नई दिल्ली. कौन सोच सकता था आज से दो माह पहले कि कोरोना जैसा एक जानलेवा वायरस दुनिया में आएगा और वो भी एक खलनायक देश चीन की धरती से. खैर अब जो हालत है वो ये है कि कोरोना साडी दुनिया के लिए खतरा है और सबको इसका सामना करना है. ऐसे में जब कोरोना ने चीन में हज़ारों की जान ले ली और हज़ारों को संक्रमित कर दिया इतना ही नहीं चीनी अर्थव्यवस्था की कमर भी तोड़ दी, ऐसे में चीन ने कोरोना से एक फायदा भी ढूंढ निकला. इसको कहते हैं ऊपर वाला ाक दरवाजा बन्द करता है तो दूसरी खिड़की खोल देता है.
मुसीबत मिली तो दूसरे दरवाज़े पर राहत भी
कोरोना के कहर के बावजूद इसकी वजह से ही चीन को हुआ एक बड़ा फायदा. जहां चीन में बेहद खतरनाक रूप ले चुके कोरोना वायरस ने अब तक तीन हज़ार के आसपास लोगों की जान ले ली है, वहीं वायरस से संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर अस्सी हज़ार के लगभग हो गई है. चीन में उपजे इस वायरस ने चीन की अर्थव्यवस्था की भी कमर ही तोड़ दी है. लेकिन दूसरी तरफ एक अच्छी खबर चीन के लिए ईश्वर ने दे दी है वो ये कि चीन में कोरोना के संक्रमण फैलने से जनवरी के मुकाबले फरवरी में प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो गया है.
बंद हुईं फैक्ट्रीज और गाड़ियां
चीन की सड़कों पर भागने वाली लाखों-करोड़ों गाड़ियों की संख्या में भारी कमी आई है और कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से फैक्ट्रियां भी बड़ी तादात में बंद हुई हैं. इन कारणों ने भी प्रदूषण को कम कर दिया है. हालांकि चीनी उद्योग और परिवहन-यततायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है लेकिन इसके कारण सैटेलाइट इमेज में चीन में प्रदूषण में के गिरावट की तस्वीर नज़र आई है.
नासा के नक़्शे में दिखा
चीन में प्रदूषण के स्तर में आई ये कमी नासा के नक़्शे में दिखी. अमेरिका की इस अंतरिक्ष एजेंसी ने इन तस्वीरों के संदर्भ में कहा है कि ये परिवर्तन आंशिक रूप से वायरस को रोकने के प्रयासों के कारण जन्मा है जो कि आर्थिक मंदी से संबंधित थे. और इन्होने प्रदूषण के स्तर में कमी कर दी है. नासा के नक्शे में दिख रहा है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आई है और बिजली संयंत्रों, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर तथा कारखानों से उत्सर्जित होने विषैली गैस में भारी कमी आई है जिससे पहले की तुलना में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है.
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