किए हैं। इसके अलावा न्यायालय ने बलात्कार के सभी मुकदमों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए त्वरित अदालतें गठित करने के लिए दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई करने का निश्चय किया है।
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ बलात्कार के मुकदमों की सुनवाई के लिए त्वरित अदालतें गठित करने और महिलाओं के प्रति अपराध के आरोपों में आरोपित सांसदों तथा विधायकों के निलंबन के लिए दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को को सुनवाई करेगी।
इस बीच, न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने महिलाओं की समुचित सुरक्षा हेतु वकील मुकुल कुमार की जनहित याचिका पर केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब तलब किए हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने हैं। मुकुल कुमार ने अपनी याचिका में बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए प्रत्येक शहर और कस्बे में महिला थाने स्थापित करने और महिलाओं के प्रति हर तरह का भेदभाव खत्म करने संबंधी संयुक्त राष्ट्र कंवेन्शन लागू करने का अनुरोध किया है।
राजधानी में एक बस में 23 वर्षीय युवती से सामूहिक बलात्कार की सनसनीखेज वारदात की पृष्टभूमि में प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ देश में बलात्कार के मुकदमों की तेजी से सुनवाई हेतु त्वरित अदालतों के गठन के लिये दायर जनहित याचिका पर कल सुनवाई करेगी। इस घटना में बुरी तरह जख्मी युवती का 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में निधन हो गया था।
त्वरित अदालतों के गठन के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी प्रोमिला शंकर ने यह जनहित याचिका दायर की है। प्रोमिला शंकर चाहती हैं कि बलात्कार और महिलाओं तथा बच्चों के प्रति अपराध के सभी मामलों की जांच महिला पुलिस अधिकारी करे और अदालतों में ऐसे मुकदमों की सुनवाई भी महिला न्यायाधीश ही करें। प्रोमिला शंकर ने अपनी याचिका में बलात्कार के मामलो में उच्चतम न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा है कि देश में हर 40 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्कार हो रहा है और इनमें से 90 फीसदी मामले तो दर्ज भी नहीं होते हैं। याचिका के अनुसार सामूहिक बलात्कार की जघन्य घटना के बाद दिल्ली में 61 से अधिक महिलाएं और बच्चे लापता हैं। इसी तरह छत्तीसगढ में नौ हजार युवतियों के बारे में बताया जाता है कि वे मानव तस्करी और देह व्यापार की शिकार हैं जिनकी ओर इस समय कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है।
याचिका में कहा गया है कि किसी घटना के बारे में मीडिया में खबरें आने के बाद ही दंडात्मक कार्रवाई की जाती है और सरकार इनकी रोकथाम या व्यवस्था में सुधार के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही हैं। अपराधियों से सख्ती से निबटने के लिये किसी कारगर कानून के अभाव में जनता में हताशा बढ रही है और राजनीतिक व्यवस्था के इशारे पर पुलिस के दुरुपयोग का शिकार निर्दोष जनता हो रही है।
दूसरी ओर, मुकुल कुमार ने अपनी याचिका में देश में महिलाओं की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा है कि कानून में कई खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने याचिका में कहा है कि इसमें किसी प्रकार का विवाद नहीं है कि महिलाएं बाहर के माहौल तो लगातार असुरक्षित महसूस कर रही हैं। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के जरिये भी यात्रा करने में भी खतरे हैं। महिलाओं के प्रति अत्याचार के मामले को कानून व्यवस्था खराब होने की इक्का दुक्का घटना नहीं कहा जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बावजूद महिलाएं बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित हैं। सेन्टर फॉर सोशल रिसर्च के अध्ययन के अनुसार देश में हर घंटे किसी न किसी रूप में 18 महिलाओं को यातना दी जाती है। याचिका में झूठी शान की खातिर युगलों की हत्या का जिक्र करते हुये कहा गया है कि ऐसे मामलों में संबंधित पंचायतों को दंडित किया जाना चाहिए और इससे जुड़े लोगों पर हत्या के आरोप में मुकदमा चलना चाहिए। (एजेंसी)

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