नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आवाज यूरोप तक पहुंच गई है. यूरोपियन संसद ने कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने रोपियन संसद के अध्यक्ष को खत लिखकर इस पर फिर से पुनर्विचार को कहा है. बिरला ने यूरोपियन संसद (ईयू) के अध्यक्ष डेविड मारिया ससौली को खत लिखकर आपत्ति जताई है. उन्होंने संसद को सीएए (CAA) का सम्मान करने की नसीहत देते हुए लिखा, इस कानून को भारतीय संसद के दोनों सदनों ने लंबी बहस के बाद पारित किया है.
किसी की नागरिकता छीनना उद्देश्य नहीं है
अपने खत में बिड़ला ने CAA के औचित्य को समझाते हुए लिखा है कि यह पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने के लिए है. इसमें किसी की नागरिकता को छीनने जैसा कोई प्रस्ताव या बात नहीं है. हमारे ठीक पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार कई लोग हैं. उन्हें सरलता से नागरिकता देना जिम्मेदारी है. इसका उद्देश्य किसी की नागरिकता को छीनना नहीं है. इस बिल को संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद इसे पास किया गया है.
LS Speaker Om Birla writes to European Parliament Pres.Writes 'I understand that Joint Motion for Resolution has been introduced in European Parl on #CitizenshipAmendmentAct...As members of Inter Parliamentary Union,we must respect sovereign processes of fellow legislatures'(1/2) pic.twitter.com/2GNcjv2wqz
— ANI (@ANI) January 27, 2020
स्पीकर ने उन्हें भारत में बनाए कानून का सम्मान करने की भी नसीहत दी. उन्होंने आगे लिखा 'इंटर पार्ल्यामेंटरी यूनियन का सदस्य होने के नाते, हमें एक दूसरे की संप्रभु प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए. लोकतंत्र में यह बेहद जरूरी है.
हममें से कोई भी अस्वस्थ उदाहरण पेश नहीं करेगा
एक विधायिका का दूसरी विधायिका पर फैसला सुनाना गलत है, यह ऐसी परंपरा है जिसका निहित स्वार्थों के लिए निश्चित तौर पर दुरुपयोग किया जा सकता है. इस संदर्भ में मैं आपसे प्रस्तावित रिजॉलूशन पर पुनर्विचार की गुजारिश करूंगा और मुझे पूरा विश्वास है कि हम में से कोई भी अस्वस्थ उदाहरण पेश नहीं करेगा. दरअसल, दो दिन पहले ही यूरोपीय संसद में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया जिस पर बुधवार को बहस होगी और एक दिन बाद मतदान होगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है.
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बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं: नायडू
ईयू के रुख पर चिंता और नाराजगी जताते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने आपत्ति दर्ज कराई है. उन्होंने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा, विदेशी संस्थाओं का किसी देश के आंतरिक मामले में दखल देना चिंता की बात है. इस कानून पर देश की संसद के दोनों सदनों ने मुहर लगाई है. दरअसल, यूरोपीय संसद ने ईयू के कुछ समूहों द्वारा छह प्रस्तावों पर चर्चा को मंजूरी दी है.
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