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सिंगापुर : सिंगापुर के पिछले 40 साल के इतिहास में अब तक के सबसे भीषण दंगों के मामले को देख रहे एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने लिटिल इंडिया में हुई इस घटना की जांच करने वाली समिति को बताया कि उन्होंने दंगाइयों को ‘भड़कने’ से रोकने के लिए उन पर गोलीबारी नहीं करने का फैसला किया था।
उप सहायक पुलिस आयुक्त ल्यू यिओ ने कहा, ‘यदि पुलिस ने गोलीबारी की होती या कोई दंगाई गोलीबारी में मारा जाता तो भावनाएं भड़क सकती थीं।’ सिंगापुर के भारतीय मूल के कारोबारियों की बहुलता वाले लिटिल इंडिया इलाके में एक सड़क हादसे में एक भारतीय नागरिक के मारे जाने के बाद आठ दिसंबर 2013 की रात को दंगे भड़क उठे थे।
ल्यू सरकार द्वारा नियुक्त जांच समिति द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे। समिति उनसे जानना चाहती थी कि दंगों से निपटने में उन्होंने किस प्रकार पुलिस की कमान संभाली। द स्ट्रेट टाइम्स ने ल्यू के हवाले से कहा कि दंगाइयों की भीड़ पुलिसकर्मियों से कहीं अधिक थी। दैनिक ने लिखा, ‘यह एक प्रकार से उग्रवाद से निपटना था और यदि हम गोली भी चलाना चाहते तो किस पर चलाते? लोगों की भीड़ के पीछे से पथराव हो रहा था।’
ल्यू ने कल समिति को बताया, ‘वे (दंगाई) किसी इमारत को आग लगा सकते थे या लोगों पर हमला कर सकते थे। इसलिए उस रात मेरी सैद्धांतिक स्थिति यह थी कि जहां तक संभव हो, स्थिति को भड़कने नहीं दें , कोई विकल्प नहीं बचने तक बल प्रयोग नहीं करें, भले ही हम गोलीबारी के लिए कानूनी रूप से सही हों।’ उन्होंने कहा कि दंगे एक सड़क हादसे की वजह से भड़के थे और ऐसे में गोलीबारी में किसी अन्य की अथवा किसी विदेशी कामगार की मौत होने से हिंसा भड़क सकती थी। (एजेंसी)