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नई दिल्ली : जाने माने गीतकार और फिल्म निर्देशक गुलजार को आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां संपन्न 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में 79 वर्षीय गुलजार जब भारतीय सिनेमा के इस सर्वोच्च सम्मान को लेने के लिए मंच की ओर बढ़े तो वहां मौजूद अतिथियों ने खड़े हो कर उनके सम्मान में तालियां बजाईं। गुलजार के साथ उनकी बेटी मेघना आई थीं। पिता को सम्मानित होते देख मेघना भावुक हो उठीं।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद गुलजार ने कहा, ‘अगर किसी का काम शब्दों से खेलना हो तो उसके जीवन में कभी कभार ऐसा भी होता है जब उसे आभार व्यक्त करने के लिए सही शब्द नहीं मिल पाते।’
गुलजार ने कहा, ‘सेना और फिल्म उद्योग- यह दो जगहें ऐसी हैं जहां जाति, संप्रदाय और धर्म मायने नहीं रखते। पूरी ईमानदारी के साथ मैं कह सकता हूं कि फिल्म उद्योग से जुड़े लोग बहुत अच्छे हैं। उनके धर्म निरपेक्ष स्वभाव के बारे में मैं शपथ ले सकता हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि मैं उनका हिस्सा हूं और वह मेरे सहभागी हैं।’ पुरस्कार के तहत राष्ट्रपति ने गुलजार को एक स्वर्ण कमल वाला पदक, 10 लाख रूपये नगद और एक शॉल प्रदान की।
भारतीय सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए यह सर्वोच्च प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले गुलजार 45 वें व्यक्ति हैं। गुलजार ने बीते दौर के बिमल राय से लेकर वर्तमान में मणि रत्नम तक, अपने साथ काम करने वाले सभी लोगों को याद किया और उनका आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘आज मैं जिस जगह पर हूं, वहां तक अकेले पहुंचना असंभव था। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे बिमल राय और एस डी बर्मन जैसे गुरू मिले। अतीत की यादें हैं लेकिन उनमें रहना सही नहीं है। आपको समय के साथ बदलना होता है।’ गुलजार ने कहा कि आपके काम को मिली मान्यता और सराहना आपको आगे और अच्छा काम करने के लिए प्रेरित करती है।
सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान देने वाले गुलजार ने अपने इस सफर की शुरूआत 1963 में की थी जब उन्होंने बिमल राय की फिल्म ‘बंदिनी’ के लिए गीत लिखे थे। फिल्म उद्योग के लगभग हर चर्चित नाम के साथ काम कर चुके गुलजार ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। (एजेंसी)