बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ की आशंका के बीच केंद्र ने रविवार रात कहा कि कोसी नदी की धारा में कोई बड़ा बदलाव अब तक नहीं देखा गया है। केंद्र सरकार ने स्थिति को लेकर सभी तकनीकी जानकारी राज्य सरकार और नेपाल के साथ साझा की है।
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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली/पटना : बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ की आशंका के बीच केंद्र ने रविवार रात कहा कि कोसी नदी की धारा में कोई बड़ा बदलाव अब तक नहीं देखा गया है। केंद्र सरकार ने स्थिति को लेकर सभी तकनीकी जानकारी राज्य सरकार और नेपाल के साथ साझा की है। ताजा जानकारी के अनुसार, कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। अगले 24 घंटे काफी अहम साबित होंगे। इसके मद्देनजर बिहार के आठ जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। निचले इलाके से लोगों को हटाने का काम जारी है। नेपाल में हुए भूस्खलन की घटना के कारण कोसी नदी में बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है। कोसी नदी पर बने वीरपुर बैराज में हालांकि जलस्तर स्थिर है, लेकिन बराह क्षेत्र में नदी के जलस्तर में वृद्घि देखी जा रही है। वहीं, बिहार में प्रभावित इलाकों के 55000 हजार लोगों को अभी तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
नेपाल में भूस्खलन के बाद कोसी नदी पर कृत्रिम बांध बनने की स्थिति को लेकर बिहार के मुख्य सचिव ने ताजा जमीनी हालात के बारे में केंद्र सरकार के अधिकारियों को अवगत करा दिया है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि दिन में कोसी नदी की धारा में कोई अहम बदलाव नहीं हुआ। हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। केंद्रीय एजेंसियां तकनीकी जानकारी बिहार सरकार और नेपाल के साथ बांट रही है।
उधर, नेपाल में कोसी की सहायक नदी भोटे कोसी के पीछे पानी के जमाव के कारण जल-संग्रहण 25 लाख क्यूसेक से बढ़कर 32 लाख क्यूसेक तक बढ़ने और बिहार पर मंडराते बाढ़ के खतरे के बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि हालात भयावह हो सकते हैं। मांझी ने कहा कि अभी हालात सामान्य नजर आ रहे हैं क्योंकि पानी का प्रवाह कम है। पर भोटे कोसी में जल-संग्रहण 28 से 32 लाख क्यूसेक तक बढ़ गया है। भूस्खलन से वहां बना बांध यदि टूटता है तो हालात भयावह हो सकते हैं। खगड़िया से लेकर वीरपुर बराज तक कोसी के मार्ग के इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मांझी ने कहा कि जिस जगह भोटे कोसी का बहाव बाधित हुआ है, वहां तीन-चार नियंत्रित विस्फोट कराने के बाद पानी का बहाव हो रहा है पर उसकी मात्रा कम है।
मांझी ने कहा कि हम हालात से निपटने के लिए तैयार हैं । थलसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के जवानों को तैनात किया गया है। लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। जो पीछे छूट गए हैं हम उनसे बाहर आ जाने की अपील करते हैं। हमने उनके मकानों और उनकी संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को उम्मीद है कि कोसी तटबंध नहीं टूटेगा क्योंकि उसकी चौड़ाई एक किलोमीटर तक हो गई है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर तटबंध टूटने नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वीरपुर बराज को कोई खतरा नहीं है। वीरपुर बराज की क्षमता 9 लाख क्यूसेक पानी की है। कोसी में पानी के भारी बहाव से इसके बचाव के लिए बराज के सभी 56 दरवाजे खोल दिए गए हैं। मांझी ने कहा कि बाढ़ के खतरों को देखते हुए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से बात की है और उन्होंने केंद्र से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया है। इस बीच, कोसी इलाके में बिहार-नेपाल की सीमा के पास बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य के नौ जिलों में नदी और इसके किनारों के बीच रहने वाले लोगों को जबरन क्षेत्र खाली कराने के आदेश दिए हैं। कोसी की सहायक नदी भोटे कोसी को जाम करने वाले भूस्खलन के मलबे को आंशिक रूप से हटाने के लिए नेपाली सेना द्वारा कम क्षमता के दो विस्फोट कर 1.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यह कदम उठाया गया है। पानी छोड़ने से बिहार में नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी हो गई है। आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहा कि हमने अब तक करीब 50,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है जबकि कई लोगों ने खुद ही खतरे से जूझ रहे क्षेत्र को खाली कर दिया है। इस इलाके में करीब 1.5 लाख लोग रहते हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाल से बिहार की तरफ आने वाली कोसी में जल के प्रवाह के स्तर और मात्रा में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यदि नदी में अचानक बड़ी मात्रा में पानी आता है तो इससे खतरनाक हालात पैदा हो सकते हैं। इससे पहले, विभाग के विशेष सचिव अनिरूद्ध कुमार ने संवाददाताओं से कहा था कि हमने आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान लागू किए हैं ताकि कोसी के खतरे वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को जबरन खाली कराया जा सके। अब तक हमने 16800 लोगों को बाहर निकाला है लेकिन 60 हजार से ज्यादा लोग अब भी नदी और इसके किनारों पर रह रहे हैं। कुमार ने कहा कि हमारे नवीनतम आकलन के मुताबिक अगर नदी में बाढ़ आती है तो राज्य में कोसी के आसपास रह रहे 4.25 लाख लोग प्रभावित होंगे। हम उन सभी को हटाने का प्रयास कर रहे हैं। नेपाल के सिंधुपालचोक जिले के जूरे में भूस्खलन के बाद भोटे कोसी में बांध बन गया। यह जगह काठमांडो के उत्तर और बिहार-नेपाल की सीमा से करीब 260 किलोमीटर की दूरी पर है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 15 कंपनियों, सेना के चार कॉलम और राज्य आपदा मोचन बल की चार कंपनियों को सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, अररिया, मधुबनी, भागलपुर, पूर्णिया और दरभंगा में तैनात किया गया है। सुपौल को राहत, बचाव और खाली कराने के अभियान का मुख्यालय बनाया गया है। राज्य सरकार ने लोगों के लिए 120 राहत शिविर और 17 शिविर पशुओं के लिए बनाए हैं। विस्थापित लोगों को ऊंचे स्थानों पर बने स्कूलों और कॉलेजों में आश्रय मुहैया कराया जा रहा है। सभी शिविरों में भोजन, साफ..सफाई और चिकित्सकीय सुविधाएं दी जा रही हैं।
अभी तक स्थिति नियंत्रण में है और भयभीत होने की जरूरत नहीं है। डीएम ने कहा कि हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। बिहटा हवाई अड्डे पर वायु सेना के चार हेलीकॉप्टर को तैयार रखा गया है ताकि वे लोगों को बाहर निकाल सकें। उन्होंने कहा कि विभिन्न सेना एवं अर्धसैनिक बलों के 17 हेलीकॉप्टर को पड़ोसी राज्यों में तैयार रखा गया है। भूस्खलन से पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा गिर जाने से भोटे कोसी शुक्रवार को जाम हो गया। इसके परिणामस्वरूप वहां 25 लाख क्यूसेक पानी वहां जमा हो गया है और नेपाल सरकार तभी से इसमें विस्फोट कराने का प्रयास कर रही है। बिहार सरकार ने कल हाई अलर्ट जारी किया और कोसी के निचले इलाकों में रह रहे लोगों को वहां से हटने के आदेश दिए। सरकार ने कहा कि जमा पानी के वहां से निकलते ही 10 मीटर ऊंची पानी की लहरें उन्हें बहा ले जा सकती हैं। यदि पूरा पानी एक बार में निकलता है और 25 लाख क्यूसेक पानी अचानक छूटता है तो उत्तर बिहार में बाढ़ आ जाएगी।