बदायूं रेप और हत्या कांड: यूपी सरकार पर चौतरफा दबाव, गृह सचिव हटाए गए

यूपी में अखिलेश सरकार बैकफुट पर है। बदायूं रेप और हत्याकांड के बाद सरकार की देश और दुनिया हर जगह किरकिरी हो रही है।

ज़ी मीडिया ब्यूरो/संजीव कुमार दुबे
नई दिल्ली: यूपी में अखिलेश सरकार बैकफुट पर है। बदायूं रेप और हत्याकांड के बाद सरकार की देश और दुनिया हर जगह किरकिरी हो रही है। इन घटनाओं ने यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति की पोल खोल कर रख दी है। बदायूं में दो दलित बहनों की सामूहिक बलात्कार के बाद हुई हत्या ने पूरे देश को हिला कर रखा दिया है। खुद एसटीएफ के आईजी कह चुके हैं कि प्रदेश में हर रोज औसतन 10 बलात्कार होते हैं। इससे साफ है कि यूपी में कानून व्यवस्था के क्या हालात हैं?
बदायूं सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार पर हो रहे चौतरफा हमले के बाद आज राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) अनिल कुमार गुप्ता का तबादला कर दिया गया । जाहिर सी बात है कि सरकार इस जघन्य रेप और हत्याकांड का ठीकरा पुलिस अफसरों पर फोड़ना चाहती है।
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि बदायूं में दो चचेरी बहनों के साथ हुए बलात्कार और फिर उनकी हत्या के आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति (प्रताड़ना रोकथाम) कानून के कड़े प्रावधानों के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया । बहरहाल, उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया कि दोनों पीड़ित लड़कियां अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय से नहीं हैं ।
बदायूं जिले में दो चचेरी बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद उनकी हत्या किए जाने की जघन्य घटना की संयुक्त राष्ट्र के साथ मानवाधिकार संस्थाओं ने निंदा की है। वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोमवार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस बीच केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान बदायूं पहुंचे और उन्होंने इस मुद्दे को मंत्रिमंडल में उठाने की बात कही। संयुक्त राष्ट्र ने घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने और पूरे भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने की मांग की है।
इस बीच केंद्र सरकार ने देश के हर जिले में बलात्कार पीड़ितों के लिए विशेष केंद्र बनाएगी जिनमें उन्हें मेडिकल सुविधाओं के साथ कानूनी मदद भी प्रदान करने की बात कही है। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने उत्तर प्रदेश के बदायूं में दो बच्चियों की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।
साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘कानून बना हुआ है । यह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को प्रताड़ना से बचाने के लिए है । यह समाज के कमजोर वर्ग की प्रताड़ना का स्पष्ट मामला है । हमें नहीं पता कि राज्य सरकार ने आरोपियों के खिलाफ यह प्रावधान क्यों नहीं लगाया ।’ रिजिजू ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र आज भेजा गया है । गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘यह एक गंभीर अपराध था और दोषियों को निश्चित तौर पर सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए ।’
इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान सोमवार को बदायूं पहुंचे। वह अपने बेटे चिराग पासवान के साथ सीधे दुष्कर्म पीड़िताओं के परिजनों से मिलने कटरा गांव पहुंचे। पासवान ने कहा कि वह इस मामले को मंत्रिमंडल में उठाएंगे। पासवान ने सूबे की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस जघन्य अपराध के बाद भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बदायूं क्यों नहीं आए? उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उप्र इकाई ने बदायूं दुष्कर्म व हत्याकांड को लेकर प्रदेश सरकार पर लगातार दबाव बनाते हुए प्रदर्शन किया।
इस मुद्दे को लेकर सोमवार को लखनऊ की सड़कों पर बीजेपी ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया। भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष कमलावती सिंह की अगुवाई में राजधानी लखनऊ और आसपास के जिलों की महिला कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने कहा कि बदायूं कांड में अपराधियों की गिरफ्तारी और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती का बदायूं का दौरा महज एक नौटंकी से अधिक कुछ नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि 2007 से 1012 तक बसपा के राज में हत्या, लूट और दुष्कर्म की घटनाएं आम बात थीं। इन घटनाओं में बसपा के मंत्री और विधायक भी शामिल रहते थे। मायावती इन मामलों में कार्यवाही की जगह आरोपियों को बचाने की भूमिका निभाती रही हैं। ठीक इसके विपरीत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बदायूं कांड की जानकारी होते ही सख्त कार्यवाही के आदेश दिए, और अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है। घटना की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए हैं। इस सबके बाद मायावती के आरोप बेमानी और असंगत हो जाते हैं।
गौर हो कि बदायूं जिले के कटरा गांव में दो किशोरियों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी गई और शवों को पेड़ पर लटका दिया गया। पुलिस ने मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की मदद करने के आरोप में दो पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार किया गया है। राज्य सरकार की तरफ से घटना की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
(एजेंसी)

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