टाइप 2 डायबिटीज की तरह ही जेस्टेशनल डायबिटीज में भी शरीर में अपर्याप्त इंसुलिन की मात्रा हो जाती है. जानें गर्भावस्था में मधुमेह से बचने के तरीके...
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ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाने की समस्या को मधुमेह कहा जाता है. लेकिन मधुमेह का एक प्रकार जेस्टेशनल डायबिटीज भी है. जो कि गर्भावस्था के दौरान विकसित होती है. टाइप 1 डायबिटीज व टाइप 2 डायबिटीज के जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज में भी अपर्याप्त इंसुलिन के कारण हाई शुगर होने लगती है. अगर आप ने सही समय पर जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के उपाय नहीं अपनाएं, तो आपके शिशु को भी भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा हो सकता है.
जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण (symptoms of diabetes)
अधिकतर महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज के कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. क्योंकि, इन्हें गर्भावस्था के लक्षणों से जोड़कर भी देखा जाता है. वहीं, जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में रुटीन टेस्ट के जरिए पता लगता है. लेकिन फिर भी कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं. जैसे-
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डाइट का रखें ख्याल (diabetes diet)
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली डायबिटीज से बचने के लिए आपको डाइट के बारे में काफी सावधान रहना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान डाइट में कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, लो जीआई इंडेक्स वाले फूड्स, फाइबर युक्त फूड्स को शामिल करें और जंक फूड व कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से दूर रहें. वहीं, दिन में छोटी-छोटी मील लें, एक बार में बहुत ज्यादा ना खाएं.
जरूरत से ज्यादा वजन ना बढ़ने दें
प्रेग्नेंसी के दौरान अपने वजन के बारे में डॉक्टर से लगातार सलाह लेते रहें. क्योंकि, प्रेग्नेंसी के दौरान जहां वजन बढ़ना जरूरी है, वहीं जरूरत से ज्यादा वजन बढ़ना भी जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ा देता है. इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान मधुमेह से बचने के लिए वजन को बहुत ज्यादा ना बढ़ने दें.
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एक्सरसाइज का भी रखें ख्याल
प्रेग्नेंसी के दौरान इंसुलिन (insulin) की अपर्याप्त मात्रा ही मधुमेह का कारण बनती है. क्योंकि, इंसुलिन ही ग्लूकोज को रक्त से कोशिकाओं तक पहुंचाता है. अगर आप डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से एक्सरसाइज करेंगी, तो आपका शरीर पहले से ज्यादा इंसुलिन का उत्पादन करने लगेगा. जिस तरह ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल किया जा सकता है.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.