घाव से कराहता गाजा
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घाव से कराहता गाजा

इजरायल की ओर से फिलस्तीन पर किए जा रहे हमले में अब तक करीब 1400 से ऊपर लोग मारे जा चुके हैं, लाखों लोग बेघर हो चुके हैं। अपने बचाव में की जा रही इस कार्रवाई को इजरायल ने ऑपरेशन ‘प्रोटेक्टिव एज’ नाम दिया है। केवल ईद के दिन इजरायली हमले में 100 से ज्यादा फिलस्तीनियों ने अपनी जान गंवा दी। इजरायल हमले रोकने के लिए अभी तैयार नहीं है। उसका कहना है कि फिलस्तीन की सुरंगें जब तक नष्ट नहीं हो जातीं तब तक वह हमले जारी रखेगा। इजरायल ने कहा है कि आने वाले दिनों में वह अपने हमलों को और तेज करेगा।

दरअसल, इजरायल-फिलस्तीन विवाद और मौजूदा हिंसा को समझने के लिए वर्ष 1948 पर नजर डालना जरूरी है। 1948 में दुनिया के नक्शे पर इजरायल नामक देश उभरा। गौरतलब है कि इजरायल का गठन करने के लिए फिलस्तीन को बांट दिया गया। इस बंटवारे का सीरिया, मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब ने विरोध किया और इस विरोध के खिलाफ इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी। लंबी लड़ाई के बाद 1949 में दोनों पक्षों की ओर से युद्ध विराम की घोषणा की गई लेकिन तब से लेकर फिलस्तीन का इलाका लगातार सिकुड़ता जा रहा है जबकि इजरायल के क्षेत्र में लगातार वृद्धि हुई है।

फिलस्तीन पर नए सिरे से हुए इस हमले के पीछे मीडिया रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि इस रक्तपात को शुरू करने के लिए इजरायल ही जिम्मेदार है। रिपोर्टों की मानें तो इजरायल ने पश्चिमी तट में 500 हमास समर्थकों की गिरफ्तारी और कई निहत्थे नागरिकों की हत्या कर इस रक्तपात की शुरुआत की और इसके जवाब में फिलस्तीन ने इजरायल पर रॉकेट दागने शुरू किए।

विश्व बिरादरी में अपनी इस हिंसक कार्रवाई का बचाव करने के लिए इजरायल यह कहता आया है कि उसके नागरिक एवं प्रतिष्ठान खतरे में है। वह अपने बचाव के लिए फिलस्तीन पर हमले करता आया है लेकिन हकीकत का एक पहलू यह भी है कि इजरायल जैसे ‘दबंग’ देश के आगे फिलस्तीन कहीं नहीं ठहरता। इजरायल के पास अपनी सेना है, युद्ध की अति आधुनिक तकनीक और लड़ाकू विमान हैं जबकि फिलस्तीन के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। फिलस्तीन के हमलों को युद्ध का नाम देना गलत है। फिलस्तीन युद्ध करने की स्थिति में नहीं है। उसमें इतनी क्षमता नहीं है कि वह इजरायल का एक दिन भी सामना कर सके। इजरायल अपनी ‘दबंगई’ को सही साबित करने के लिए गलत दलीलें पेश करता है।

इजरायल के हमलों का शिकार गाजा का सबसे बड़ा अस्पताल भी हुआ है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे इस अस्पताल में इलाज की सुविधाएं सिमटती जा रही हैं। चिकित्सकों के सामने बड़ी चुनौती है। हमलों में घायल सैकड़ों की संख्या में लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के सामने चुनौती लोगों को इलाज करने की नहीं बचाने की है। अस्पताल की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि चिकित्सक उस व्यक्ति का इलाज कर रहे हैं जिसकी जिंदा बचने की संभावना सबसे ज्यादा है। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि स्थिति इतनी बुरी हो चुकी है कि एक व्यक्ति के इलाज के दौरान अन्य घायल दम तोड़ देते हैं।

हमास के नेताओं एवं ठिकानों के खात्मे के लिए इजरायल ने जो रक्तपात शुरू किया है उसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए हैं। इन हमलों में बड़ी संख्या में महिलाओं एवं बच्चों की भी जानें गई हैं। विडंबना है कि तहस-नहस हो रहे गाजा और इन हमलों के खिलाफ न तो दुनियाभर में कोई गुस्सा दिखाई दे रहा है और न ही इजरायल को रोकने की कोशिश की जा रही है।

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