प्रशांत भूषण के बयान से बचाव की मुद्रा में आई आम आदमी पार्टी
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प्रशांत भूषण के बयान से बचाव की मुद्रा में आई आम आदमी पार्टी

आप नेता प्रशांत भूषण द्वारा जम्मू कश्मीर में सेना की तैनाती के बारे में की गई टिप्पणी से एक नया विवाद उत्पन्न हो गया तथा विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की जबकि उनकी ही पार्टी इस मामले में बचाव की मुद्रा में आ गई।

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ज़ी मीडिया ब्‍यूरो
नई दिल्‍ली : आप नेता प्रशांत भूषण द्वारा जम्मू कश्मीर में सेना की तैनाती के बारे में की गई टिप्पणी से एक नया विवाद उत्पन्न हो गया तथा विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की जबकि उनकी ही पार्टी इस मामले में बचाव की मुद्रा में आ गई।
आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भूषण की टिप्पणी से अपने को अलग करते हुए कहा कि देश में कहीं भी सेना की तैनाती का निर्णय आतंरिक सुरक्षा के खतरे के आधार पर किया जाना चाहिए। भूषण ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में सेना की तैनाती राज्य के लोगों की राय के आधार पर की जानी चाहिए।
भाजपा एवं कांग्रेस जैसी पार्टियों ने इस बयान के लिए उन्हें आड़े हाथ लिया। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि ऐसे मुद्दों पर जनमत संग्रह कराये जाने की जरूरत नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण के उस विवादित बयान से पल्ला झाड़ लिया जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती के लिए वहां के लोगों की रायशुमारी करानी चाहिए। ‘आप’ ने प्रशांत के बयान से तब पल्ला झाड़ा जब विभिन्न राजनीतिक दलों ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की। ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश के अंदर सेना की तैनाती का फैसला आंतरिक सुरक्षा को खतरे के आधार पर लेना चाहिए और इस मुद्दे पर रायशुमारी कराने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। केजरीवाल ने कहा कि ऐसे मुद्दों पर ‘आप’ रायशुमारी का समर्थन नहीं करती। प्रशांत ने भी यह कहते हुए इस पूरे विवाद से बाहर आने की कोशिश की कि उनके बयान को ‘तोड़ा-मरोड़ा’ गया है और रायशुमारी के बाबत कही गई किसी बात का मतलब यह नहीं निकालना चाहिए कि यह भारत के साथ कश्मीर के रिश्तों पर जनमत-संग्रह कराने को लेकर था।
एक बयान में प्रशांत ने कहा कि हमारी पार्टी का नजरिया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। और यह कहने की जरूरत नहीं है कि मेरी भी यही राय है। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रायशुमारी के बाबत कही गयी किसी बात का मतलब यह नहीं निकालना चाहिए कि यह भारत के साथ कश्मीर के रिश्तों पर जनमत-संग्रह कराने को लेकर था। चाहे आंतरिक सुरक्षा हो या बाहरी सुरक्षा, सशस्त्र बलों सहित सुरक्षा बलों को तैनात करना सरकार का विशेषाधिकार है।
जानेमाने वकील प्रशांत ने कहा कि देश में किसी भी जगह सुरक्षा बलों को तैनात करना सरकार पर निर्भर करता है लेकिन इस बाबत लोगों की राय पर विचार करना चाहिए और यह भागीदारीपूर्ण प्रशासन एवं स्वराज का उनका नजरिया है। प्रशांत ने कल कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सेना की तैनाती राज्य के लोगों की सहमति से की जानी चाहिए। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने प्रशांत के इस बयान के लिए उनकी आलोचना की थी।

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