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नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को एक याचिका दायर कर सीबीआई को ओडिशा में हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन करने सबंधी एफआईआर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम भी शमिल करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
इस एफआईआर में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला और तत्कालीन कोयला सचिव पी. सी. पारेख को नामजद किया गया है। अपनी याचिका में वकील एम. एल. शर्मा ने उल्लेख किया है कि 2005 में ओडिशा के कोयला ब्लॉक का हिंडाल्को को आवंटन मनमोहन सिंह की मंजूरी के बगैर नहीं किया गया था। उस अवधि में यह मंत्रालय का प्रभार मनमोहन सिंह के ही पास था।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी एफआईआर में कहा है कि पारेख ने अनुवीक्षण समिति की ओडिशा के कोयला ब्लॉक का आवंटन सरकारी क्षेत्र की कंपनी नेयवेलि लिग्नाइट को किए जाने संबंधी फैसले को पलट दिया और आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को आवंटन कर दिया। जांच एजेंसी ने बिड़ला एवं पारेख के बीच जुलाई 2005 में हुई मुलाकात का उल्लेख किया है। यही मुलाकात आवंटन का आधार बनी थी। पारेख की अध्यक्षता वाली अनुवीक्षण समिति ने ही पहले कोयला ब्लॉक नेयवेलि लिग्नाइट को ब्लॉक का आवंटन किया था।
शर्मा ने सीबीआई को उन मंत्रियों के नाम भी शामिल करने का निर्देश दिया जिन्होंने विचार किए जा चुके आवंटित कोयला ब्लॉक को संबंधित पक्ष को नए सिरे से आवंटित करने की सिफारिश की थी। शर्मा की ओर से नियमों को ताक पर रख कर हुए कोयला ब्लॉक आवंटन को रद्द करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई कर रहा है। याचिका पर अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी। (एजेंसी)