गुस्साए बाप ने 'जिंदा' बेटी की कर दी तेरहवीं, शोक संदेश कार्ड छपवाया; गांव वालों को दिया 'मृत्युभोज'
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गुस्साए बाप ने 'जिंदा' बेटी की कर दी तेरहवीं, शोक संदेश कार्ड छपवाया; गांव वालों को दिया 'मृत्युभोज'

Terhvi Rites For Daughter: एक युवती के प्रेम विवाह के बाद परिजनों ने उसे मृत मानकर तेरहवीं की रस्में पूरी की. मामला शक्करखेड़ी गांव का है, जहां उमेश पाटीदार की बहन भगवती ने तितरोद गांव के दीपक पाटीदार से प्रेम विवाह किया.

 

गुस्साए बाप ने 'जिंदा' बेटी की कर दी तेरहवीं, शोक संदेश कार्ड छपवाया; गांव वालों को दिया 'मृत्युभोज'

Mandsaur Love Story: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के शक्करखेड़ी गांव में एक युवती के प्रेम विवाह के बाद परिजनों ने उसे मृत मानकर तेरहवीं की रस्में पूरी की. मामला शक्करखेड़ी गांव का है, जहां उमेश पाटीदार की बहन भगवती ने तितरोद गांव के दीपक पाटीदार से प्रेम विवाह किया. भगवती के प्रेम विवाह के बाद उसके परिवार वालों को गहरा आघात लगा. परिवार ने उसकी शादी को स्वीकार नहीं किया और इसे एक अपमानजनक कदम मानते हुए अपनी नाराजगी जताई.

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परिवार वालों की नाराजगी और तेरहवीं की रस्में

इसके बाद परिवार ने भगवती की फोटो सामने रखकर तेरहवीं की रस्में पूरी की. इस दौरान लड़की के पिता और भाई ने बिल्कुल उसी तरह की रस्में अदा कीं, जैसे किसी मृत व्यक्ति के लिए की जाती हैं. उन्हें यह मानना था कि भगवती ने परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और अब वह उनके लिए मरे हुए समान हैं.

गोरनी पत्रिका और सोशल मीडिया पर वायरल कार्ड

परिवार ने इस दुखद घटना को और भी सार्वजनिक बनाने के लिए एक "गोरनी पत्रिका" के नाम से कार्ड छपवाया, जिसे रिश्तेदारों में वितरित किया गया. यह कार्ड सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया, जिससे घटना ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया. इस कार्ड में इस रस्म को एक प्रकार से 'मृत्यु संस्कार' के रूप में प्रस्तुत किया गया था. परिवार ने यह भी कहा कि ऐसी बेटी और बहन किसी के भी घर में नहीं होनी चाहिए, जो अपने परिवार की इच्छाओं और परंपराओं के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह करे.

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मंदसौर में दूसरा मामला

यह घटना मंदसौर जिले में प्रेम विवाह के कारण परिवार द्वारा तेरहवीं की रस्में पूरी करने का दूसरा मामला है. इससे पहले मंदसौर के दलावदा गांव में भी एक युवती ने अपने प्रेमी के साथ शादी की थी, जिसके बाद उसके परिवार ने भी ऐसी ही रस्में पूरी की थीं. इस प्रकार की घटनाएं एक बार फिर से यह सवाल उठाती हैं कि क्या व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्रेम विवाह को समाज और परिवार में स्वीकार किया जा सकता है?

रिपोर्ट: मनीष पुरोहित

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